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Arpa Bhainsajhar Land Scam: भूअर्जन घोटाले की जांज का जिम्मा अब EOW के पास, दूसरे एसडीएम पर भी कार्रवाई की लटकी तलवार

Arpa Bhainsajhar Land Scam: अरपा भैंसाझार भूमि अधिग्रहण व भूअर्जन में तीन करोड़ 42 लाख 17 हज़ार 920 रुपये के घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार ने मामला EOW को सौंप दिया है। कोटा के तत्कालीन एसडीएम व वर्तमान में रायपुर कलेक्टर कार्यालय में अपर कलेक्टर के पद पर कार्यरत कीर्तिमान सिंह राठौर के खिलाफ राज्य सरकार ने ईओडब्ल्यू को जांच की अनुमति दे दी है। बता दें कि भूअर्जन में करोड़ों के घोटाले में कोटा के तत्कालीन एसडीएम व आरटीओ आनंद रूप तिवारी को राज्य सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। दूसरे एसडीएम हैं जिनके खिलाफ अब ईओडब्ल्यू जांच करेगी। बता दें कि NPG.NEWS ने महीने भर में लगातार छह खबरें प्रकाशित कर घोटाले को उजागर किया। NPG की खबर के बाद राज्य शासन ने घोटाले की जांच का जिम्मा EOW को सौंप दिया।

Arpa Bhainsajhar Land Scam: भूअर्जन घोटाले की जांज का जिम्मा अब EOW के पास, दूसरे एसडीएम पर भी कार्रवाई की लटकी तलवार
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Arpa Bhainsajhar Land Scam


By Radhakishan Sharma

Arpa Bhainsajhar Land Scam: बिलासपुर। अरपा भैंसाझार नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और भूअर्जन के दौरान राजस्व व जल संसाधन विभाग के अफसरों ने बड़ा खेला किया है। लोरमी के व्यवसायी पवन अग्रवाल के बेटों व परिजनों को लाभ पहुंचाने के लिए नहर का अलाइमेंट बदल दिया है। नक्शे में नहर कहीं और दिखाया है और मौके पर नहर कहीं और से निकली है। दस्तावेजों में नहर का अलाइमेंट बदलते हुए दो मीटर आगे खिसका कर लाखों रुपये का खेल मुआवजा में किया गया है। बंजर जमीन को दोफसली और झोपड़ी को पक्का मकान बताकर मुआवजा दिया गया है। करोड़ों के इस खेला में कोटा के तत्कालीन एसडीएम कीर्तिमान सिंह राठौर को जांच टीम ने दोषी पाया है। राज्य सरकार ने तत्कालीन एसडीएम राठौर के मामले की जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है। राठौर अभी रायपुर कलेक्टर कार्यालय में अपर कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।

यह कार्रवाई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17(क) के तहत की जा रही है। विभागीय पत्र के मुताबिक राठौर के खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए थे, जिसके बाद ACB ने शासन से जांच की अनुमति मांगी थी। अब ACB व EOW की टीम कोटा के तत्कालीन एसडीएम व अपर कलेक्टर राठौर के खिलाफ जांच करेगी।

यह है मामला

अरपा भैंसाझार परियोजना में मुआवज़ा वितरण में 1100 करोड़ रुपये की अनियमितता की गई थी। कुछ खास लोगों को उपकृत करने के लिए नहर का अलाइमेंट ही बदल दिया था। जिन किसानों की जमीन गई है और वर्तमान में नहर का निर्माण हो गया है, प्रभावित किसान अब भी मुआवजा के लिए भटक रहे हैं। घोटाले की जांच में कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंद रूप तिवारी,कीर्तिमान सिंह राठौर सहित पटवारी व राजस्व अधिकारियों को दोषी ठहराया गया था। राज्य शासन ने कोटा के तत्कालीन एसडीएम व आरटीओ रहे तिवारी को सस्पेंड कर दिया है। अब राठौर के खिलाफ जांच शुरू हो रही है। मामले की दोबारा जांच के बाद पटवारी से आरआई के पद पर प्रमोशन पाने वाले मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को अनुशंसा की गई। मामला उजागर होने पर बिलासपुर के तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार की अध्यक्षता में एक समिति ने जांच की थी।

तीन साल में सिर्फ दो पर कार्रवाई, 9 घूम रहे छुट्टा

Arpa Bhainsajhar Land Scame अरपा भैंसाझार भूअर्जन घोटाले में 11 अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। साढ़े 34 करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर लंबी जांच चली। जांच रिपोर्ट के बाद बिलासपुर के तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य शासन को पत्र भी लिखा। घोटालेबाज अफसरों ने ऐसी चकरी चलाई कि फाइल दब सी गई। इस बीच NPG.NEWS ने महीने भर में लगातार छह खबरें प्रकाशित कर घोटाले को उजागर किया। एनपीजी की खबर के बाद राज्य शासन ने घोटाले की जांच का जिम्मा EOW को सौंप दिया। इस बीच सिस्टम ने रफ्तार पकड़ी और कोटा के तत्कालीन एसडीएम व बिलासपुर आरटीओ आनंदरुप तिवारी को सस्पेंड कर दिया। तीन साल बाद भी 9 घोटालेबाज अधिकारी अब भी छुट्टा घूम रहे हैं।

कलेक्टर की चलाई फाइल, खटराल अफसरों ने चलाई अपनी चकरी

जांच रिपोर्ट के आधार पर बिलासपुर के तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य शासन को पत्र लिखा और फाइल भी चलाई। खटराल अफसरों ने राजधानी रायपुर में ऐसी चकरी चलाई की घोटाले की फाइल ही दब गई। एनपीजी ने घोटाले को लेकर लगातार खबरें प्रकाशित की। एनपीजी की खबरों के बाद राज्य शासन ने EOW से घोटाले की जांच कराने का निर्णय लिया और जांच का जिम्मा सौंप दिया है।


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