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Ambikapur Chintan Shivir: चिंतन शिविर में कुछ मंत्रियों के सीआर पर लगी लाल टिक, संभलने और संभाल लेने दी गई मोहलत, निर्देश की आड़ में चेतावनी...

Ambikapur Chintan Shivir: अंबिकापुर में तीन दिन चली सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के चिंतन शिविर में मंत्रियों के परफार्मेंस, नए मंत्रियों से लेकर वर्तमान मंत्रियों के ट्रेक रिकार्ड पर भी अहम चर्चा हुई। इसमें अधिकांश मंत्रियों का परफार्मेंस अच्छा नहीं निकला। संगठन से समन्वय के मामले में ज्यादातर मंत्री जीरो पाए गए। शिविर में सांसदों के रिपोर्ट कार्ड की भी हुई समीक्षा। पता चला है, चिंतन शिविर के बाद अब कभी भी मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है।

Ambikapur Chintan Shivir: चिंतन शिविर में कुछ मंत्रियों के सीआर पर लगी लाल टिक, संभलने और संभाल लेने दी गई मोहलत, निर्देश की आड़ में चेतावनी...
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By Gopal Rao

Ambikapur Chintan Shivir: अंबिकापुर। भाजपा का चिंतन शिविर तीन दिनों तक चला। ज्यादातर वक्त इसमें दिशा-निर्देश देने और मार्गदर्शन के बहाने चेतावनी देने का क्रम चला। पार्टी और संघ से जुड़े कुछ शीर्ष नेताओं की अनौपचारिक बैठक हुई। मुलाकात के बहाने इस बैठक में सरकार के प्रदर्शन और संगठन के साथ समन्वय का मसला भी उठा। पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि पूरे शिविर के दौरान किसी मंत्री या अन्य पदाधिकारी का नाम सार्वजनिक रूप से तो नहीं लिया गया, लेकिन अब तक के साय सरकार के कार्यकाल के आधार पर कुछ मंत्री की कार्यप्रणाली विचार के घेरे में जरुर आयी है। समन्वय के विषय में ज्यादातर मंत्री जीरो हैं और संगठन के निचले स्तर पर नाराजगी पनपने लगी है। साय मंत्री मंडल का विस्तार विचाराधीन है, ऐसे में इन मंत्रियों को अभी मौका दिया जाएगा या बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा, यह स्पष्ट नहीं है।

चिंतन शिविर के दौरान सभी मंत्री, विधायकों, सांसदों, पदाधिकारियों के फोन ऑफ करवा दिए गए थे। शिविर समाप्त होते ही तीन दिनों तक हुई माथापच्ची के विषय अब सामने आने लगे है। संघ और भाजपा का मुख्य फोकस सरकार बनने की स्थिति में संगठन के साथ समन्वय पर रहता है। इसमें किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता। यह माना जाता है कि संगठन और कार्यकर्ताओं की मेहनत के बल पर ही सरकार बनती है, ऐसे में सरकार में इनकी उपेक्षा का असर अगले चुनाव में दिख सकता है। खास बात यह है कि साय मंत्री मंडल के ज्यादातर मंत्री पहली बार ही चिंतन शिविर में शमिल हुए, इनमें डिप्टी सीएम अरुण साव, विजय शर्मा तक शामिल हैं। इसका कारण यह है कि पहली बार विधायक बने हैं और सरकार बनने के बाद चिंतन शिविर का आयोजन भी पहली बार हुआ है।

सरगुजा, बिलासपुर संभाग भी दायरे में

पार्टी सूत्रों ने बताया कि मंत्री, विधायकों, सांसदों के मामले में सरगुजा और बिलासपुर संभाग के प्रतिनिधि भी असंतोषजनक काम के दायरे में आए है। काम के अलावा कार्यप्रणाली की बातें भी दबी- छुपी आयी हैं। एक सांसद के ठेकों के काम की चर्चा तो निचले स्तर पर हो रही है, जाहिर है कि चिंतन शिविर में यह कैसे अछूता रह सकता था। सरगुजा संभाग से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय खुद हैं, ऐसे में इस संभाग पर संगठन और सरकार, दोनों की निगाह ज्यादा है। यही कारण है कि संघ की ओर से शिविर में यह बात विशेष तौर पर कह गई है कि विधायक बनते ही नए रिश्तेदार पैदा हो जाते हैं और इनसे बच कर रहना है। यह न केवल सलाह है, बल्कि ठेके के कामों में विशेष दिलचस्पी दिखा रहे मंत्री, विधायक व सांसद को चेतावनी भी है।

बिलासपुर संभाग में समन्वय में भारी कमी

पार्टी सूत्रों का मानना है कि बिलासपुर संभाग में सत्ता व संगठन के बीच समन्वय में भारी कमी आ गई है। बिलासपुर संभाग के कुछ बड़े नेताओं का आपसी समन्वय न होना भी पार्टी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। श्रेय लेने के चक्कर में मंत्री, सांसद, विधायक आपस में स्वस्थ संवाद नहीं कर रहे हैं। इसका असर भाजपा के जिला और निचले स्तर तक के संगठन पर दिखने लगा है। बीते माह संघ की ओर से आए प्रतिनिधि ने भाजपा की बैठक लेकर मसले स्पष्ट भी किए थे। प्रदेश के बाकी संभाग में भी समन्वय की स्थिति ठीक नहीं है। तबादले का सीजन 30 जून को समाप्त हुआ है, पदाधिकारियों और कार्यकर्ता तबादलों से संतुष्ट नहीं हैं। इसी तरह विकास कार्य के लिए विधायकों, मंत्री की जगह पार्टी नेताओं को सीधे मुख्यमंत्री या विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क करना पड़ रहा है, इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

रायपुर और बिलासपुर से हैं नए मंत्री के दावेदार

यह बात किसी से नहीं छिपी है कि मंत्री मंडल विस्तार होता है तो रायपुर और बिलासपुर संभाग से मंत्री लिए जा सकते हैं। मंत्री के दावेदारों के नाम भी आम हो चुके हैं। जबकि सरगुजा संभाग के कुछ मंत्री को लेकर अटकलें लंबे वक्त से चल रही हैं कि उन्हें दूसरी जिम्मेदारी दी जा सकती है। उम्मीद की जा रही है कि चिंतन शिविर के बाद कभी भी मंत्री मंडल विस्तार को अंजाम दिया जा सकता है।

Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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