Begin typing your search above and press return to search.

अजीत जोगी का 2 नंबर से था गहरा नाता, जन्म और मौत की तारीख भी एक

छत्तीसगढ़ के पहले और भूतपूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का 2 नंबर से बहुत गहरा नाता था। उनके जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाओं में 2 नंबर कॉमन है। आइए जानते हैं कैसे?

अजीत जोगी का 2 नंबर से था गहरा नाता, जन्म और मौत की तारीख भी एक
X
By Pragya Prasad

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रहे दिवंगत अजीत जोगी के जीवन में 2 अंक का बहुत गहरा कनेक्शन था। उनका जन्म 29 अप्रैल 1946 को हुआ और 29 मई 2020 को उन्होंने अंतिम सांस ली थी। इस तरह उनके जन्म की तारीख यानी 29 अप्रैल और निधन की तारीख यानी 29 मई में 2 अंक आते हैं।

अजीत जोगी दो पार्टियों में भी रहे

अजीत जोगी 2 बार लोकसभा सांसद चुने गए और दो बार राज्यसभा सांसद रहे। अजीत जोगी ने दो बार विधानसभा चुनाव भी जीता और दो पार्टियों में रहे। अजीत जोगी साल 2000 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने और 2020 में अंतिम सांस ली।


उनके मुख्यमंत्री बनने के साल यानी 2000 और निधन के साल यानी 2020 में भी 2 अंक आता है। जब अजीत जोगी का निधन हुआ, तब छत्तीसगढ़ के गठन के भी 20 साल हुए थे। इस तरह अजीत जोगी का 2 अंक से गहरा नाता था।

छत्तीसगढ़ राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे जोगी

अजीत जोगी का पूरा नाम अजीत प्रमोद कुमार जोगी था। मध्य प्रदेश के विभाजन के होने के बाद 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ के नाम से एक अलग राज्य बना, तो वे यहां के पहले मुख्यमंत्री बने थे। ये जिम्मेदारी जोगी ने साल 2003 तक संभाली।


अजीत जोगी का पेंड्रा में हुआ था जन्म

29 अप्रैल 1946 को बिलासपुर के पेंड्रा में अजीत जोगी का जन्म हुआ था। अजीत जोगी ने भोपाल के मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और साल 1968 में यहां से गोल्ड मेडलिस्ट रहे।

रायपुर में 1967-68 में लेक्चरर भी रहे

शिक्षा पूरी करने के बाद अजीत जोगी रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में 1967-68 में लेक्चरर रहे। इसके बाद उनका चयन IPS के लिए हो गया। बाद में वे UPSC एग्जाम क्लीयर कर IAS के लिए भी चुने गए। वे 1974 से 1986 यानी करीब 12 साल तक सीधी, शहडोल, रायपुर और इंदौर में कलेक्टर रहे।


मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के थे बेहद करीब

1981 से 1985 तक अजीत जोगी इंदौर के कलेक्टर रहे थे। इंदौर कलेक्टर रहते हुए अजीत जोगी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के संपर्क में आए। जोगी की गिनती अर्जुन सिंह के चहेते अधिकारियों में होती थी, लेकिन उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संपर्क में आने के बाद हुई थी।

राजीव गांधी के कहने पर जोगी की राजनीति में एंट्री

1986 में राजीव गांधी के कहने पर अजीत जोगी ने कलेक्टर की नौकरी छोड़ी और कांग्रेस से राजनीतिक सफर की शुरुआत की। इसके पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है। साल 1985 का समय था, उस वक्त अजीत जोगी इंदौर के कलेक्टर थे। अपनी तेजतर्रार कार्यशैली और बेबाक बयानबाजी के चलते वे आए दिन सुर्खियों में रहते थे। एक दिन देर रात को उनके बंगले पर फोन आता है, जिसे कर्मचारी उठाता है। कर्मचारी कहता है कि इस वक्त कलेक्टर साहब सो रहे हैं। दूसरी ओर से कहा जाता है कि कलेक्टर साहब को तुरंत उठाकर बात कराइए।


अजीत जोगी उठते हैं और कॉल लेते हैं। दूसरी ओर से कहा जाता है कि तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं, इस दौरान सोच लो कि राजनीति में आना है या कलेक्टर ही रहना है। तुम्हें दिग्विजय सिंह लेने आएंगे, उन्हें अपना फैसला बता देना। ये कॉल किसी और ने नहीं बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पीए वी जॉर्ज ने किया था।

दिग्विजय सिंह के घर पहुंचने से पहले ले लिया था फैसला

उस फोन के ढाई घंटे बाद जब दिग्विजय सिंह कलेक्टर आवास पहुंचे, तो अजीत जोगी ने अपना फैसला ले लिया था। उन्होंने राजनीति में आने का मन बना लिया था। दिग्विजय सिंह को उन्होंने अपना फैसला बता दिया। इसके बाद उन्होंने कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। कुछ ही दिन बाद उन्हें ऑल इंडिया कमेटी फॉर वेलफेयर ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट एंड शेड्यूल्ड ट्राइब्स का सदस्य बना दिया गया। इसके कुछ ही महीनों वह राज्यसभा के सांसद बन गए थे।

अजीत जोगी 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। इस दौरान कांग्रेस में वे अलग-अलग पदों पर काम करते रहे। 1998 में रायगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए। उस समय उन्हें कांग्रेस ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया था। साल 2000 में राज्य गठन के बाद अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने।

कलेक्टर बनने को लेकर अजीत जोगी ने बताई थी दिलचस्प वजह

एक बार अजीत जोगी ने बताया था कि गांव के लोग कलेक्टर के पैर छूते थे। जब वे भोपाल में पढ़ रहे थे, तो अफसरों का रुतबा देखा। जब वे आईपीएस में चुने गए तो वहां आईएएस में चयनित लड़कों को खुद को ऊंचा बताते देखा, तब आईएएस बनकर दिखाया। ये परीक्षाएं जोगी ने सामान्य वर्ग से पास की थीं।

जोगी को दिलीप कुमार और मधुबाला थे बेहद पसंद

अजीत जोगी, अफसर रहने के दौरान कई बार वक्त मिलने पर फिल्में देखा करते थे। दिलीप कुमार और मधुबाला उनके पसंदीदा एक्टर थे। इन कलाकारों के गाने वो अपने साथ रखा करते थे। खाने में उन्हें मुनगा, बड़िया, भाजियां पसंद थीं।

सड़क हादसा जीवन का बड़ा टर्निंग प्वाइंट

साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार से लौटते वक्त मैनपुर क्षेत्र में ही अजीत जोगी की कार एक पेड़ से टकरा गई थी। तब से अजीत जोगी चल नहीं पाए व्हील चेयर पर ही उनकी बाकी की जिंदगी बीती।

अपनी पार्टी बनाई

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं से मतभेद के चलते जोगी ने साल 2016 में नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) का गठन कर लिया था।

9 मई 2020 को अजीत जोगी को पड़ा था दिल का दौरा

अजीत जोगी 9 मई 2020 को कोमा में चले गए थे। इमली का बीज गले में अटकने की वजह से उन्हें पहली बार दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद 27 मई 2020 की रात भी उन्हें हार्ट अटैक आया था। लेकिन 20 दिनों के अंदर तीसरी बार हार्ट अटैक आने के बाद 74 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।

Pragya Prasad

पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव। दूरदर्शन मध्यप्रदेश, ईटीवी न्यूज चैनल, जी 24 घंटे छत्तीसगढ़, आईबीसी 24, न्यूज 24/लल्लूराम डॉट कॉम, ईटीवी भारत, दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने के बाद अब नया सफर NPG के साथ।

Read MoreRead Less

Next Story