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चंदन सोनार गैंग बिना फिरौती लिये किसी को नहीं छोड़ता…. लेकिन रायपुर पुलिस के सामने गिरोह खा गया गच्चा….इसी खूंखार किडनैपर्स गिरोह के चंगुल में फंसा था रायपुर का कारोबारी प्रवीण…पढ़िये इस गिरोह के करतूत

चंदन सोनार गैंग बिना फिरौती लिये किसी को नहीं छोड़ता…. लेकिन रायपुर पुलिस के सामने गिरोह खा गया गच्चा….इसी खूंखार किडनैपर्स गिरोह के चंगुल में फंसा था रायपुर का कारोबारी प्रवीण…पढ़िये इस गिरोह के करतूत
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By NPG News

रायपुर 23 जनवरी 2020।.…पिछले 24 घंटों से बिहार का चंदन सोनार गैंग खूब चर्चा में है। इसी गैंग ने रायपुर के कारोबारी प्रवीण सोमानी का अपहरण किया था। इस गैंग को देश का सबसे खूंखार किडनैपर्स गिरोह कहा जाता है। बिहार के इस गैंग का पूरे देश में सिक्का चलता है। महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, यूपी, बिहार, झारखंड में इस गैंग ने चार दर्जन से ज्यादा अपहरण की वारदात की है, जिनसे करीब 300 करोड़ से ज्यादा की वसूली की है।

इस गैंग में एक से बढ़कर एक खूंखार अपराधी जुड़े हैं, जिनका कनेक्शन ना सिर्फ बिहार बल्कि यूपी, कर्नाटक, बैंग्लोर, महाराष्ट्र, झारखंड , उड़ीसा, गुजरात, राजस्थान जैसे प्रदेशों से भी कनेक्शन जुड़ा है। चंदन सोनार गैंग के बारे में कहा जाता है कि ये गिरोह कभी भी बिना फिरौती लिये किसी को आजाद नहीं करता, हालांकि रायपुर के कारोबारी प्रवीण सोमानी के मामले में पुलिस की सक्रियता से उसका दांव उलटा पड़ गया।

इस गिरोह के बारे में एक बात जो पटना और मुज्जफरपुर में प्रचलित है, वो ये कि इस गिरोह में कई गैंग बने हैं, जिनका अलग-अलग गैंग लीडर है। उस गैंग लीडर के जिम्मे अलग-अलग राज्य की जिम्मेदारी होती है, हालांकि बड़े किडनैप में कई गैंग लीडर एक साथ हो जाते हैं। अपहरण के लिए इनकी सुनयोजित साजिश तैयार होती है। अपहरण के लिए कई प्वाइंट बनाये जाते हैं और हर प्वाइंट की तैयारी पर सरगना की नजर होती है। ये गिरोह हरपल अपना ठिकाना बदलता रहता है, वहीं तुरंत-तुरंत अपनी स्टैटजी बदलता रहता है।

दो साल पहले झारखंड की राजधानी रांची स्थित चुटिया के भाजपा नेता के बेटे और रिश्तेदारों के अपहरण में जिस चंदन सोनार गिरोह का नाम सामने आया है, वह बेहद शातिर अपराधी है. बिहार और झारखंड में अपहरण उद्योग चलाता है. इसके बारे में बताया जाता है कि जब तक फिरौती न वसूल कर ले, शिकार को छोड़ता नहीं. भले ही इसमें कितना ही वक्त क्यों न लग जाये.

बिहार और झारखंड पुलिस की नाक में दम कर देनेवाला चंदन हाजीपुर का रहनेवाला है. सूरत के हीरा व्यापारी के बेटे सोहैल हिंगोरा समेत कई लोगों का अपहरण कर उससे करोड़ों की फिरौती वसूल चुका है. अपहरण की वारदात को अंजाम देने के लिए चंदन स्थानीय लड़कों का इस्तेमाल करता है. जहां भी अपहरण करना होता है, वहां के स्थानीय लड़कों को अपने गिरोह में शामिल करता है.

मदन सिंह के बेटे और दो रिश्तेदारों के अपहरण के लिए भी उसने यही प्रक्रिया अपनायी. सबसे पहले अपने शागिर्द राकेश की मदद से चुटिया स्थित अमरावती कॉलोनी में रहनेवाले अतुल, विकास, रॉकी समेत छह युवकों को अपने गिरोह से जोड़ा. शिवम और उसके दो रिश्तेदारों के अपहरण में इन सभी का इस्तेमाल किया गया. इन्हीं युवकों ने अपहर्ताओं को सिम कार्ड उपलब्ध कराया.

इतना ही नहीं, आपराधिक छविवाले कई नेताओं से भी इसकी पहचान है, जिनकी मदद से यह गिरोह अपहरण उद्योग को सफलतापूर्वक संचालित करता है. कांग्रेस नेता अशोक सुंडी और आजसू नेता केसरी गुप्ता उसे ऐसे ही मददगार हैं. अशोक सुंडी वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव लड़ चुका है, जबकि केसरी गुप्ता रामगढ़ जिला कमेटी का उपाध्यक्ष रह चुका है. उसकी आपराधिक गतिविधियों के चलते ही उसे कमेटी से निकाल दिया गया.

झारखंड में चंदन सोनार का पहला शिकार गोमिया के व्यवसायी महावीर जैन बने थे. गिरोह ने 2008 में महावीर जैन का अपहरण किया था. इसके बाद रांची के जेवर व्यवसायी परेश मुखर्जी और लव भाटिया के अपहरण में भी उसकी संलिप्तता सामने आयी. वर्ष 2010 में चंदन पटना पुलिस के हत्थे चढ़ा, लेकिन वर्ष 2013 में जमानत पर छूटने के बाद वह फरार हो गया. रांची के चुटिया इलाके में आज भी उसके कई गुर्गे सक्रिय हैं.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि गुजरात के हीरा कारोबारी के बेटे सुहैल हिंगोरा को भी चंदन गिरोह ने फिरौती लेने के बाद ही छोड़ा था. दक्षिण गुजरात के उद्यमी हनीफ हिंगोरा के बेटे सुहैल को वर्ष 2013 के अक्तूबर में केंद्रशासित प्रदेश दमन से अगवा किया गया था. करोड़ों की फिरौती चुका कर नवंबर के अंतिम सप्ताह में सुहैल के परिवार ने उसे मुक्त करवाया था. बेटे की रिहाई के काफी दिनों बाद हनीफ ने स्वीकार किया था कि उन्होंने सुहैल की रिहाई के लिए फिरौती की रकम चुकायी थी.

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