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केंद्र सरकार का फिर विचित्र अंदाज.. एक जवाब में दो जवाब.. दोनों में विरोधाभास.. केंद्रीय सेवा में कितने प्रतिशत अजा/अजजा महिला कर्मी पता नहीं.. पर भर्ती अभियान चला उन्हें भरने के लिए समिति बनेगी

केंद्र सरकार का फिर विचित्र अंदाज.. एक जवाब में दो जवाब.. दोनों में विरोधाभास.. केंद्रीय सेवा में कितने प्रतिशत अजा/अजजा महिला कर्मी पता नहीं.. पर भर्ती अभियान चला उन्हें भरने के लिए समिति बनेगी
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By NPG News

नई दिल्ली,24 सितंबर 2020। केंद्र सरकार के लोकसभा में दिए जा रहे जवाब अजीब वर्ग पहेली हो जा रहे हैं, ऐसे प्रमेय जिसमें इति सिद्धम लिखा होता है पर सिद्ध क्या और कैसे यही समझ से परे हो जाता है। केंद्र सरकार ने एक सवाल के जवाब में जो जानकारी दी है, उसके दो भाग है, और दोनों ही एक दूसरे के विलोम हैं।
केंद्र सरकार से प्रश्न किया गया था कि, केंद्र सरकार की सेवाओं में मंत्रालय वार कुल कितने प्रतिशत अजा/अजजा की महिला कर्मचारी कार्यरत हैं, क्या इस वर्ग की महिलाओं की भर्ती के लिए कोई विशेष अभियान चलाने का प्रस्ताव है यदि हाँ तो ब्यौरा क्या है और नहीं तो कारण क्या है।
यह प्रश्न सीधे प्रधानमंत्री मोदी के विभाग से संबंधित था, जिसका जवाब कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के ज़रिए दिलवाया है। विभाग ने जवाब में लिखा है
“केंद्र सरकार की सेवाओं के संबंध में लिंगवार आँकड़ों का पृथक से रख रखाव नहीं किया जाता है। तथापि सभी मंत्रालयों/विभागों को बैकलॉग आरक्षित रिक्तियों की पहचान करने ऐसी रिक्तियाँ होने के मूल कारण का अध्ययन करने, ऐसी रिक्तियों के कारणों को दूर करने के उपाय शुरु करने और विशेष भर्ती अभियान के माध्यम से उसे भरने के लिए एक आंतरिक समिति गठित करने के निर्देश जारी किए गए हैं”
अब इस जवाब में दोनों ही जवाब एक दूसरे के बिलकुल विलोम हैं, और भर्तियों का रिकॉर्ड देखें तो दोनों ही जवाबों पर प्रश्न वाचक चिन्ह लग जाता है। बीते सालों में भर्तियाँ लगातार हुई हैं और जब भी भर्तियाँ हुई हैं ज़ाहिर है रोस्टर का पालन हुआ
है। रोस्टर का आशय हुआ कि जातिगत आधार पर आरक्षण, महिला के लिए आरक्षित यह सब किसी भी भर्ती में शामिल किए जाते ही हैं।
अब यदि आंकडे पता नहीं है तो भर्तियाँ कैसे होती रही हैं.. बग़ैर रिक्तियों की जानकारी के ही क्या भर्ती हो गई ? या कि केंद्र सरकार यह कहना चाह रही है कि भर्तियाँ हुई ही नहीं है और पद रिक्त हैं ? आख़िर फिर आंतरिक समिति जो कि गठित करने के निर्देश हैं वह यही पता करेगी।
मशहूर शायर मुनीर नियाजी का शेर याद आता है-
“ख़्याल जिसका था मुझे, ख़्याल में मिला मुझे”
“सवाल का जवाब भी..सवाल में मिला मुझे”

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