छत्तीसगढ़ में 14 मंत्रियों का मामला: कांग्रेस ने HC में दायर की याचिका, जानिए क्या है पूरा विवाद?
छत्तीसगढ़ कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या को लेकर कांग्रेस ने हाईकोर्ट में एक सिविल रिट याचिका दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि, 20 अगस्त को तीन मंत्रियों के शपथ लेने के बाद कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या संविधान की तय सीमा से ज्यादा है और यह संविधान का उल्लंघन है। यह मामला अभी हायकोर्ट में है और इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी।

Case of 14 ministers in Chhattisgarh: Congress filed a petition in HC, know what is the whole controversy?
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों मंत्रियों की संख्या को लेकर खूब बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका आरोप है कि, राज्य कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या संवैधानिक सीमा से ज़्यादा है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 164 (1A) के अनुसार, किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की कुल सीटों के 15% से ज़्यादा नहीं हो सकती। छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। इस हिसाब से मंत्रियों की अधिकतम संख्या 13.50 होती है, जिसका मतलब है कि मुख्यमंत्री सहित कुल 13 मंत्री ही हो सकते हैं। लेकिन, हाल ही में तीन और मंत्रियों के शपथ लेने के बाद राज्य में मंत्रियों की कुल संख्या 14 हो गई है। कांग्रेस का आरोप है कि यह संविधान का सीधा-सीधा उल्लंघन है।
कांग्रेस ने HC में क्यों डाली याचिका?
कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर 14वें मंत्री राजेश अग्रवाल की नियुक्ति को चुनौती दी है। कांग्रेस का कहना है कि यह नियुक्ति असंवैधानिक है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
इससे पहले भी, रायपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता बसदेव चक्रवर्ती ने भी इसी मुद्दे पर एक जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो सीधे तौर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और राज्यपाल डेका पर संविधान के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है।
सरकार का क्या कहना है?
दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि, सरकार ने सभी संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया है। उन्होंने हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार संविधान का पालन करती है, जबकि कांग्रेस का इतिहास हमेशा से संविधान को तोड़ने-मरोड़ने का रहा है। आपको बता दें कि, यह मामला अभी हाईकोर्ट में है, और इस पर सुनवाई चल रही है। अब देखना यह है कि कोर्ट का फैसला क्या आता है।
