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कैप्टन ने टिकाया इस्तीफ़ा तो घंटों बाद भी नए सीएम पर फ़ैसला नहीं कर पा रही कांग्रेस.. सुनील जाखड़ पर रंधावा का खुला विरोध.. हिंदु नही जाट सिख बने सीएम..

कैप्टन ने टिकाया इस्तीफ़ा तो घंटों बाद भी नए सीएम पर फ़ैसला नहीं कर पा रही कांग्रेस.. सुनील जाखड़ पर रंधावा का खुला विरोध.. हिंदु नही जाट सिख बने सीएम..
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By NPG News

चंडीगढ़,19 सितंबर 2021। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चिर परिचित तेवर के साथ इस्तीफ़ा तो दिया ही, साथ ही पंजाब में कांग्रेस के भविष्य को लेकर सबका बीपी बढ़ा दिया है। G-23 के नाम से पहचाने जाने वाले नेता हों सबने चिंता और अप्रसन्नता को जताने वाले इशारे किए हैं तो वहीं राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पत्र नुमा एक नोट सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह से शांत रहने और कांग्रेस के हित में काम करते रहने की अपेक्षा की है।इधर कांग्रेस आलाकमान कैप्टन के इस्तीफ़े के क़रीब बीस घंटे बाद भी अगला सीएम कौन इस पर फ़ैसला नहीं कर पाया है।

यह क्या ही कम दिलचस्प है कि जिस उच्च स्तरीय बैठक में आलाकमान नए सीएम पर विचार करने की कवायद में था, उस बैठक में देर तक मंत्रणा होती रही कि कैप्टन को शांत कैसे किया जाए।
केवल 21 बरस की उम्र में कांग्रेस से जुड़ी, और संजय गांधी से बेहद नज़दीक होते हुए युकां की पहली महिला अध्यक्ष बनीं, संजय गांधी से नज़दीकी अब गांधी परिवार से नज़दीकी में तब्दील है, और जिस बैठक में पंजाब पर आलाकमान गंभीर मंत्रणा कर रहा था उसमें वे मौजुद थीं। बताया जाता है इसी बैठक में उन्होंने पंजाब के सीएम पद की कुर्सी को लेकर दो टूक “नही” कह दिया।

अंबिका सोनी जो कि, सवाल उठना लाज़िम है कि यदि कैप्टन से इस्तीफ़ा लेना था यह तय था तो अगला सीएम कौन यह भी तय रहा ही होगा, क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर यदि किसी ने यह अपेक्षा तो शायद ही की होगी कि, वे चिरौरी करेंगे, अपने तल्ख तेवर के साथ कैप्टन बने रहे और उन्होंने ये शब्द इस्तीफ़े के बाद जो कहे वो बिलाशक किसके लिए थे यह समझना मुश्किल नही है. कैप्टन अमरिंदर ने कहा
”मैंने इस्तीफ़ा दे दिया है.. अब बना लें जिसे सीएम बनाना हो”

तो सवाल यही आ रहा है कि जब इस्तीफ़ा कराना था तो ज़ाहिर है कैप्टन के बाद कौन यह तैयारी तो रही ही होगी फिर पेंच कहाँ फंसा है कि सत्रह से बीस घंटे के दरमियानी वक्त में भी कांग्रेस किसी नाम पर कोई मुहर नहीं लगा पा रही है।
इसके लिए विधायक दल की कल शाम पाँच बजे की बैठक पर नज़र डालनी होगी जिसे लेकर गजब की चुप्पी है। खबरें हैं कि जिस सुनील जाखड़ को लेकर सर्वमान्य का भान था, उन्हें लेकर सुखविंदर सिंह रंधावा ने बिल्कुल जुदा तेवर अपना लिया, मीडिया रिपोर्ट कहती है कि रंधावा ने बतौर मुख्यमंत्री हिंदु को स्वीकारने पर आपत्ति की और किसी जाट सिख को सीएम बनाने की बात पर अड़ गए।

कांग्रेस की त्रयी केंद्रीय महाशक्तियों में से दो के परम प्रिय और कारआमद साबित हुए नवजोत सिंह सिद्धू जिनका ज़िक्र होते ही भारत के प्रति स्थाई शत्रु भाव से ग्रस्त पाकिस्तान के पीएम इमरान के शपथ ग्रहण समारोह में उनकी गर्मजोशी से भरी तस्वीरें और भारत के विरुद्ध पाकिस्तान प्रायोजित हर षड़यंत्र में अहम भूमिका रखने वाले बाजवा को गलबहियां करती तस्वीरें नुमाया होती हैं, उन सिद्धू ने भी सुनील जाखड़ को लेकर रवैया बदला और रंधावा के अंदाज को मौन समर्थन दे दिया। ज़ाहिर है खुद सिद्धू भी सीएम बनना चाहते हैं, और वे ना भी बनें तो “हिंदू नहीं” का कार्ड छेड़कर आखिरकार पंजाब को वर्ग संप्रदाय के अप्रिय संघर्ष की पुनरावृत्ति करते हुए भी यदि आगे चलकर उन्हें सीएम की गद्दी मिलती है तो राजनीति में इसे बुरा कोई थोड़े ही कहेगा।

इन सब अगर मगर किंतु परंतु के बीच फ़िलहाल आलाकमान नए सीएम की तलाश में माथापच्ची कर रहा है, जिसमें नए सीएम के नाम पर चर्चा में कैप्टन कैसे शांत रहें यह मसला भारी पड़ जा रहा है।
बहरहाल अब नेता के चुनाव के लिए विधायक दल की कोई बैठक नहीं होनी है। जो बैठक दोपहर होनी थी वो टल गई क्योंकि यह बैठक भी नेता का चुनाव नहीं करती बल्कि जो नाम आलाकमान तय करता उस पर मंजुरी की औपचारिकता पूरी करती। अब यह बैठक तब होगा जबकि नाम तय हो जाएगा और सारे अगर मगर किंतु परंतु को दरकिनार कर फ़ैसला तो करना ही होगा, वो भी बेहद जल्द।

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