मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी पुण्य भूमि का परम सौभाग्य है कि राम हमारे भांजे हैं और उनकी कर्मभूमि भी छत्तीसगढ़ है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के सीतामढ़ी हरचौका से लेकर सुकमा के इंजरम तक कण-कण राम के वनवास काल का साक्षी है। हमारी धरती, माता शबरी की पुण्य भूमि है। पवित्र शिवरीनारायण धाम में उन्होंने अपनी अगाध श्रद्धा से जूठे बेर प्रभु को खिलाए थे। वनवास के दौरान बिताए गए चौदह वर्षों में से दस वर्ष प्रभु राम ने हमारे छत्तीसगढ़ में ही बिताए हैं। रामायण के प्रसंग जनजातीय लोगों से प्रभु राम के अद्भुत स्नेह तथा प्रभु राम के जनजातीय लोगों के प्रति गहन अनुराग और समर्पण से भरे पड़े हैं। हम जब भी इन प्रसंगों को सुनते हैं, भाव विभोर हो जाते हैं। हम धन्य हैं कि हमारा जन्म इस पुण्य भूमि में हुआ है। यह सौभाग्य हमें राम के आदर्शों पर चल कर निरंतर काम करने की प्रेरणा देता है।
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