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कांग्रेस जैसी किसी राष्ट्रीय पार्टी के लिए जब वो सीट बनने के बाद दूसरा ही चुनाव जीत चुकी हो, चार बार लगातार एक ही लोकसभा सीट से चुनाव हारना झटके से कम नहीं था। लेकिन रणनीति बदलकर 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने लक्ष्मण कर्मा को नए उम्मीदवार के रुप में मैदान में उतारा। उन्होंने जनता पार्टी के समारु राम परगनिया को हराकर जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। कांग्रेस ने इसके बाद अगले तीन लोकसभा चुनाव बड़े अंतर से जीता। 1984 से लेकर 1996 तक के तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मनकूराम सोढ़ी यहां से से प्रत्याशी बने और तीनों ही बार यहां से जीत दर्ज की। 1984 में सीपीआई नेता महेंद्र कर्मा, 1989 में बीजेपी के संपत भंडारी और 1991 में बीजेपी उम्मीदवार राजाराम तोडेम को मनकूराम सोढ़ी ने हराया।
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