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Rural Consumption Growth 2025: गांवों में बढ़ी खपत, शहरों से आगे निकला ग्रामीण भारत, जानिए क्यों गांव वाले शहरों से ज्यादा कर रहे हैं खर्च?
Rural Consumption Growth 2025: Motilal Oswal की नई रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत में खपत 7.7% की दर से बढ़ी है, जो 17 तिमाहियों में सबसे तेज़ है। जानिए क्यों गांवों की जेब अब शहरों से ज्यादा खर्च कर रही है।

Motilal Oswal Report Highlights : भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वक़्त एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिल रहा है। जहां पहले खपत (Consumption) का की बागडोर शहरों के हाथ में थी तो अब तस्वीर पूरी तरह बदल गई है गांवों की रफ्तार शहरों से आगे निकल रही है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की नई इकोस्कोप रिपोर्ट Rural Rules, Urban Follows के मुताबिक ग्रामीण भारत में खपत पिछले 17 तिमाहियों में सबसे तेज़ गति से बढ़ी है।
शहरों को बढ़ावा, लेकिन गांवों में तेज़ी क्यों?
सरकार ने शहरी उपभोग को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए है जैसे आयकर में कटौती, जीएसटी सुधार और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश। इसके बावजूद ग्रामीण भारत की खपत में ज्यादा उछाल देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में ग्रामीण खपत 7.7% की दर से बढ़ी है जो पिछले चार सालों में सबसे ऊंचा स्तर है। रिपोर्ट के अनुसार, यह ट्रेंड FY25 की दूसरी छमाही से लगातार बना हुआ है।
ग्रामीण खपत बढ़ने के चार बड़े कारण
♦ आय गारंटी योजनाएं: मनरेगा और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं ने ग्रामीण आमदनी को स्थिर बनाए रखा।
♦ बेहतर मानसून: अच्छी बारिश से फसलों की पैदावार बढ़ी और खेती पर निर्भर आय में सुधार हुआ।
♦ आसान लोन मिलना: एनबीएफसी (NBFCs) ने गांवों में माइक्रो और एग्रो लोन की पहुंच आसान की, जिससे खर्च करने की क्षमता बढ़ी।
♦ कम लागत और स्थिर एमएसपी: खेती की लागत कम रहने और एमएसपी स्थिर रहने से किसानों का नेट इनकम बढ़ा।
किन क्षेत्रों में दिखा सबसे ज्यादा सुधार?
♦ ऑटो और ज्वेलरी सेक्टर: ग्रामीण बाजारों में टू-व्हीलर और छोटे ऑटो सेगमेंट की बिक्री में उछाल आया है। शादी और त्योहारों के सीजन में ज्वेलरी की डिमांड बढ़ी है।
♦ एफएमसीजी और फुटवियर: इन क्षेत्रों में मिला-जुला प्रदर्शन रहा, लेकिन ग्रामीण इलाकों में लो-कॉस्ट प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ी है।
♦ रिटेल और मॉल्स: ई-वे बिल और पेट्रोल खपत जैसे संकेतक बताते हैं कि ग्रामीण ग्राहक अब भी बाजार में एक्टिव हैं।
शहरी खपत में सुस्ती
शहरी क्षेत्रों में भी धीरे-धीरे सुधार के संकेत हैं। त्योहारों से पहले पेट्रोल की मांग, ई-कॉमर्स ऑर्डर और इंपोर्ट डेटा में बढ़ोतरी दिखी है। रिपोर्ट के मुताबिक, FY26 की तीसरी तिमाही में शहरी खपत में रफ्तार लौट सकती है खासकर लग्जरी और गैर-जरूरी सामानों (discretionary goods) में।
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