चेन्नई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखेगी और अगले महीने होने वाली बैठक में अपना रुख नहीं बदलेगी। मुद्रास्फीति औसतन पूरे साल के लिए 5.5 फीसदी रहेगी। ऐसा विशेषज्ञों ने कहा है।
उन्होंने कहा, अक्टूबर में मुद्रास्फीति दर घटकर 4.7 प्रतिशत हो गई है, लेकिन फिर भी केंद्रीय बैंक रेपो दर में संशोधन नहीं करेगा। वह महंगाई को लेकर चौकन्ना है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने आईएएनएस को बताया, “हम आगामी नीति में रेपो रेट और रुख दोनों पर यथास्थिति की उम्मीद करते हैं। मुद्रास्फीति चिपचिपी विकेट पर है, विशेष रूप से खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय बनी हुई है। अनाज और सब्जी दोनों के दाम बढ़ रहे हैं। पूरे साल के लिए मुद्रास्फीति औसतन 5.5 प्रतिशत होगी। इसलिए रेपो दर में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है।
उनके मुताबिक, राहत देने वाली बात ये है कि कोर इंफ्लेशन कम रहेगी। इस साल नवंबर के लिए आरबीआई के 'अर्थव्यवस्था की स्थिति' मासिक बुलेटिन का हवाला देते हुए श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष उमेश रेवनकर ने कहा कि इससे कम दर व्यवस्था की वापसी की उम्मीद जगी है।
रेवनकर ने कहा, लेकिन सिस्टम में तरलता को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई द्वारा उपभोक्ता ऋण, क्रेडिट कार्ड प्राप्य और एनबीएफसी एक्सपोजर पर जोखिम भार 25 प्रतिशत अंक बढ़ाकर 125 प्रतिशत तक कर दिया गया है। आरबीआई मुद्रास्फीति पर अपनी निगरानी जारी रखना चाहता है।
उन्होंने कहा, एमपीसी रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखेगी क्योंकि इसका लक्ष्य प्रणाली में तरलता को नियंत्रित कर मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत मध्यम अवधि के लक्ष्य के आसपास स्थिर करना है।
रेवनकर ने कहा, "हमें उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत तक दरों में कोई कटौती नहीं होगी।