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जानिए NEFT, RTGS और IMPS के बीच का अंतर, ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर होने में कितना लगता है समय, क्या है चार्ज?

NEFT, RTGS और IMPS जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम के आ जाने के बाद पैसे को तत्काल कहीं भी कभी भी भेजा जा सकता है। आज हम आपको बताएंगे कि NEFT, RTGS और IMPS के बीच क्या अंतर है?

जानिए NEFT, RTGS और IMPS के बीच का अंतर, ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर होने में कितना लगता है समय, क्या है चार्ज?
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By Pragya Prasad

रायपुर। डिजिटल पेमेंट करते वक्त NEFT, RTGS और IMPS शब्द का बहुत अधिक इस्तेमाल होता है। आजकल बड़ी संख्या में बैंक, प्राइवेट कंपनियां और सरकारी निकाय कई तरह के पेमेंट सिस्टम जैसे NEFT, RTGS और IMPS को अपनाने लगे हैं। इससे ऑर्गनाइजेशन, उसके कस्टमर्स और अन्य संबंधित लोगों के बीच की खाई कम हुई है।

भारत में ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने के कई माध्यम हैं, जैसे डिजिटल वॉलेट, UPI और इंटरनेट बैंकिंग। सबसे ज्यादा उपयोग होता है-

  • नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रान्सफर (NEFT)
  • रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS)
  • इमीडिएट मोबाइल पेमेंट सर्विस (IMPS)

NEFT और RTGS को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लॉन्च किया था। वहीं IMPS को नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने लॉन्च किया था।

  • RTGS और NEFT दो अलग-अलग अवधारणाओं पर आधारित हैं : सकल और शुद्ध निपटान।
  • बड़ी मात्रा में धन के वास्तविक समय के हस्तांतरण के लिए RTGS अच्छा ऑप्शन है, जबकि NEFT छोटी रकम वाले ट्रांसफर के लिए अच्छा विकल्प है, जहां तत्काल भुगतान की कोई जरूरत नहीं है।
  • NEFT और RTGS के जरिए सुरक्षित भुगतान होता है। इन दोनों से भारत के कैशलेस और डिजिटल अर्थव्यवस्था में ट्रांजैक्शन तेज हुआ है।

NEFT के बारे में जानिए

राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (National Electronic Funds Transfer) वन-टू-वन मनी ट्रांसफर सिस्टम है। आप NEFT का इस्तेमाल एक बैंक शाखा से दूसरे बैंक में पैसा भेजने के लिए कर सकते हैं। हालांकि IMPS की तुलना में NEFT से पैसा ट्रांसफर होने में अधिक समय लगता है।


लेनदेन को बैचों में प्रोसेस किया जाता है

NEFT एक ऐसी भुगतान प्रणाली है, जो लोगों और व्यवसायों को एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में इलेक्ट्रॉनिक रूप से धन ट्रांसफर करने की अनुमति देती है। ये 2005 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पेश किया गया था। NEFT एक अस्थगित शुद्ध निपटान (net settlement) के आधार पर संचालित होता है, जिसका अर्थ है कि लेनदेन को बैचों में प्रोसेस किया जाता है और बैच के अंत में धनराशि का निपटान किया जाता है। एनईएफटी लेनदेन के लिए न्यूनतम राशि 1 रुपये है और इसके लेनदेन के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है।


NEFT के जरिए फंड ट्रांसफर उसी समय में नहीं होता है। हर आधे घंटे में NEFT के फंड ट्रांसफर बैच रिलीज़ होते हैं, जिसमें जिन भी लोगों ने पिछले आधे घंटे में अपने अकाउंट से फंड ट्रांसफर किया है, वो पैसे दूसरे अकाउंट तक पहुंचते हैं। आप जब भी NEFT से ट्रांसफर करते हैं, उसके आधे घंटे बाद वो ट्रांसफर पूरा हो जाता है।

NEFT लेनदेन के लिए भुगतान शुल्क कम

NEFT लेनदेन के लिए लेनदेन शुल्क अन्य भुगतान प्रणालियों की तुलना में बहुत कम है, जो इसे व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है। NEFT का ये फायदा है कि ये एक सुरक्षित भुगतान प्रणाली है। सिस्टम यह सुनिश्चित करने के लिए एन्क्रिप्शन और डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करता है कि धन का ट्रांसफर सुरक्षित और गोपनीय है। यह जोखिम को कम करता है और धोखाधड़ी से बचाने में मदद करता है।

NEFT लेनदेन के लिए टाइमिंग

NEFT में ट्रांजैक्शन सोमवार से शनिवार सुबह 8 बजे से शाम 6:30 बजे तक होता है। आरबीआई के अनुसार, एनईएफटी लेनदेन 10,000 रुपये तक प्रति लेनदेन पर 2.50 रुपये फीस है, 10,000 से 1 लाख के लिए 5 रुपये फीस है, 1 लाख से 2 लाख तक 15 रुपये फीस और 2 लाख से ऊपर के लेनदेन के लिए 25 रुपये फीस है।

RTGS के बारे में जानिए

रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) के जरिए फंड ट्रांसफर करने से पैसा उसी समय ट्रांसफर हो जाता है। RTGS मुख्य रूप से अधिक राशि वाले ट्रांसफर के लिए है, जिन्हें तुरंत पहुंचाना है। अधिकतर व्यावसायिक घंटों के दौरान ही RTGS लेनदेन किया जाता है। ये पेमेंट मेथड ग्रॉस सेटलमेंट विचार पर आधारित है, जिसमें वास्तविक समय में प्राप्तकर्ता के खाते में भुगतान जमा किया जाता है।

आरटीजीएस लेनदेन के लिए न्यूनतम राशि 2 लाख रुपये

इसे 2004 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पेश किया गया था। आरटीजीएस लेनदेन के लिए न्यूनतम राशि 2 लाख रुपये है और इसकी कोई अधिकतम सीमा नहीं है। आरटीजीएस लेनदेन शुरू करने के लिए भेजनेवाला लाभार्थी का बैंक खाता नंबर और बैंक का आरटीजीएस कोड देना होगा। भेजनेवाले का बैंक तब लाभार्थी के बैंक को धन के हस्तांतरण के लिए अनुरोध भेजता है। अनुरोध मिलने बाद लाभार्थी का बैंक विवरण की पुष्टि करता है और लेनदेन की प्रक्रिया करता है।

RTGS में ट्रांजैक्शन के लिए टाइमिंग

RTGS वन टू वन आधार पर संचालित होता है, जिसका अर्थ है कि हरेक लेन-देन को व्यक्तिगत रूप से संसाधित किया जाता है और किसी अन्य लेन-देन से नहीं जोड़ा जाता है। इसका अर्थ है कि निधियों का निपटान व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। RTGS में ट्रांजैक्शन सप्ताह के दिनों में सुबह 9 बजे से शाम 4.30 बजे तक और शनिवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक होता है।

RTGS उच्च लागत वाली भुगतान प्रणाली

RTGS के कई फायदे के अलावा इसके कुछ नुकसान भी हैं। RTGS एक उच्च लागत वाली भुगतान प्रणाली है। आरटीजीएस लेन-देन को संसाधित करने की लागत अन्य इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियों को प्रोसेस करने की लागत से कहीं अधिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सिस्टम को हाई क्वालिटी की सुरक्षा और विश्वसनीयता की जरूरत होती है, जिससे लेन-देन की लागत बढ़ जाती है। बैंक अकाउंट वालों के लिए सीमा 10 लाख रुपये प्रति लेनदेन है, जिसमें लेनदेन की संख्या की कोई सीमा नहीं है। वहीं जिनका बैंक अकाउंट नहीं है उनके लिए लिमिट 50,000 रुपये तक है।

RTGS लेनदेन के लिए फीस

आरटीजीएस के मामले में 2 लाख से 5 लाख तक लेनदेन के लिए 25-30 रुपये फीस और 5 लाख से ऊपर के लेनदेन के लिए 55-55 रुपये फीस है। वहीं ये चार्ज प्रत्येक बैंक में अलग-अलग हो सकता है।

IMPS के बारे में जानिए

इमीडिएट मोबाइल पेमेंट सर्विसेज़ (IMPS) ऑनलाइन फंड ट्रांसफर सिस्टम है, जिसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया मैनेज करती है। इसके जरिए फंड ट्रांसफर करने से पैसा उसी समय ट्रांसफर हो जाता है। IMPS पूरे साल चौबीसों घंटे उपलब्ध रहता है, जबकि NEFT और RTGS ये सुविधा नहीं देते हैं।

NEFT, RTGS और IMPS से फंड ट्रांसफर करने के लिए भेजने वाले के पास उस अकाउंट की जानकारी होनी चाहिए, जिसे राशि ट्रांसफर की जानी है।

Pragya Prasad

पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव। दूरदर्शन मध्यप्रदेश, ईटीवी न्यूज चैनल, जी 24 घंटे छत्तीसगढ़, आईबीसी 24, न्यूज 24/लल्लूराम डॉट कॉम, ईटीवी भारत, दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने के बाद अब नया सफर NPG के साथ।

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