Israel-Iran Conflict: Strait of Hormuz क्या है, इसकी नाकाबंदी से दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी है। इजराइली हमलो के बाद ईरान ने ये निर्णय लिया है। यह पहली बार नहीं है जब ईरान ने ऐसा किया हो, जलडमरूमध्य क्या है आइए समझ लेते हैं। जलडमरूमध्य दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण तेल पारगमन चेकपॉइंट है जिससे व्यापार पर प्रतिबंध लग सकता है और वैश्विक तेल की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है।

Israel-Iran Conflict: ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी है। इजराइली हमलो के बाद ईरान ने ये निर्णय लिया है। यह पहली बार नहीं है जब ईरान ने ऐसा किया हो, जलडमरूमध्य क्या है आइए समझ लेते हैं। जलडमरूमध्य दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण तेल पारगमन चेकपॉइंट है जिससे व्यापार पर प्रतिबंध लग सकता है और वैश्विक तेल की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है। इस क्षेत्र से बड़ी संख्या में तेल का पारगमन होता है। होर्मुज जलडमरूमध्य लगभग 161 किलोमीटर लंबा और 33 किलोमीटर चौड़ा है, जिसमे शिपिंग लेन बनी हुई है। इसके जरिए हर रोज 20 मिलियन बैरल तेल और तेल उत्पादों का परिवहन होता है। जो वैश्विक कच्चे तेल के व्यापार का 21 प्रतिशत है। कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और इराक अधिकांश तौर पर कच्चे तेल का निर्यात यही से करते हैं। बहुत से लोग इसे दुनिया की तेल धमनी भी कहते हैं।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिए हैं कि किसी भी तरह के प्रतिबंध से व्यापार में फर्क पड़ेगा। दुनिया भर में तेल की कीमतों में इजाफा होगा। खाड़ी देशों से पेट्रोल का आयात करने वाले देश इससे ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि जलडमरूमध्य के बंद होने से तेल की आपूर्ति में भी असर दिखेगा। खाड़ी देशों से पेट्रोल का आयात ना करने वाले देशों पर भी इसका खासा प्रभाव पड़ेगा। जलडमरूमध्य के बंद होने से आपूर्ति में बड़ी गिरावट होगी। हालांकि ईरान के द्वारा लिए गए निर्णय से इजराइल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इजराइल की लगभग 2 लाख 20 हजार बैरल कच्चे तेल की खपत भूमध्य सागर के रास्ते से होती है।
भारत में क्या होगा असर-
भारत भी कच्चे तेल का आयात होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से ही करता है, 70 प्रतिशत कच्चा तेल का और 40 प्रतिशत एलएनजी की आपूर्ति इसी रास्ते से होती है। इसलिए अगर नाकेबंदी की जाती है तो भारत को काफी नुकसान हो सकता है। भारत में तेल और गैस की कीमतें बढ़ेंगी जो घरेलू मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती है परिवहन और खाद्य के क्षेत्र में इसका ज्यादा असर देखने को मिल सकता है। बढ़ते आयात बिल से चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है और रूपया कमजोर हो सकता है। टायर, विमानन, विनिर्माण और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में लागत में वृद्धि संभावित है। हालांकि भारत के पास सामरिक तेल भंडार जरूर है लेकिन ये अल्पकालिक आपूर्ति है जो सिर्फ संकट के समय में काम आने के लिए बनाए गए हैं। क्षेत्रीय युद्ध से उत्पन्न होने वाली बाधाओं के लिए भारत के पास पर्याप्त तेल भंडारण नहीं हैं।
