विक्टोरिया गौरी को जस्टिस बनाने के खिलाफ लगी याचिका हुई खारिज, चलती बहस के बीच उन्होंने ली शपथ
एनपीजी डेस्क। मद्रास हाईकोर्ट में विक्टोरिया गौरी को जस्टिस के पद पर नियुक्ति देने के विरोध पर वहां के कुछ वकीलों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका आज खारिज हो गई। चलती बहस के बीच ही गौरी ने मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस के रूप में शपथ ले ली। उन्हें भाजपा माइंडसेट का बताकर मद्रास के अधिवक्ता रामचंद्रन व कुछ अन्य नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, और अर्जेंट सुनवाई कर उन्हें जस्टिस बनाने से रोकने की मांग की थी। सुनवाई में उन्होंने बताया था कि विक्टोरिया भाजपा माइंडसेट की है और कई हेट स्पीच दे चुकी है।
सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस बीआर गवई की बेंच में हुई। सुनवाई में जजों की बेंच ने कहा कि उन्होंने 2012 से 18 ले बीच हेट स्पीच दी थी। इसे कालेजियम ने देखा होगा, इसके साथ ही उन्होंने याचिका खारिज कर दी। एल विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट का जज बनाए जाने के लिए कॉलेजियम ने हरी झंडी दी थी जिसके बाद मद्रास के अधिवक्ता रामचंद्रन व बाईस अधिवक्ताओं ने उनकी जस्टिस के रूप में में नियुक्ति रोकने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में अधिवक्ताओं ने बताया था कि गौरी भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव है। उनका माइंडसेट भाजपा का है उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि इस्लामिक आतंक हरा आतंक है तो क्रिश्चियानिटी आतंक सफेद आतंक है, दोनों में धर्मांतरण खासतौर पर लव जिहाद के मामले में समान रूप से खतरनाक है। विक्टोरिया गौरी ने कहा था ईसाई गीतों पर भरत नाट्यम नही किया जाना चाहिए। भगवान नटराज के आसन की तुलना ईसा मसीह से कैसे की जा सकती है। सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा यह जो भी बयान दिए गए थे ये 2012 से लेकर 2018 तक के थे इसे कॉलेजियम ने देखा होगा और एजेंसियों से साझा भी किया होगा।
अधिवक्ताओं ने उनके पॉलीटिकल बैकग्राउंड का मुद्दा भी सुनवाई में उठाया। जिस पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जज बनने से पहले मैं भी राजनीतिक पृष्ठभूमि में था, मैं 20 साल से न्यायाधीश हु, पर कभी मेरा पॉलीटिकल बैकग्राउंड मेरे काम के आड़े नहीं आया। जिस पर अधिवक्ताओं ने कई ऐसे जजों के नाम गिनाए जिनका पूर्व पॉलीटिकल बैकग्राउंड रहा है, और उन्होंने कहा कि सवाल पॉलिटिकल पर बैकग्राउंड का नहीं है बल्कि हेट स्पीच का मामला है, यह ऐसी चीज है जो पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है, इसी के चलते गौरी शपथ लेने के लिए अयोग्य हो जाती हैं। इसके साथ ही अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि मामला मद्रास हाई कोर्ट की नजर में था फिर भी 10 बजकर 35 मिनट पर शपथ ग्रहण रखा गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट 10:30 से मामले की सुनवाई करने वाला था, तो क्या अदालत 5 मिनट पर फैसला करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने शपथ से 5 मिनट पहले सुनवाई शुरू की है, तो क्या 5 मिनट में इतने बड़े मामले में कोर्ट निर्णय ले लेगा इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इधर उधर की बातें करने का कोई मतलब नहीं रह जाता, हम कॉलेजियम को गाइड नहीं कर सकते कि जजों का चुनाव कैसे हो,और हम कॉलेजियम को निर्देश भी नहीं दे सकते कि वो फिर से विचार करें। जस्टिस खन्ना ने आगे कहा कि पहले भी ऐसे मौके आए हैं जब पॉलीटिकल बैकग्राउंड वाले सुप्रीम कोर्ट में जज बने हैं जस्टिस संजीव खन्ना ने आगे कहा कि गौरी के कमेंटस कॉलेजियम ने निश्चित तौर पर विचार किया होगा। इसके साथ ही 22 मिनट चली सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी गई।
इधर विक्टोरिया गौरी ने न्यायाधीश के पद पर शपथ:-
वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट गौरी का पूरा नाम लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी है। उन्हें आज मद्रास हाई कोर्ट के एडिशनल जज के तौर पर शपथ ग्रहण करवाया गया है. एक तरफ उनके जस्टिस बनने के खिलाफ लगाई गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी, दूसरी तरफ उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर शपथ ले लिया। शपथ ग्रहण के बाद केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने फिटकरी के नियुक्ति को केंद्र से मिली मंजूरी की जानकारी दी है।