Begin typing your search above and press return to search.

Tarkash: 20 साल बाद...

छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित वरिष्ठ पत्रकार संजय के. दीक्षित का 14 साल से निरंतर प्रकाशित पोपुलर वीकली कॉलम तरकश

Tarkash: 20 साल बाद...
X
By NPG News

संजय के. दीक्षित

तरकश, 26 फरवरी 2023

20 साल बाद...

कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले 2003 में बीजेपी की राष्ट्रीय राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक रायपुर में हुई थी। तब केंद्र में एनडीए की सरकार थी। अटलजी प्रधानमंत्री थे। लालकृष्ण आडवाणी गृह मंत्री। उस समय प्रधानमंत्री, गृह मंत्री से लेकर देश भर से बीजेपी कार्यकारिणी के नेता रायपुर आए थे। चूकि वह सिर्फ कार्यकारिणी की बैठक थी, सो वीआईपी रोड के एक बड़े होटल में हो गई। उसके बाद 19 साल तक रायपुर में राष्ट्रीय स्तर का कोई सियासी आयोजन नहीं हुआ। और हुआ तो सीधे राष्ट्रीय अधिवेशन। राज्य बनने के 23 साल का यह पहला बड़ा पॉलीटिकल शो होगा। असम की पुलिस ने इस शो को और हिट कर दिया। विदित है, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को पुलिस ने फ्लाइट से उतार कर गिरफ्तार कर लिया। उस दोपहर से लेकर शाम को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने तक खेड़ा और रायपुर अधिवेशन सुर्खियों में रहा। अलबत्ता, घंटे भर तक रायपुर अधिवेशन टॉप पर ट्रेंड करता रहा...लोग रायपुर को सर्च करते रहे। हालांकि, 2003 की बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक को उस समय की कांग्रेस सरकार ने हिट कर दिया था। पुराने लोगों को याद होगा...कार्यसमिति की बैठक के दिन केंद्र सरकार की नाकामियों का विज्ञापन तमाम अखबारों के पहले पन्ने पर थे। और यह सियासी अदावत चर्चा का विषय बन गया था।

भूपेश का छक्का

ये अलग बात है कि सीएम भूपेश बघेल भौरा चलाते हैं...गेड़ी चढ़ते हैं मगर क्रिकेट उनका पंसदीदा खेल है। वे क्रिकेट खेलते भी रहे हैं। सियासत के क्रिकेट में भी उनका कोई जवाब नहीं है। आखिरी बॉल तक संघर्ष करने वाला कैप्टन। साल भर पहिले तक उनकी सियासी स्थिति क्या रही और अभी देखिए...। दिल्ली में सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी से मिलने के लिए नेताओं को टाईम मिलना मुश्किल भरा काम होता है, पार्टी की ऐसी हस्तियां तीन दिन से रायपुर में हैं और सीएम भूपेश उनकी मेजबानी कर रहे हैं। यह अतिश्योक्ति नहीं होगी कि राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित कर सीएम भूपेश ने पार्टी में अपनी लकीर काफी लंबी कर ली है।

राजेश मूणत कौन...

राष्ट्रीय आयोजन की भव्यता को देखकर रायपुर में लोग पूछ रहे हैं कि कांग्रेस का राजेश मूणत कौन हैं? दरअसल, रमन सिंह के सीएम रहने के दौरान मंत्री राजेश मूणत को उनका हनुमान कहा जाता था। वे लंबे समय तक पीडब्लूडी और परिवहन मंत्री रहे...जाहिर तौर पर तमाम बड़े आयोजनों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर होती थी। रमन सरकार के 15 साल में जितने बड़े आयोजन हुए, मूणत ही खड़े होकर मंच से लेकर पंडाल और खाने की व्यवस्था करते दिखे। लेकिन, कांग्रेस का मूणत रमन सिंह के मूणत से आगे निकल गया। नवा रायपुर के अधिवेशन की भव्यता देखकर हर आदमी दंग है...लजीज भोजन। वो भी ऐसा नहीं कि नाश्ता, लंच और डिनर का कूपन देकर पल्ला झाड़ लिए। भोजन की तारीफ भी खूब हो रही है। कोई लिमिट भी नहीं...चाय-बिस्किट, भजिया, पकौड़ा तो किसी भी टाईम जाइये...एवेलेवल मिलेगा। बहरहाल, दूसरों के घरों में क्या हो रहा है, यह जानने की स्वाभाविक बेचैनी होती है। सो, लोग यह नहीं समझ पा रहे कि इतना भव्य आयोजन कराया किसने। राजेश मूणत की खाना बनवाते हुए तस्वीरें मीडिया में आ जाती थी। इस बार ऐसा कुछ हुआ नहीं। चुपचाप सारा काम होता रहा। सीएम भूपेश बघेल मीडिया से बड़ा फेंडली हैं। कोई बड़ा आयोजन होता है तो मीडिया को बुलाकर खुद ब्रीफ करते हैं। मगर इस बार ऐसा कुछ भी नहीं। कांग्रेस में इतना बढ़िया व्यवस्था करने वाला राजेश मूणत कौन है, आपको पता चले तो हमें भी बताइयेगा।

मंत्रिमंडल में सर्जरी!

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा, जहां सवा चार साल में एक बार भी मंत्रिमंडल में चेंज नहीं हुआ। एकाधिक बार सीएम भूपेश बघेल संकेत दिए थे कि हाईकमान से चर्चा कर मंत्रिमंडल में सर्जरी की जाएगी। पर सियासी परिस्थितियां ऐसी नहीं रही की मंत्रिमंडल में फेरबदल को अंजाम दिया जा सके। चुनावी साल में हाईकमान भी चाहेगा कि कुछ नए चेहरों के साथ भूपेश चुनावी मैदान में उतरें। ऐसे में, अधिवेशन के बाद मंत्रिमंडल में कुछ चेहरे बदले तो सियासी पंडितों को भी कोई हैरानी नहीं होगी।

नॉन आईएएस कलेक्टर?

पांच साल बाद हुए कैडर रिव्यू में भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ में सिर्फ नौ आईएएस की संख्या बढ़ाई है। जबकि, 2016 में हुए रिव्यू में 15 पद बढ़ाए गए थे। उस समय कैडर 178 से बढ़कर 193 हुआ था और अभी 193 से 202 किया गया है। बताते हैं, इस बार भी कुल कैडर का आठ फीसदी याने करीब 15 पद बढ़ाने की मांग की गई थी। मगर डीओपीटी ने पांच प्रतिशत के हिसाब याने नौ से अधिक पद देने से टस-से-मस नहीं हुआ। पद कम बढ़ने का नतीजा यह हुआ कि छत्तीसगढ़ में जिलों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है मगर कलेक्टरों का कैडर पोस्ट 29 ही सेंक्शन किया गया है। याने चार कलेक्टर नॉन कैडर होंगे। अब ये चार कलेक्टर कौन होंगे, यह सरकार तय करेगी। मगर इसके साथ यह भी सही है कि सरकार चाहे तो इन चार जिलों में नॉन आईएएस को भी कलेक्टर बना सकती है। उसी तरह जैस नॉन आईपीएस को जिले का कप्तान बनाया जाता है। हरियाणा जैसे कुछ राज्यों में नॉन आईएएस को कलेक्टर बनाना शुरू हो गया है। मगर अभी हिन्दी राज्यों में ऐसा नहीं हो रहा। मगर कैडर पोस्ट स्वीकृत न होने से सरकार अब फ्री है।

आईपीएस का क्या?

भले ही संख्या कम बढ़ी मगर आईएएस का कैडर रिव्यू हो गया। मगर आईपीएस का अभी अता-पता नहीं है। आलम यह है कि आईपीएस कैडर रिव्यू का प्रस्ताव ही अभी भारत सरकार को नहीं भेजा गया है। कई महीने से फाइल पुलिस मुख्यालय में लंबित है। आईपीएस लॉबी के प्रेशर में सरकार ने अबकी आईएएस से पहले उनका प्रमोशन कर दिया। मगर कैडर रिव्यू में आईपीएस पीछे हो गए।

आरआर-प्रमोटी भाई-भाई

कलेक्टर बनने के मामले में प्रमोटी आईएएस अभी तक उपेक्षित रहते थे। आरआर याने रेगुलर रिक्रूट्ड आईएएस से चार-पांच बैच बाद ही प्रमोटी आईएएस को कलेक्टर बनने का नम्बर लगता था। मगर यह पहली बार हुआ है कि आरआर और प्रमोटी दोनों बराबर हो गए हैं। आरआर में 2016 बैच कलेक्टर के लिए कंप्लीट हुआ है। याने इस बैच के सभी अधिकारियों को जिला मिल गया है। वहीं, प्रमोटी में भी 2016 बैच प्रारंभ हो गया है। पहले फरिया आलम सारंगढ़ की कलेक्टर बनी और अभी प्रियंका मोहबिया को सरकार ने जीपीएम का कलेक्टर बनाया है। जो काम बड़े और धाकड़ प्रमोटी आईएएस नहीं करा पाए, वो नारी शक्ति ने कर दिखाया। प्रमोटी आईएएस को इस पर फख्र कर सकते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. अधिवेशन से पहले ईडी का छापा और पवन खेड़ा को गिरफ्तार करने से किसको फायदा हुआ और किसको नुकसान?

2. प्रियंका गांधी का रायपुर में अभूतपूर्व स्वागत के क्या कोई मायने हैं?

Next Story