सरकारी अफसर की पत्नी ऑफिस पहुंचकर महिला सहकर्मी से अवैध संबंध का लगाती है आरोप... हाईकोर्ट ने माना क्रूरता, तलाक को माना उचित
बिलासपुर। सरकारी अफसर पर उसकी पत्नी दफ्तर पहुँच कर महिला सहकर्मी से अवैध संबंध का आरोप लगा गाली गलौच करती है। साथ ही माता पिता से अलग रहने को बाध्य कर उसके वेतन के सारे पैसे खर्च कर देती है। हाईकोर्ट ने इसे क्रूरता मानते हुए फैमली कोर्ट द्वारा दिये गए तलाक के फैसले को सही ठहराया है।
धमतरी के कुरूद में रहने वाले एक सरकारी अफसर ने रायपुर की विधवा महिला से शादी की थी। शादी के बाद उनका बच्चा भी हुआ। शुरू में तो शादी शुदा जिंदगी अच्छी चली पर बाद में अफसर की पत्नी उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगी। पहले अपने माता पिता से अलग रहने को मजबूर करने लगी। जिससे अफसर परेशान होकर अलग घर मे माता पिता से अलग रहने लगा। उसकी पत्नी उसके वेतन का पूरा पैसा रख लेती है और उसे खर्चे के लिए भी तरसाती थी। साथ ही व्यवसाय के नाम पर पति के नाम से बैंको से लाखों रुपये उधार भी ले लिया।
परेशान पति ने फैमली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका लगाई। पति ने बताया कि उसकी पत्नी आये दिन दफ़्तर पहुँच जाती है और ऑफिस की महिला सहकर्मियों से अवैध संबंध का आरोप लगा कर उसके साथ गाली गलौच करती है। साथ ही सहकर्मियों के सामने अपमानित करती है। पति ने बताया कि उसकी पत्नी माता पिता से मिलने भी नही देती। साथ ही उसकी पत्नी परीक्षा या अन्य कामों के लिए घर आ जाती है तो उससे भी कहती है कि तुम्हारे भाई का अपने ऑफिस की महिलाओं से अवैध संबंध है इसलिए तुम लोगों से भी मैं नफरत करती हूं। और दुर्व्यवहार करते हुए उसकी बहन को भी भगा देती है।
फैमली कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला देते हुए तलाक मंजूर कर लिया। जिसके खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की और बताया कि उससे बेवजह तलाक लिया गया है जिसके चलते उसके और उसके बेटे को जीवन यापन करने में कठिनाई होगी। साथ ही सामाजिक छवि को भी छति पहुँचेगी।
मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बैंच में हुई। जिसमें पति के अधिवक्ता द्वारा साक्ष्य पेश करते हुए बताया कि किस तरह उसकी पत्नी उस पर अवैध संबंध का आरोप लगा कर उसके दफ्तर आकर गाली गलौच करती है और उसके साथ दुर्व्यवहार करती है। उसके माता पिता से अलग रहने को मजबूर कर उसके वेतन का पैसा भी रख लेती है और उसके नाम पर लोन भी ले लिया है।
दोनो पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बैंच ने कहा कि पति पर बेवजह चारित्रिक लाँछन लगाना, उसके ऑफिस जाकर गाली गलौच करना व माता पिता से अलग रहने को मजबूर करना क्रूरता की श्रेणी में आता है। साथ ही फैमली कोर्ट के तलाक के फैसले को बरकरार रखा है।