रेप केस में Ex CS गिरफ्तार: जांच में दावा, मुख्य सचिव रहते बंगले में 20 महिलाओं से यौन शोषण
NPG ब्यूरो I अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव रह चुके 1990 बैच के agmut कैडर के आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण को रेप केस में एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया गया है। वे जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे। पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सत्र न्यायालय में याचिका लगाने के निर्देश दिए थे। सत्र न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद कल गुरुवार को उनकी गिरफ्तारी की गई है। 21 वर्षीय महिला ने नौकरी के बदले नारायण,श्रम आयुक्त आरएल ऋषि व एक होटल मालिक रिंकू पर गैंगरेप का आरोप लगाया था। एसआईटी के एक अफसर ने सबूतों के आधार पर दावा किया है कि नारायण के आवास पर उनके मुख्य सचिव रहते बीस से अधिक महिलाओं को ले जाया गया था जिनमे से कुछ का यौन शोषण किया गया था।
21 वर्षीय महिला नौकरी की तलाश में थी। उसे होटल व्यवसायी संदीप सिंह उर्फ रिंकू ने श्रम आयुक्त आरएल ऋषि से मिलवाया था। ऋषि ने उन्हें सरकारी नौकरी का झांसा दिया और अंडमान निकोबार द्वीप के तत्कालीन मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के सरकारी आवास लेकर गए। यहां महिला का फोन बाहर रखवा लिया गया। फिर अंदर उसे पहले शराब ऑफर किया गया। महिला के मना करने पर उसके साथ जितेंद्र नारायण,ऋषि,ने रेप किया था। महिला ने होटल मालिक पर भी रेप के आरोप लगाए थे। फिर घटना की जानकारी किसी को न देने की धमकी व जल्द ही सरकारी नौकरी लगवाने का आश्वासन देकर महिला को भगा दिया गया था। महिला बार बार जितेंद्र व ऋषि से संपर्क करती थी पर हर बार उसे आश्वासन ही मिलता था। इस बीच जितेंद्र नारायण का तबादला दिल्ली वित्तीय निगम के प्रबंध निदेशक के पद पर हो गया। तब महिला को एहसास हुआ कि अब उसकी कोई नौकरी नही लगने वाली है और उसने पुलिस में एफआईआर करवा दी।
सीनियर अफसरों के खिलाफ एफआईआर के चलते अंडमान निकोबार द्वीप समूह ने एसआईटी बनाई है। जिसने आईएएस नारायण से पूछताछ की। इस बीच 17 अक्टूबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया। और होटल मालिक संदीप सिंह उर्फ रिंकू के होटल में रेड एसआईटी ने मारी,वहां ताला लगा था। वहा के कमरे में कंडोम मिला। संदीप सिंह और ऋषि इस बीच फरार हो गए,उनकी गिरफ्तारी के लिए लुक आउट जारी कर 1 लाख का इनाम रखा गया है। वही नारायण को गिरफ्तारी से पोर्ट ब्लेयर पीठ ने संरक्षण प्रदान किया था। जिसके खिलाफ प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जहां सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस को बताया था कि नारायण के आवास पर कई लड़कियों को ले जाया गया तंग, और साक्ष्यो से भी छेड़छाड़ की जा रही है। साथ ही एसआईटी की पूछताछ में भी सहयोग नही किया जा रहा है। नारायण भी सुप्रीम कोर्ट गए थे,जहां उन्हें अग्रिम जमानत के लिए सत्र न्यायालय जाने को कहा गया था।
सत्र न्यायालय में अपील कर नारायण के वकील ने अग्रिम जमानत मांगी थी। जिस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाशीष कुमार ने हैरानी जताते हुए कहा कि किस आधार पर जमानत दी जानी चाहिए ,जब दो आरोपियों की जमानत याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। जज ने कहा नारायण काफी समय मुख्य सचिव थे, ऐसे में उनकी शक्ति व स्थिति की तुलना आम आदमी के स्तर पर नही की जा सकती। है। और अदालत ने अग्रिम जमानत खारिज कर दी। याचिका खारिज होते ही एसआईटी नारायण को गिरफ्तार करने पहुँची। वे एक रिसॉर्ट मे थे। फिर उनकी चिकित्सा जांच करवा कर उनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया पूरी की गई।