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Raipur Police Commissinor: साल के आखिरी दिन पुलिस में बड़ा रिफार्म: महानगरों और बड़े राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम

Raipur Police Commissioner: आज कैबिनेट की बैठक में 23 जनवरी से राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के शुरुआत करने पर निर्णय ले लिया गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 15 अगस्त के भाषण में इसकी घोषणा की थी।

Raipur Police Commissinor: साल के आखिरी दिन पुलिस में बड़ा रिफार्म: महानगरों और बड़े राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम
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By Radhakishan Sharma

Raipur Police Commissioner: रायपुर। राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव पर विष्णुदेव कैबिनेट ने आज मुहर लगा दी। इसके बाद अब पुलिस कमिश्नरेट का रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने डेट भी तय कर दिया है। 23 जनवरी से ये प्रारंभ हो जाएगा।

15 अगस्त 2024 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसकी घोषणा की थी। जिसके बाद आज कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगा दी गई। रायपुर पुलिस कमिश्नर प्रणाली की शुरुआत अगले साल के प्रथम माह में 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के दिन से किया जाएगा। बता दें, इसके लिए दफ्तर का चयन भी पूर्व में ही किया जा चुका है। अब छत्तीसगढ़ भी उन राज्यों में शामिल हो जाएगा जहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है।

देश में छत्तीसगढ़ और बिहार राज्य को छोड़कर सभी राज्यों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली अस्तित्व में है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और महानगर तथा मिनी मुंबई माने जाने वाले इंदौर में भी पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू है। इसके अलावा उत्तराखंड में भी अब पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो चुका है। देश में केवल छत्तीसगढ़ और बिहार राज्य ऐसे थे जहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू नहीं थी। बढ़ते अपराधों पर लगाम कसने और वक्त की जरूरत को देखते हुए महानगरों की तर्ज पर पुलिस कमिश्नर की प्रणाली लागू करना निहायत ही आवश्यक था। राज्य सरकार ने नव वर्ष के पूर्व संध्या पर यह सौगात दी है।

राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद करीब 17 माह पहले 15 अगस्त 2024 स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली की शुरुआत करने की घोषणा प्रदेश के मुखिया ने की थी। अब जनवरी माह में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के दिन से पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू हो जाएगी। राजधानी रायपुर में इसकी सफलता के बाद दूसरे चरण में प्रदेश के महानगर माने जाने वाले दूसरे और तीसरे नंबर के शहर क्रमशः बिलासपुर और दुर्ग–भिलाई में भी पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया जा सकता हैं। अब छत्तीसगढ़ में पुलिस कमिश्नरी लागू होने के साथ ही देश में केवल बिहार राज्य ही ऐसा बचेगा जहां पुलिस कमिश्नरी नहीं होगी।

सुभाष चंद्र बोस जयंती के दिन से होगी शुरुआत

23 जनवरी को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत के वीर सपूत सुभाष चंद्र बोस की जयंती हैं। उन्होंने आजाद हिंद सेना बनाकर देश को स्वतंत्र करवाने के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। खास बात यह है कि उन्होंने भी अंग्रेजों की शुरू की गई इंडियन सिविल सर्विसेस परीक्षा चौथे रैंक के साथ क्रैक की थी। अब उन्हीं की जयंती के दिन से ही राजधानी में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होगी। बढ़ते अपराधों पर लगाम कसने और पुलिस सिस्टम को महानगरों में फास्ट कर सुचारू रूप से संचालित करने के लिए पुलिस कमिश्नरी वक्त की जरूरत हैं। मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में अंग्रेजों के समय से ही करीबन 100 साल पहले से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। देश के स्वतंत्रता के बाद भी कमिश्नरी प्रणाली समाप्त नहीं की गई। वरन देश के अलग-अलग राज्यों ने अपनी जरूरतों के हिसाब से इसे लागू किया। अब देर से ही सही छत्तीसगढ़ में इसकी शुरुआत के साथ ही बिहार देश का इकलौता राज्य बचेगा जहां कमिश्नरेट सिस्टम लागू नहीं है।

दफ्तर का चयन

पुलिस कमिश्नर दफ्तर का चयन किया जा चुका हैं। घड़ी चौक के पास कुछ ही दूरी पर स्थित संभागायुक्त कार्यालय में पुलिस कमिश्नर दफ्तर की शुरुआत होगी। संभागायुक्त महादेव कांवरे यहां से शिफ्ट भी हो चुके हैं। पुलिस कमिश्नर दफ्तर से पहले यहां रायपुर एसपी दफ्तर शिफ्ट किया जा रहा है। दरअसल कलेक्ट्रेट के बाजू में जहां वर्तमान में एसपी दफ्तर हैं,उसे जर्जर अवस्था में होने के चलते तोड़ कर वहां कंपोजिट बिल्डिंग बनाया जाना है। जिसके चलते एसपी दफ्तर संभागायुक्त कार्यालय में शिफ्ट की जा रही हैं। वहां फर्नीचर पहले से है केवल फाइलें ले जानी हैं।

23 जनवरी से पहले यहां कुछ दिनों तक एसपी कार्यालय संचालित होगा। 23 जनवरी से एसपी दफ्तर खत्म होकर यह कार्यालय कमिश्नर ऑफिस में अपग्रेड हो जाएगा। बता दे डॉक्टर लाल उमेद सिंह राजधानी के आखिरी एसएसपी होंगे। फिर वहां कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर असिस्टेंट कमिश्नर की पदस्थापना होगी।

अंग्रेजी शासन काल से पुलिस कमिश्नर

पुलिस कमिश्नर सिस्टम अंग्रेजों के समय से चला आ रहा है। आजादी के पहले कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे देश के तीन महानगरों में लॉ एंड आर्डर को कंट्रोल करने के लिए अंग्रेजों ने वहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम प्रभावशील कर रखा था। आजादी के बाद देश को यह वीरासत में मिली। चूंकि बड़े महानगरों में अपराध बड़े स्तर पर होते हैं, इसलिए पुलिस को पावर देना जरूरी समझा गया। लिहाजा, अंग्रेजों की व्यवस्था आजाद भारत में भी बड़े शहरों में लागू रही। बल्कि पुलिस अधिनियम 1861 के तहत लागू पुलिस कमिश्नर सिस्टम को और राज्यों में भी प्रभावशील किया गया।

कमिश्नर के दंडाधिकारी पावर

वर्तमान सिस्टम में राज्य पुलिस के पास कोई अधिकार नहीं होते। उसे छोटी-छोटी कार्रवाइयों के लिए कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार, नायब तहसीलदारों का मुंह ताकना पड़ता है। दरअसल, भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के धारा 4 में जिले के कलेक्टरों को जिला दंडाधिकारी का अधिकार दिया गया है। इसके जरिये पुलिस उसके नियंत्रण में होती है। बिना डीएम के आदेश के पुलिस कुछ नहीं कर सकती। सिवाए एफआईआर करने के। इसके अलावा पुलिस अधिनियम 1861 में कलेक्टरों को सीआरपीसी के तहत कई अधिकार दिए गए हैं। पुलिस को अगर लाठी चार्ज करना होगा तो बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के वह नहीं कर सकती। कोई जुलूस, धरना की इजाजत भी कलेक्टर देते हैं। प्रतिबंधात्मक धाराओं में जमानत देने का अधिकार भी जिला मजिस्ट्रेट में समाहित होता कल्टर के नी एडीएम, एसडीएम या तहसीलदार इन धाराओं जमानत देते हैं।

शस्त्र और बार लायसेंस

पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पुलिस को धरना, प्रदर्शन की अनुमति देने के साथ ही शस्त्र और बार का लायसेंस देने का अधिकार भी मिल जाता है। अभी ये अधिकार कलेक्टर के पास होते हैं। कलेक्टर ही एसपी की रिपोर्ट पर शस्त्र लायसेंस की अनुशंसा करता है। बार का लायसेंस भी कलेक्टर जारी करता है।

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