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IPS Shashimohan Singh Biography in Hindi: वर्दी वाला गुंडा फेम इस तेज-तर्रार आईपीएस को CM विष्णुदेव ने अपने जिले का SP बनाया, जानिये उनके बारे में

IPS Shashimohan Singh Biography in Hindi: आईपीएस अधिकारी शशिमोहन जितने तेज और कड़क अफसर माने जाते हैं, भीतर से उतने ही संवेदनाओं से भरे हैं। उनके भीतर का कलाकार जब जागा तो वे दो साल छुट्टी पर रहकर न केवल कई छत्तीसगढ़ और भोजपुरी फिल्मों में काम किया बल्कि कई किताबें लिख डाली। वर्दी वाला गुंडा उनकी सबसे हिट फिल्म रही है। इस फिल्म में अपराधियों के लिए वर्दी वाला गुंडा बने हैं तो आम आदमी के लिए माफियाओं से भिड़ जाने वाला पुलिस अफसर।

IPS Shashimohan Singh Biography in Hindi: वर्दी वाला गुंडा फेम इस तेज-तर्रार आईपीएस को CM विष्णुदेव ने अपने जिले का SP बनाया, जानिये उनके बारे में
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By Sandeep Kumar

IPS Shashimohan Singh Biography in Hindi: रायपुर। किसी भी मुख्यमंत्री का जिला उस प्रदेश का वीवीआईपी जिला कहा जाता है। उस जिले में चुने हुए अफसरों की तैनाती की जाती है। जशपुर सीएम विष्णुदेव साय का गृह जिला है। उन्होंने डायरेक्ट आईपीएस की बजाए स्टेट कैडर से आईपीएस बने शशिमोहन सिंह को अपने जिले की पोलिसिंग की कमान सौंपी है। बता दें, झारखंड और उड़ीसा से बार्डर लगा होने की वजह से जशपुर में नशे की सप्लाई लाईन होने के साथ ही डकैती की घटनाएं भी खूब होती हैं। पहले जशपुर रिमोट जिला था इसलिए घटनाएं खबरेंं नहीं बनती थी। मगर अब सीएम का जिला होने की वजह से उसकी संजीदगी समझी जा सकती है। लिहाजा, शशिमोहन सिंह को जशपुर के एसपी के लिए उपयुक्त समझा गया। 1997 में डीएसपी के पद से पुलिस में नौकरी की शुरुआत करने वाले शशिमोहन सिंह को 2018 में आईपीएस अवार्ड हुआ और उन्हें आईपीएस कैडर 2012 मिला। आइए जानते हैं उनके बारे में...

जवान का बेटा पुलिस अफसर

शशिमोहन सिंह के पिता का नाम स्व. कृष्ण देव सिंह और माता स्व. चंदा देवी सिंह है। उनके पिता केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में जवान थे। उनकी माता स्व. चंदादेवी सिंह गृहणी थीं। शशिमोहन सिंह की स्कूलिंग भिलाई से हुई है। उन्होंने बीएसपी के सेक्टर 6 स्कूल से क्लास वन की शिक्षा ली है। जिसके बाद वे बिहार अपने दादा जी के पास चले गए। दरअसल बिहार के बक्सर जिले के सेमरी थाना क्षेत्र में शशिमोहन सिंह का पैतृक गांव दुल्लहपुर है। वे अपने दादा के पास दुल्लहपुर चले गए और वहां उन्होंने दूसरी से आठवीं तक की शिक्षा ग्रहण की। जिसके बाद एक बार शशिमोहन फिर छत्तीसगढ़ आए और लोक भारती स्कूल रामनगर में नौवीं क्लास में एडमिशन लिया। यहां से उन्होंने 11 वीं मैट्रिक तक शिक्षा ली। मैट्रिक में उनका गणित विषय था। फिर दुर्ग जिले के कल्याण कॉलेज से बीए और हिंदी साहित्य में एमए किया है।

लेक्चर से पुलिस अधिकारी

सन 1992 में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद शशिमोहन सिंह ने साजा कॉलेज में तदर्थ लेक्चरर(हिंदी) की नौकरी शुरू की। साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने लगे। अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने सन 1996 में मध्यप्रदेश पीएससी निकाल कर डीएसपी की पोस्ट पाई। उन्हें 1997 बैच डीएसपी आबंटित हुआ। प्रशिक्षु डीएसपी के रूप में उनकी पहली पोस्टिंग होशंगाबाद जिले के शिवपुर थाना प्रभारी के रूप में हुई इसके बाद में सीएसपी इटारसी बने। इटारसी से भोपाल में असिस्टेंट कमांडेंट 23 वी बटालियन बने।

पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर उन्होंने छत्तीसगढ़ कैडर चुना और छत्तीसगढ़ में पहली पोस्टिंग एसडीओपी भानुप्रतापपुर की मिली। भानुप्रतापपुर में वे ढाई साल रहे। इसके बाद रायपुर में सीएसपी पुरानी बस्ती बने। इसके बाद उनकी पोस्टिंग सीएम सिक्योरिटी में हुई। सीएम सिक्योरिटी के बाद शशिमोहन सिंह की पोस्टिंग सीएसपी सिविल लाइंस रायपुर हुई। फिर उन्हें प्रमोशन देकर एडिशनल एसपी बना दिया गया। बतौर एडिशनल एसपी उनकी पहली पोस्टिंग कवर्धा जिले में हुई। फिर वे एडिशनल एसपी रायपुर रहे। रायपुर पोस्टिंग के बाद एक अप्रैल 2010 से एक अप्रेल 2012 तक वे अवकाश लेकर छतीसगढ़ी फिल्मों में काम करने चले गए। इन दो वर्षों में उन्होंने न केवल 4 छतीसगढ़ी फिल्मों में काम किया बल्कि चार सुपरहिट भोजपुरी फिल्में भी की। दो थियेटर भी किए।

वर्दी वाला गुंडा हिट फिल्म

उनकी छत्तीसगढ़ी फिल्में मया देदे मयारु, माटी के लाल, सलाम छत्तीसगढ़, बैरी के मया है। फिल्में मया देदे मयारु में उन्होंने छतीसगढ़ी सुपर स्टार व वर्तमान धरसींवा विधायक अनुज शर्मा के साथ काम किया है। शशिमोहन ने भोजपुरी फिल्में भी की है। वर्दी वाला गुंडा फिल्म उन्होंने आजमगढ़ के भाजपा सांसद एवं भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार दिनेश यादव उर्फ निरहुआ के साथ किया। इस फिल्म में सांसद दिनेश यादव और शशिमोहन सिंह ने पुलिस अफसर की भूमिका अदा की है। शशिमोहन सिंह इसमें मुख्य अभिनेता की भूमिका में है। खेसारी लाल के साथ की गई उनकी भोजपुरी फिल्म दिल ले गई ओढ़निया वाली के यू ट्यूब में ढाई करोड़ से ज्यादा व्यू हैं। उनकी फिल्म भूलन द मेज में उन्होंने जेलर का रोल अदा किया था। ज्ञातव्य है कि फिल्म को नेशनल अवार्ड मिला है। शशिमोहन सिंह ने कई शॉर्ट फिल्में की है जिनमें गोमती,यातना, कोटपा है। उनकी फिल्म कोटपा को चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी ने राष्ट्रीय स्तर पर पहले पुरुस्कार से नवाजा है। इसमें शशिमोहन सिंह पत्रकार की भूमिका में है। गौरतलब है कि चीफ जस्टिस उन्हें दो बार सम्मानित कर चुके हैं।

2018 में आईपीएस

फिल्मों की दुनिया से शशि मोहन सिंह अप्रैल 2012 में एक बार फिर पुलिसिंग के मैदान में आ गए। उनकी पोस्टिंग वीवीआईपी जिले राजनांदगांव में हुई। राजनांदगांव तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह का निर्वाचन जिला था। यहां लगातार पांच साल ( 2012 से 17) पोस्टेड रहें। फिर दुर्ग जिले में एडिशनल एसपी रहें। इसके बाद पुलिस अकादमी चंद्रखूरी में एसपी। 2018 में उन्हें आईपीएस अवार्ड हुआ और 2012 बैच मिला।

पांच साल हांसिये पर

पिछली सरकार में पूरे 5 सालों तक शशिमोहन सिंह को फील्ड पोस्टिंग नहीं मिली और बस्तर के नक्सल इलाके में बटालियन में पोस्टेड रहे। वह दंतेवाड़ा मैं नवी बटालियन के कमांडेंट ढाई सालों तक रहे। इसके बाद ढाई साल तक जगदलपुर बटालियन में रहे जगदलपुर के साथ ही वे रायगढ़ बटालियन का कार्यभार संभालते रहे। जगदलपुर व रायगढ़ बटालियन का कार्यभार उन्होंने एक साथ एक ही समय में सम्हाला था। बस्तर एसपी जितेंद्र सिंह मीणा के सीबीआई डेपुटेशन पर जाने पर पिछले माह 11 जनवरी को उन्हें 11 जनवरी को जगदलपुर का प्रभारी एसपी बनाया गया था। एक माह तक में जगदलपुर के प्रभारी एसपी रहे।

कवि और लेखक भी

शशिमोहन सिंह में पुलिसिंग व एक्टिंग के अलावा कवि व लेखक के भी गुण हैं। संवेदनाओं के कवि माने जाने वाले शशि मोहन सिंह के द्वारा लिखी गई दो पुस्तकों “लहरों के उस पार भी तुम हो“ और “अनगढ़ दुनिया गढ़े तराशे“ का जल्द ही विमोचन होने वाला है। शशिमोहन सिंह थिएटर भी करते हैं। थियेटर प्ले उनका पसंदीदा विषय रहा है। उन्होंने सिसकियां नशे के खिलाफ नाटक प्ले किया है। जिसमें उन्होंने एक साथ चार रोल प्ले किया है। खुद की लिखी नाटक मुखबिर में उन्होंने नक्सली का रोल अदा किया है।

पारिवारिक जीवन

शशि मोहन सिंह चार भाई बहनों में दूसरे नंबर के हैं। शशि मोहन सिंह की शादी 1998 में श्रीमती रेखा सिंह के साथ हुई है। रेखा सिंह गृहणी है। वे पहले कॉलेज में अध्यापन कार्य करती थी। उनका एक पुत्र है जिसने हाल ही में बैचलर ऑफ आर्ट की डिग्री लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की है।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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