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IPS Ajay Yadav: जानिए छत्तीसगढ़ के खुफिया चीफ अजय यादव को...क्यों चुना गया सराहनीय सेवा मैडल के लिए

अजय यादव ( IPS Ajay Yadav) ने पुलिस कैरियर की शुरुआत बिलासपुर जिले में प्रोबेशनर आईपीएस के रूप में की है। उन्होंने बस्तर के नक्सल इलाकों में पांच साल से अधिक सेवाएं दी है।

IPS Ajay Yadav: जानिए छत्तीसगढ़ के खुफिया चीफ अजय यादव को...क्यों चुना गया सराहनीय सेवा मैडल के लिए
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By NPG News

IPS Ajay Yadav: रायपुर। भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के इंटेलिजेंस चीफ अजय यादव ( IPS Ajay Yadav) को सराहनीय सेवा पदक के लिए चुना है। उन्हें यह पदक स्वतंत्रता दिवस समारोह याने इस साल 15 अगस्त को उन्हें प्रदान किया जाएगा। 2004 बैच के आईपीएस अजय यादव इस समय प्रदेश के खुफिया चीफ होने के साथ ही रायपुर रेंज के आईजी भी है। उन्होंने पुलिस सेवा में 18 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है।

अजय यादव ( IPS Ajay Yadav) ने पुलिस कैरियर की शुरुआत बिलासपुर जिले में प्रोबेशनर आईपीएस के रूप में की है। उन्होंने बस्तर के नक्सल इलाकों में पांच साल से अधिक सेवाएं दी है। बस्तर के नारायणपुर से ही वे एसपी की पारी की शुरूआत की। नारायणपुर में उनके नेतृत्व में चलाए गए विभिन्न आपरेशनों में सुरक्षा बलों ने आठ नक्सलियों को मार गिराए। 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले हुई मुठभेड़ के लिए उन्हें वीरता पदक मिला था। इसमें तीन नक्सलियों के शव के साथ हथियार भी मिले थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में नारायणपुर में पहली बार ऐसा हुआ कि बिना किसी भी इंज्युरी या नुकसान के विधानसभा चुनाव संपन्न करवाया गया।

नारायणपुर के बाद अजय यादव ( IPS Ajay Yadav) कांकेर एसपी बनें। इस दौरान उनके कार्यकाल में 15 नक्सलियों को एनकाउंटर में मारा गया। 2009 में अजय यादव ( IPS Ajay Yadav) ने कांकेर में लोकसभा चुनाव शान्तिपूर्ण ढंग से संपन्न करवाया। पहली बार वहां रिपोलिंग नही करवानी पड़ी। यहां बीएसएफ़ के 27 कैम्प व 5 बटालियन हेडक्वार्टर भी बनाये थे। फिर जगदलपुर एसपी रहने के दौरान झीरम घाटी में दो कैंप खुलवाए। जगदलपुर में आमचो बस्तर, आमचो पुलिस...उन्हीं के कार्यकाल में प्रारंभ किया गया। अजय यादव ( IPS Ajay Yadav) नारायणपुर, कांकेर, बस्तर, बिलासपुर, जांजगीर, दुर्ग और रायपुर को मिलाकर सात जिलों के एसपी रह चुके हैं।

बेसिक पुलिसिंग पर फोकस करने वाले अजय यादव ऐसे अफसर हैं, जिन्हें अपने मातहत अधिकारियों के पक्ष में स्टैंड लेने वाला अफसर कहा जाता है। इसके लिए उन्हें कई बार हटना भी पड़ा। बिलासपुर में तत्कालीन सांसद दिलीप सिंह जूदेव के धरने पर बैठने का मामला हो या रायपुर के पुरानी बस्ती थाने में पादरी के साथ मारपीट का मामला हो। दोनों ही मामले में अपने थानेदार को सस्पेंड करने पर उनकी कुर्सी बच सकती थी, लेकिन दोनों ही बार उन्हें हटना पड़ा था। नक्सल जिले में पदस्थ रहते हुए उन्होंने मुकेश गुप्ता जैसे तेजतर्रार अधिकारी को मूलभूत सुविधाओं के बिना फोर्स को जंगल में भेजने से इंकार कर दिया था।

पहला सलेक्शन आईडीएएस

अजय यादव (IPS Ajay Yadav) का जन्म एक अगस्त 1976 को हुआ। उन्होंने मैथ्स में बीएससी की परीक्षा पास की। फिर फिजिक्स से एमएससी किया। यूपीएससी से पहला सलेक्शन इंडियन डिफेंस एकाउंट्स सर्विस (IDAS) के लिए हुआ। उन्होंने ओडिशा में जॉइन भी कर लिया। हालांकि वे आईपीएस बनना चाहते थे, इसलिए अपनी तैयारी जारी रखी। यूपीएससी में भी उन्होंने अपनी प्राथमिकता में आईपीएस ही लिखा था। एक अजब संयोग यह भी है कि जिस साल उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की, उसी साल एमपी पीएससी के इंटरव्यू में भी शामिल हुए थे, लेकिन उसमें सफल नहीं हो सके।

लो प्रोफाइल रहकर किया काम

पारिवारिक संस्कारों के मुताबिक अजय यादव (IPS Ajay Yadav) ने हमेशा लो प्रोफाइल रहकर काम किया। उनका विवाह एक राजनीतिक परिवार में हुआ, लेकिन कभी भी उनके व्यवहार में इसका असर नहीं दिखा। वे अपने करीबियों से भी सहज तरीके से ही मिलते-जुलते हैं। यही वजह है कि पुलिस या प्रशासन के साथ-साथ बाहर में भी उनके करीबियों की अच्छी खासी संख्या है। इनमें सभी फील्ड के लोग शामिल हैं। अपने सपोर्टिव छवि के कारण अधीनस्थ स्टाफ के वे सबसे करीबी माने जाते हैं। यही नहीं, अपने सीनियर अधिकारियों के भी वे काफी चहेते रहे हैं। डीजीपी अशोक जुनेजा जब इंटेलिजेंस चीफ थे, तब अजय यादव (IPS Ajay Yadav) डीआईजी (सुरक्षा) थे।

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