Ias Subodh Singh: डेपुटेशन से लौट रहे सुबोध सिंह सीएम के प्रमुख सचिव बनेंगे, CM विष्णुदेव ने अमित शाह से की बात...जानिये उनके बारे में
Ias Subodh Singh: सेंट्रल डेपुटेशन से लौट रहे सीनियर और रिजल्ट देने वाले आईएएस सुबोध सिंह को सिर्फ मंत्रालय में बिठाने के लिए नहीं बुलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सुबोध को भेजने का आग्रह किया था। अमित शाह दिल्ली गए और उसके दूसरे दिन सुबोध का आदेश निकल गया। सुबोध को छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े पावर सेंटर में पोस्टिंग देने की तैयारी है।
Ias Subodh Singh: रायपुर। 1997 बैच के प्रिंसिपल सिकरेट्री रैंक के आईएएस सुबोध सिंह दिल्ली से लौट रहे हैं। भारत सरकार ने उनका आदेश जारी कर दिया है। आदेश में स्पष्ट लिखा है...छत्तीसगढ़ सरकार के आग्रह पर उन्हें भेजा जा रहा है।
चूकि हायर लेवल के निर्देश के बाद उन्हें छत्तीसगढ़़ भेजने का आदेश हुआ है, इसलिए आजकल में कभी भी वे इस्पात मिनिस्ट्री से रिलीव हो जाएंगे। हो सकता है अगले सप्ताह वे रायपुर भी पहुंच जाएं।
सीएम ने किया आग्रह
पता चला है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दो दिन के छत्तीसगढ़ दौरे में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सुबोध को छत्तीसगढ़ भेजने के संदर्भ में आग्रह किया था। अमित शाह दो दिन का दौरा खतम कर 16 दिसंबर की देर रात रायपुर से दिल्ली रवाना हुए और 17 दिसंबर को सुबोध सिंह का आदेश निकल गया।
अमरेश की तरह फास्ट आदेश
ठीक उसी तरह जिस तरह सीएम के आग्रह के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार अवकाश का दिन होने के बाद भी आईपीएस अमरेश मिश्रा को छत्तीसगढ़ लौटने का आदेश जारी कर दिया था। चूकि अमित शाह का निर्देश था, अमरेश ने भी देर नहीं लगाई। रिलीव होते ही अगले दिन रविवार शाम रायपुर आए और सोमवार को ज्वाईनिंग दे दी थी।
अमरेश को बुलाकर लाया गया, इसलिए उन्हें एसीबी चीफ बनाने के साथ ही रायपुर रेंज आईजी का अहम दायित्व सौंपा गया। जाहिर सी बात है, जब मुख्यमंत्री किसी अफसर को केंद्र से बुलाए तो उसका मकसद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देना ही होता है।
पावर सेंटर में पोस्टिंग
आईएएस सुबोध सिंह को प्रदेश के सबसे बड़े पावर सेंटर मुख्यमंत्री सचिवालय में प्रमुख सचिव बनाने की खबरें आ रही हैं। याने पीएस टू सीएम। सीएम सचिवालय में इस समय तीन सिकरेट्री हैं। पी0 दयानंद, राहुल भगत और बसव राजू।
मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद सबसे पहली पोस्टिंग दयानंद की हुई थी, उनके बार राहुल की और फिर बसव की। सीएम सचिवालय में काम के हिसाब से शुरू से ही ये माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री अपने सचिवालय में अफसरों की संख्या और बढ़ाएंगे। क्योंकि, वहां काम इतना है कि इन तीनों अफसरों को सांस लेने की फुरसत नहीं मिलती। आधी रात तक सीएम हाउस की वर्किंग चलती रहती है।
प्रमुख सचिव की जरूरत
आमतौर पर सीएम सचिवालयों में एक प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव का अफसर होता ही है, उसके बाद भ सिकरेट्री की अच्छी-खासी संख्या होती हैं।
डॉ0 रमन सिंह के सचिवालय में बैजेंद्र कुमार एसीएस थे। उनके बाद अमन सिंह प्रमुख सचिव। सुबोध सिंह और एमके त्यागी सिकरेट्री थे। समय-समय पर रोहित यादव, मुकेश बंसल और रजत कुमार ज्वाइंट सिकरेट्री रहे। सलाहकार के तौर पर रिटायर्ड चीफ सिकरेट्री शिवराज सिंह अलग से थे। जब कोई जटिल मामला फंसता था, जिसमें दीर्घ प्रशासनिक अनुभव की जरूरत होती थी, तब बैजेंद्र, अमन और सुबोध उसे शिवराज सिंह के पास ले जाते थे।
सचिवों की जरूरत
सीएम सचिवालयों में सचिवों की संख्या इसलिए अधिक होती है कि प्रदेश का सबसे बड़ा पावर सेंटर सीएम का आफिस होता है। सीएम सचिवालय के पास सारे विभागों की फाइलें तो आती ही है, मुख्यमंत्री के विभाग, उनके गृह जिला, पीएमओ या केंद्र सरकार के विभागों से समन्वय, प्रदेश के संवेदनशील मामले से लेकर राजनीतिक मामले भी आते हैं।
मुख्यमंत्री से किसे मिलवाना है, उनका कार्यक्रम, भाषण से लेकर मुख्यमंत्री की छबि और उन्हें विवादित मामलों से बचाने का जिम्मेदारी भी सीएम सचिवालय की होती है।
मुख्यमंत्री को विवादित मामलों से बचाने की जिम्मेदारी का मतलब मुख्यमंत्री के पास भांति-भांति की फाइलें आती हैं। मुख्यमंत्री के पास इतने वक्त नहीं होते कि वे सारी फाइलों को पढ़े या नियम-कायदों की स्टडी करें। सचिवालय के अफसर ही उन्हें सलाह देते हैं।
ताकतवर बनेगा सचिवालय
सुबोध सिंह के सीएम के पीएस बनने से मुख्यमंत्री सचिवालय का न केवल वर्क लोड कम होगा बल्कि विष्णुदेव का आफिस ताकतवर बनेगा। सुबोध सिंह पहले भी रमन सचिवालय में ज्वाइंट सिकरेट्री से लेकर स्पेशल सिकरेट्री, सिकरेट्री रहे हैं। सीएम सचिवालय का उन्हें करीब आठ साल का अनुभव है। सुबोध को पोस्टिंग मिलने पर सीएम सचिवालय में सिकरेट्री की संख्या चार हो जाएगी। याने वन प्लस थ्री। एक पीएस और तीन सिकरेट्री। ये आदर्श संख्या होगी।
तीन बड़े शहर के कलेक्टर
सुबोध सिंह छत्तीसगढ़ के तीन बड़े जिले के कलेक्टर रहे हैं। रायगढ़, बिलासपुर और रायपुर। रायपुर में उन्हें दो बार कलेक्टरी करने का मौका मिला। फिर उसके बाद रमन सिंह ने अपने सचिवालय में बुला लिया। विभागों में उनके पास पीडब्लूडी, माईनिंग, इंडस्ट्री, फूड और रेवेन्यू जैसे कई महकमा रहा। बिजली वितरण कंपनी के करीब पांचेक साल तक एमडी रहे। बिजली विभाग में बिल भरने से लेकर सारी चीजें ऑनलाइन करने का काम उनके टेन्योर में ही हुआ।
एफर्डेबल हाउसिंग
सुबोध दो साल हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर रहे। एफर्डेबल हाउसिंग स्कीम उनके पीरियड में चालू हुआ। पहले बड़े शहरों में ही हाउसिंग बोर्ड के प्रोजेक्ट चलते थे, उन्होंने छोटे शहरों और कस्बों में हाउसिंग परियोजनाएं चालू कराईं।
सिटी बस
रायपुर और बिलासपुर के कलेक्टर रहने के दौरान सुबोध सिंह ने दोनों शहरों में कंपनी बनाकर सिटी बसें प्रारंभ कराई। वे बसें आज भी चल रही हैं।
ऑनलाइन वर्किंग
सुबोध सिंह की खासियत यह है कि वे जिस विभाग में गए, वहां की चीजें सिस्टमेटिक कर दिया...करप्शन की गुंजाइश कम-से-कम रहे, इसलिए उन्होंने अपने सारे विभागों में पारदर्शिता के लिए सिस्टम को ऑनलाइन कर दिया। माईनिंग का उनका ऑनलाइन किया सिस्टम पिछली सरकार ने समाप्त कर दिया।
इसका नतीजा हुआ कि आईएएस समीर विश्नोई, रानू साहू समेत कई लोग कोयला घोटाले में जेल में हैं। 2018 में सरकार बदलने पर उन्हें राजस्व विभाग दिया गया। राजस्व को भी ऑनलाइन करना शुरू कर दिया था। भुइयां साफ्टवेयर को अपर्ग्रेड कर उन्होंने हमारी कौन सी जमीन कहां है, कंप्यूटर के एक क्लिक पर ये सुविधा शुरू कर दी थी।
विष्णुदेव सरकार ने भी करप्शन रोकने के लिए सिस्टम को ऑनलाइन करना चाहती है। मंत्रालय में ई-आफिस भी चालू गया है। मगर अभी वह फंक्शन इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि उसमें किसी को रुचि नहीं है। सुबोध अगर पावर सेंटर में आ गए तो फिर सीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम प्रारंभ हो जाएगा।
निर्विवाद छबि
नियम-कायदों में काम करने वाले सुबोध सिंह की छबि निर्विवाद है। न ब्यूरोक्रेसी में उनका कोई विरोधी है और न ही सियासत में। नियमों में अगर कोई दिक्कत नहीं तो वे अपने तरफ से सबकी मदद करते हैं। यही वजह है कि अजीत जोगी ने उन्हें रायगढ़ का कलेक्टर बनाया था और रमन सिंह ने भी दो साल तक उन्हें वहां कंटीन्यू किया।
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