IAS Smita Sabharwal: UPSC दिव्यांग कोटा विवाद में IAS स्मिता सभरवाल की एंट्री, आईएएस के पोस्ट पर भड़के लोग, जानिए ऐसा क्या लिखा...
IAS Smita Sabharwal: आईएएस स्मिता सभरवाल ने यूपीएससी में मिलने वाले विकलांग कोटे को लेकर सवाल किये है.
IAS Smita Sabharwal: इन दिनों में यूपीएससी में दिव्यांगता कोटे के तहत फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट देकर नियुक्ति पाने वाली ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर सुर्ख़ियों में है. इस विवाद के UPSC की सिविल सेवा चयन प्रक्रिया को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. UPSC की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाये जा रहे है. इसी बीच मामले में सीनियर महिला आईएएस अधिकारी एंट्री की हुई है. आईएएस स्मिता सभरवाल ने यूपीएससी में मिलने वाले विकलांग कोटे को लेकर सवाल किये है.
आईएएस स्मिता सभरवाल के पोस्ट से मचा बवाल
दरअसल, तेलंगाना वित्त आयोग की सदस्य सचिव आईएएस स्मिता सभरवाल(IAS Smita Sabharwal) ने यूपीएससी में मिलने वाले विकलांग कोटे को लेकर अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया है. जिसके बाद से बवाल मच गया है. इसपर नेता और अधिकारियों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है. आईएएस स्मिता सभरवाल ने लिखा "जैसा कि यह बहस जोर पकड़ रही है- दिव्यांगों के प्रति पूरा सम्मान रखते हुए, क्या कोई एयरलाइन विकलांग पायलट को काम पर रखती है? या आप विकलांग सर्जन पर भरोसा करेंगे.
आईएएस स्मिता सभरवाल ने आगे लिखा #एआईएस (आईएएस/आईपीएस/आईएफओएस) की प्रकृति फील्ड-वर्क, लंबे समय तक काम करने वाले घंटे, लोगों की शिकायतों को सीधे सुनना है-जिसके लिए शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता होती है. इस प्रीमियर सेवा को पहले स्थान पर इस कोटे की आवश्यकता क्यों है!
भड़के लोग
इस पर एक यूज़र ने लिखा "यह बात ध्यान देने योग्य है और इसमें दम भी है. इसी तरह हमें आईएएस/आईपीएस/आईएफएस/आईएफओएस आदि के बच्चों को एससी/एसटी/बीसी आरक्षण क्यों देना चाहिए? अगर हम उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं देंगे तो अन्य योग्य लोग सेवाओं में आ जाएंगे. आरक्षण नियमों में बहुत सारे सुधारों की जरूरत है.
एक यूज़र ने कहा "यह कैसी अजीब प्रतिक्रिया है? पायलट और सर्जन दूसरों की जिंदगी के लिए जिम्मेदार होते हैं, इसलिए उन्हें पूरी तरह से फिट रहने की जरूरत होती है। पायलट और सर्जन की तरह एक आईएएस दूसरों की जिंदगी के लिए जिम्मेदार नहीं होता, इसके अलावा अगर कोई आईएएस सेवा के दौरान दिव्यांग हो जाता है तो क्या होगा। क्या उन्हें बाहर निकाल दिया जाना चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट की वकील ने कहा..
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने कहा "मुझे आश्चर्य है कि एक आईएएस अधिकारी विकलांगता के बारे में इतना बुनियादी रूप से अनभिज्ञ कैसे हो सकता है. ज़्यादातर विकलांगताओं का सहनशक्ति या बुद्धिमत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. लेकिन यह ट्वीट दिखाता है कि ज्ञान और विविधता की बहुत ज़रूरत है.
यह बहुत ही दयनीय दृष्टिकोण: शिवसेना सांसद
वही इस पर शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि "यह बहुत ही दयनीय और बहिष्कारपूर्ण दृष्टिकोण है, यह देखना दिलचस्प है कि नौकरशाह किस तरह से अपनी सीमित सोच और अपने विशेषाधिकार को दिखा रहे हैं,"
आईएएस स्मिता सभरवाल ने क्या कहा,
लगातार आ रही प्रतिक्रिया पर आईएएस ने एक पोस्ट शेयर किया है. उन्होंने लिखा "मेरी टाइमलाइन पर बहुत ज़्यादा आक्रोश देखा जा सकता है। मुझे लगता है कि कमरे में मौजूद हाथी को संबोधित करने से आपको यह प्रतिक्रिया मिलती है. मैं अधिकार कार्यकर्ताओं से अनुरोध करूँगा कि वे इस बात की भी जाँच करें कि यह कोटा अभी तक IPS/IFoS और रक्षा जैसे कुछ क्षेत्रों में क्यों लागू नहीं किया गया है. मेरा सीमित तर्क यह है कि IAS भी इससे अलग नहीं है. एक समावेशी समाज में रहना एक सपना है जिसे हम सभी मानते हैं. असंवेदनशीलता के लिए मेरे दिमाग में कोई जगह नहीं है.जय हिंद.