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IAS Ranu Sahu: सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस रानू साहू को दी सशर्त अंतरिम जमानत, चेतावनी भी, अगर...

IAS Ranu Sahu: कोल लेव्ही और डीएमएफ घोटाले में जेल में बंद निलंबित आईएएस रानू साहू ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी के जरिए अंतरिम जमानत की गुहार लगाई थी। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने आईएएस रानू साहू को सशर्त जमानत दे दी है। कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देशित किया है कि जांच के नाम पर याचिकाकर्ता को अनावश्यक रूप से हिरासत में ना लिया जाए।

IAS Ranu Sahu: सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस रानू साहू को दी सशर्त अंतरिम जमानत
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IAS Ranu Sahu in Supreme Court

By Gopal Rao

IAS Ranu Sahu: नईदिल्ली। कोल लेव्ही और डीएमएफ घोटाले में निलंबित आईएएस रानू साहू की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस कोटिश्वर सिंह की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं, बशर्ते कि वे जांच एजेंसी और ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए जमानत बांड प्रस्तुत करें। जमानत बांड पेश ना करने पर अंतरिम जमानत का आदेश वापस लेने की चेतावनी भी दी है।

डिवीजन बेंच ने कहा है कि स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के बीच संतुलन बनाने के लिए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा रहा है। राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि तय तिथि पर अंतरिम जमानत पर रहने के दौरान याचिकाकर्ताओं के आचरण के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत पेश करना होगा।

कोर्ट ने माना कि जांच में समय लगता है और वह इस प्रक्रिया में जल्दबाजी नहीं करना चाहता। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ताओं को अनावश्यक रूप से हिरासत में न लिया जाए।

ईडी प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने रिज्वाइंडर पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा है। डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार को जवाब पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।

याचिकाकर्ताओं को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, रायपुर द्वारा एफआईआर क्रमांक 3/2024 के तहत गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि उन्होंने आईपीसी की धारा 420, 120बी और धारा 7, 7ए के तहत अपराध किया है। और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 12। चार्जशीट दाखिल करते समय, धारा 384 आईपीसी के तहत अपराध भी जोड़ा गया है। ईडी का आरोप है कि निलंबित आईएएस रानू साहू व राज्य सेवा संवर्ग की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया ने मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों को कोयला ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली करने में मदद की और वे मुख्य आरोपी के करीबी सहयोगी रोशन सिंह के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं पर संपत्ति अर्जित करने में अवैध धन का निवेश करने का आरोप है, जिसके आय का स्रोत वे संतोषजनक ढंग से नहीं बता पाए हैं। याचिकाकर्ताओं को शुरू में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ईसीआईआर/आरपीजेड0/09/2022 29.09.2022 में धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 3 और 4 के साथ आईपीसी की धारा 384 और 120 बी के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया था। जब याचिकाकर्ता प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में थे, तब राज्य पुलिस को संबंधित एफआईआर दर्ज करने के लिए रिपोर्ट भेजी गई थी, जो 17.01.2024 को दर्ज की गई।

राज्य सरकार ने कहा- दो महीने के भीतर पूरक आरोप पत्र करेंगे दाखिल

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता व अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है, लेकिन आगे की जांच में राज्य याचिकाकर्ताओं की मिलीभगत की ओर इशारा करते हुए कई तरह की आपत्तिजनक सामग्री का पता लगाने में सक्षम रहा है। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि आगे की जांच जारी है और दो महीने के भीतर पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जाने की संभावना है। पूरक आरोपपत्र भी दाखिल किया जाएगा, इसलिए उचित समय के भीतर मुकदमा समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्य सरकार के वकील का यह तर्क कुछ हद तक सही हो सकता है कि अधिकांश याचिकाकर्ताओं ने या तो उच्च पद पर हैँ या उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और उनकी मिलीभगत और मिलीभगत के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है या उनकी रिहाई की स्थिति में याचिकाकर्ता आगे की जांच में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।

दो साल से हैं जेल में बंद

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि रानू साहू सहित अधिकतर पिछले 2 वर्षों से अधिक समय से हिरासत में हैं (कुछ को छोड़कर, जिनकी हिरासत अवधि केवल विषयगत एफआईआर में एक वर्ष से कम है, क्योंकि उन्हें प्रवर्तन निदेशक द्वारा गिरफ्तार नहीं किया गया था)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आगे की जांच की समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए और जांच एजेंसी पर जल्दबाजी में चल रही जांच को समाप्त करने का कोई बोझ डाले बिना, हम याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं, बशर्ते कि वे जांच एजेंसी और ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए जमानत बांड प्रस्तुत करें।

इन शर्तों का करना होगा पालन

यदि कोई भी याचिकाकर्ता गवाहों को प्रभावित करने और/या सबूतों से छेड़छाड़ करने या चल रही जांच में कोई बाधा उत्पन्न करने में शामिल पाया जाता है, तो राज्य को इस तरह के उदाहरण को सहायक सामग्री/शपथपत्र के साथ रिकॉर्ड पर लाने की स्वतंत्रता होगी और उस स्थिति में, राज्य सरकार को इस तरह के उदाहरण को सहायक सामग्री/शपथपत्र के साथ रिकॉर्ड पर लाने की स्वतंत्रता होगी। ऐसी स्थिति में अंतरिम जमानत का संरक्षण वापस ले लिया जाएगा।

स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के बीच संतुलन बनाने के लिए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा रहा है। राज्य तय तिथि पर अंतरिम जमानत पर रहने के दौरान याचिकाकर्ताओं के आचरण के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

  • सख्त शर्तें लागू: नहीं तो अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी
  • कोई याचिकाकर्ता गवाहों को प्रभावित करता हुआ पाया जाता है।
  • कोई याचिकाकर्ता साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करता पाया जाता है।
  • कोई भी याचिकाकर्ता जांच में बाधा उत्पन्न करता है।

यदि उपरोक्त शर्तों में से किसी का भी उल्लंघन किया जाता है, तो राज्य कदाचार की रिपोर्ट करने के लिए सबूत (शपथपत्र, सहायक सामग्री) प्रस्तुत कर सकता है। ऐसे मामले में, अंतरिम जमानत वापस ले ली जाएगी।

रानू साहू की एसएलपी ने इनको भी मिलेगी राहत

निलंबित आईएएस रानू साहू की एसएलपी में सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले से कोल लेव्ही स्कैम के मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी,राज्य सेवा संवर्ग की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया सहित आठ अन्य आरोपियों को राहत मिलेगी। इन आरोपियों को अंतरिम जमानत का लाभ मिलेगा। याचिकाकर्ता रानू साहू के साथ ही इन आरोपियों को भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों व शर्तों का पालन करना होगा।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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