IAS Niraj K. Pawan Biography in Hindi: 4 जिलों के कलेक्टर और CPR रहे IAS नीरज की बढ़ी मुश्किलें, केंद्र ने दी अभियोजन की स्वीकृति, जानिये कौन हैं नीरज...
IAS Niraj K. Pawan Biography in Hindi: 2003 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी नीरज के. पवन जितने लोकप्रिय आईएएस हैं, उसके साथ उतने ही विवादित भी। 2016 में आठ महीने जेल रहने के बाद भी राजस्थान सरकार ने उन्हें सरकार की छबि बनाने वाला विभाग जनसंपर्क आयुक्त का दायित्व सौंप दिया।
एनपीजी न्यूज
IAS Niraj K. Pawan Biography in Hindi: जयपुर। जिस राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी रहने के दौरान भ्रष्टाचार के केस में आईएएस नीरज के. पवन गिरफ्तार होकर जेल गए, उसी एनआरएचएम के दौरान भर्ती मामले में अब उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली है। भारत सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन की स्वीकृति दे दी है। बता दें, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होने के कारण डीओपीटी की बिना अनुमति उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चल सकता था।
राजस्थान के झालावाड़ के रहने वाले नीरज सरकारी स्कूल में पढ़कर यूपीएससी क्लियर किया। 7 अगस्त 1979 को झालावाड़ में जन्मे नीरज ने सरकारी स्कूल से पढ़ने के बाद महाराजा कॉलेज, जयपुर से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। आईएएस में सलेक्ट होने के बाद उन्हें राजस्थान कैडर के साथ 2003 बैच मिला। नीरज राजस्थान के बेहद प्रभावशाली आईएएस हैं। सरकार किसी की भी हो, उन्हें हमेशा अच्छी पोस्टिंग मिलती रही। पहले सीएम वसुंधरा राजे और फिर अशोक गहलोत सरकार में उन्हें कई अच्छे जिलों का कलेक्टर बनाया गया या फिर अहम पोस्टिंग दी गई। वे चार जिलों के कलेक्टर रहे। बिकानेर जैसे बड़े संभाग के कमिश्नर भी। राजस्थान में हाउसिंग बोर्ड की पोस्टिंग क्रीम मानी जाती है। गहलोत सरकार ने उन्हें हाउसिंग बोर्ड का कमिश्नर बनाया। मगर 2016 में वे राजस्थान के मजबूत एसीबी के निशाने पर आ गए। एनआरएचएम में रिश्वत के मामले में एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया और फिर उन्हें आठ महीने जेल में रहना पड़ा।
अब भर्ती घोटाला में फंसे
अभी भारत सरकार ने आईएएस नीरज के. पवन के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दी है, वह भ्रष्टाचार का मामला राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है। 2014-2015 में वे एनआरएचएम में पोस्टेड थे। इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 6 जिलों में मनोरोग विशेषज्ञ, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, साइकेट्रिक सोशल वर्कर, साइकेट्रिक नर्स, मॉनिटरिंग एंड ई-वैल्यूएशन ऑफिसर, केस हिस्ट्री असिस्टेंट और कम्यूनिटी नर्स के पदों पर भर्तियां होनी थी। आरोप है कि नीरज के पवन ने फर्जी तरीके से रिश्तेदारों और चहेतों को नौकरियां दे डाली। कुल 56 लोगों को नौकरियां दी गई थी जिनमें 25 के दस्तावेज फर्जी पाए गए थे। यानी वे इसके पात्र नहीं थे। बावजूद इसके उन्हें नौकरियां मिल गई।
तगड़ा पोस्टिंग प्रोफाइल
आईएएस नीरज के. पवन का सर्विस प्रोफाइल काफी तगड़ी है। ऐसा कि बाकी आईएएस अफसरों की उनसे ईर्ष्या हो जाए। अब जरा समझिए रिश्तव के केस में आठ महीना जेल में रहने के बाद भी उन्हें न केवल बिकानेर संभाग का कमिश्नर बनाया गया बल्कि अभी बांसवार संभाग के कमिश्नर हैं। इससे भी बड़ा यह कि जेल में रहकर लौटने वाले आईएएस को, वो भी रिश्वत के मामले में, अच्छी पोस्टिंग नहीं मिलती...नीरज को सरकार ने जनसंपर्क आयुक्त जैसी प्रतिष्ठापूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी। देखिए एक नजर में उनकी पोस्टिंग...
- 2004 में पाली में असिस्टेंट कलेक्टर
- 2005 में ही भरतपुर एसडीएम
- 2007 से लेकर 2009 तक डूंगरपुर जिला कलेक्टर
- 2009 से 2010 तक करौली के कलेक्टर
- 2010 से 2012 तक पाली कलेक्टर
- 2012 में हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर
- 2013 में भरतपुर में कलेक्टर
- 2014-15 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
- 2016 में कृषि विभाग
- 2018 में रजिस्टार कोऑपरेटिव
- 2019 में कमिश्नर पब्लिक रिलेशंस
- 2020 में श्रम विभाग सेक्रेटरी
- 2021 में बीकानेर संभागीय कमिश्नर
- फिर, बांसवाड़ा संभाग कमिश्नर