IAS Manoj Pingua: दिव्यांग कर्मी के तबादला मामले में IAS मनोज पिंगुआ को हाईकोर्ट से अवमानना नोटिस, एक माह में पांचवी बार जारी हुआ
IAS Manoj Pingua : बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी मनोज पिंगुआ को अवमानना नोटिस जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग के दिव्यांग कर्मी के तबादले के मामले में हाईकोर्ट ने यह अवमानना नोटिस जारी किया है। इस नोटिस को मिलाकर अवमानना के मामले में एक माह में ही हाईकोर्ट ने एक ही आईएएस मनोज पिंगुआ को पांचवी बार नोटिस जारी किया है।
शीतला माता वार्ड राजनांदगांव निवासी दुलेलराम कुंजाम स्वास्थ विभाग में तृतीय श्रेणी कर्मचारी के पद पर पदस्थ हैं। वह दिव्यांग है। उनका तबादला राजनांदगांव से डोंगरगढ़ कर दिया गया था। जिसके खिलाफ दुलेलराम कुंजाम ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिका में उनके अधिवक्ता ने बताया कि दुलेलराम कुंजाम शारीरिक रूप से दिव्यांग है, एवं उनकी उम्र 55 वर्ष है। तथ्यों को सुनने के बाद जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की सिंगल बेंच ने स्थानांतरण समिति को नियमानुसार मामले के निराकरण करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट बिलासपुर द्वारा पारित आदेश का पालन न किए जाने पर गुलेलराम कुंजाम द्वारा अधिवक्ता अभिषेक पांडे, घनश्याम शर्मा एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष अवमानना याचिका दायर की गई थी। याचिका में अधिवक्ताओं ने तर्क प्रस्तुत किया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित स्थानांतरण समिति के अध्यक्ष आईएएस मनोज पिंगुआ द्वारा किसी भी मामले में हाईकोर्ट बिलासपुर के आदेश का पालन ना कर हाईकोर्ट की घोर अवमानना की जा रही है। लगातार एक माह के भीतर डॉ वंदना भेले विरुद्ध मनोज पिंगुआ के मामले में डिवीजन बेंच द्वारा डॉ राकेश प्रेमी विरुद्ध मनोज पिंगुआ, कुंजेश्वर कौशल विरुद्ध मनोज पिंगुआ, योगेंद्र कौशल विरुद्ध मनोज पिंगुआ व दुलेलराम कुंजाम विरुद्ध मनोज पिंगुआ मामले में सिंगल बेंच द्वारा लगातार एक माह के भीतर इन पांचों मामलों आईएएस मनोज पिंगुआ के विरुद्ध अवमानना मामले में नोटिस जारी की है। परंतु किसी भी मामले में निर्धारित समयावधि में के भीतर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया है।
अधिवक्ताओं द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि न्यायालय अवमान अधिनियम 1971 की धारा 12 में जुर्माना एवं कठोर दंडादेश का प्रावधान किया गया है। हाईकोर्ट बिलासपुर द्वारा अवमानना मामलों में कठोर कार्यवाही न किए जाने से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष मानना मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है एवं न्यायालय का कीमती समय मानना मामलों की सुनवाई में व्यर्थ होने के कारण सैकड़ों अन्य पीड़ित पक्षकारों के मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। अधिवक्ताओं ने तर्क प्रस्तुत किया गया कि रिट मामले की सुनवाई के दौरान स्कूल शिक्षा सचिव, छत्तीसगढ़ शासन रायपुर द्वारा एक मामले में निर्धारित समय सीमा के भीतर हाईकोर्ट के आदेश का पालन न किए जाने व समय पर जवाब प्रस्तुत न किए जाने पर जस्टिस राकेश मोहन पांडे की सिंगल बेंच के द्वारा स्कूल शिक्षा के सचिव के ऊपर 20 हजार रुपये का जुर्माना अधिरोपित किया गया है।
अधिवक्ताओं के द्वारा अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया गया कि आईएएस मनोज पिंगुआ द्वारा मार्च माह के भीतर लगातार पांचवीं बार हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना की गई है। लगातार पांचवीं बार हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना किए जाने पर उनके विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई प्रारंभ कर गंभीर दंडादेश पारित किया जाए। जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू कि सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद आईएएस मनोज पिंगुआ के विरुद्ध अवमानना नोटिस जारी कर तत्काल जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।