Former IAS Anil Tuteja: ED की कार्रवाई से सुप्रीम कोर्ट नाराज, पूर्व IAS अनिल टुटेजा की गिरफ्तारी के तरीके पर उठाए सवाल; कहा यह तो बहुत डरावना है...
Former IAS Anil Tuteja: पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी के साथ ही नाराजगी भी जताई है। ED की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह तो हैरान करने वाली बात है। जो कुछ हुआ वह बहुत डरावना है।
Former IAS Anil Tuteja: नईदिल्ली। पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी के साथ ही नाराजगी भी जताई है। ED की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह तो हैरान करने वाली बात है। जो कुछ हुआ वह बहुत डरावना है। शराब घोटाले में संलिप्तता सामने आने के बाद ईडी ने पूर्व आईएएस को गिरफ्तार कर इस मामले में रात भर पूछताछ की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति के साथ ही नाराजगी जताई है।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की डिवीजन बेंच ने मामले के तथ्यों को पहले से स्पष्ट बताया और कहा कि 20 अप्रैल को हुई पूर्व नौकरशाह की गिरफ्तारी में परेशान करने वाली बातें हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। डिवीजन बेंच ने कहा कि पूर्व आईएएस अफसर अनिल टुटेजा की ईडी ने जिस तरह कार्रवाई की,उसके तरीके हैरान करने वाली है। याचिकाकर्ता अनिल टुटेजा ने बताया कि 20 अप्रैल 2024 को शाम करीब 4.30 बजे रायपुर स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) कार्यालय में बैठे थे। सबसे पहले, उसे रात 12 बजे ईडी के सामने पेश होने का निर्देश देते हुए समन भेजा गया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब वह एसीबी कार्यालय में बैठे थे तभी एक और समन भेजा गया। जिसमें उन्हें शाम 5.30 बजे ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया। इसके बाद ईडी के अफसर वैन में अपनी बैठाकर ईडी कार्यालय ले गई और रात भर पूछताछ की गई। सुबह 4 बजे टुटेजा को गिरफ्तार कर लिया गया। तथ्य काफी स्पष्ट हैं।
0 अपील वापस लेने दी अनुमति
सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करने के लिए उपस्थित अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को अपील वापस लेने की अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत के लिए निचली अदालत जाने की छूट दे दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले को निराकृत कर दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता द्वारा मामले को लेकर आवेदन दिया जाता है तो विशेष अदालत जमानत आवेदन पर सुनवाई को प्राथमिकता देगी।
0 छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने नियमित जमानत पर रिहा करने करने कर दिया था इंकार
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शराब घोटाले में फंसे पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा को नियमित जमानत पर रिहा करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए तल्ख टिप्पणी की है। उपरोक्त अपराधों के लिए निर्धारित दंड की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए और उपरोक्त मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की बाध्यकारी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए कि भ्रष्टाचार राष्ट्र का दुश्मन है और भ्रष्ट लोक सेवकों का पता लगाना और ऐसे व्यक्तियों को दंडित करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का एक आवश्यक आदेश है।
0 कोर्ट ने की थी गंभीर टिप्पणी
सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि याचिकाकर्ता सहित कई सरकारी अधिकारियों की भूमिका उजागर हुई है और अपराध में उनकी भूमिका स्थापित हुई है। जांच से पता चला है कि याचकिाकर्ता ने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिली-भगत करके सिंडिकेट्स को रिश्वत के भुगतान की सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
0 ये हैं सिंडिकेट के मुख्य कर्ताधर्ता
राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट ने कहा कि अब तक की जांच से पता चलता है कि याचिकाकताZ टूटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर के साथ सिंडिकेट का मुख्य व्यक्ति है। यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता शराब घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक था और उसने सरकारी कर्मचारी होने के नाते अपने पद का दुरुपयोग किया और अन्य आरोपियों के साथ शराब की अवैध बिक्री में शामिल रहा। जहां तक चिकित्सा मुद्दों के संबंध में समानता के आधार का संबंध है, जिसमें कहा गया है कि वह ऑस्टियोआर्थराइटिस, यकृत विकार, जीजीटीपी (यकृत क्षति), हाइपोनेट्रेमिया, उच्च रक्तचाप, हाइपोथायरायडिज्म और चिंता से पीड़ित है, ऐसी कोई गंभीर चिकित्सा समस्या नहीं है और इसलिए, वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता समानता के आधार पर जमानत देने का दावा नहीं कर सकता है।
0 टूटेजा के खिलाफ ये मामले हैं लंबित
0 एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर द्वारा धारा 109,120-बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)9डी) और 13(2) के तहत अपराध के लिए एफआईआर क्रमांक 09/2015 पंजीकृत किया गया, जिसमें आरोप पत्र दायर किया गया है और विशेष न्यायाधीश, एसीबी, रायपुर के समक्ष विचारण लंबित है
0 ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत पंजीकृत ईसीआईआर संख्या 01/2-029 जिसमें आवेदक के खिलाफ जांच चल रही है।
0 एफआईआर संख्या 196/2023, पीएस कासना, ग्रेटर नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर, यूपी द्वारा धारा 420.468.471,473,484 और 120-बी आईपीसी के तहत अपराध के लिए पंजीकृत।
0 ईसीआईआर/आरपीजेडओ/04/2024, ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत पंजीकृत किया गया है और मामला विद्वान विशेष न्यायाधीश पीएमएलए के समक्ष लंबित है।
0 एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा धारा 420,120-बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराध करने के लिए एफआईआर संख्या 36/2024 दर्ज की गई।
0 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7ए, 8, 13(2) और आईपीसी की धारा 182.211.193,195ए, 166ए और 120-बी के तहत अपराधों के लिए एसीबी द्वारा 4.11.2024 को एफआईआर संख्या 49/2024 दर्ज की गई।
0 वर्तमान मामले में, वह सिंडिकेट के आपराधिक कृत्यों में शामिल था आरोप पत्र के साथ संलग्न व्हाट्सएप चैट का विवरण प्रथम दृष्टया वर्तमान मामले में आवेदक की संलिप्तता को दर्शाता है।