DGP Salection 2024: छत्तीसगढ़ के नए DGP के लिए इन छह नामों का पेनल जाएगा UPSC, जानिये DGP चयन का क्या है प्रोसिजर...
DGP Salection 2024: छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा अगले महीने रिटायर हो जाएंगे। नए डीजीपी के चयन की प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही नामों को पेनल यूपीएससी को भेजा जाएगा।
DGP Salection 2024: रायपुर। छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा का दो साल का कार्यकाल अगले महीने पांच अगस्त को कंप्लीट हो जाएगा। राज्य सरकार ने उन्हें पांच अगस्त 2022 को पूर्णकालिक डीजीपी अपाइंट किया था। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार देश में केंद्रीय गृह सचिव और राज्यों के डीजीपी का दो साल का कार्यकाल निर्धारित किया गया है। अगर नियुक्ति के आदेश के एक महीने बाद भी रिटायरमेंट हो तो भी उन्हें दो साल काम करने का मौका मिलेगा। वरना, अशोक जुनेजा का रिटायरमेंट जून 2023 था। इस हिसाब से वे पिछले साल ही रिटायर हो गए होते।
अशोक जुनेजा को मिला दो साल का लाभ
हालांकि, डीएम अवस्थी के हटने के बाद सितंबर 2021 में ही अशोक जुनेजा को प्रभारी डीजीपी बना दिया गया था। मगर नियम यह है कि पूर्णकालिक डीजीपी नियुक्त होने के बाद ही दो साल का नियम काउंट होता है। सो, 21 सितंबर 2021 से लेकर 4 अगस्त 2022 तक उन्हें प्रभारी के तौर पर बोनस मिल गया। वरना, अगर वे 21 सितंबर 2021 को प्रभारी की जगह पूर्णकालिक डीजीपी बन गए होते तो 20 सितंबर 2023 में रिटायर हो गए हो जाते। हालांकि, नक्सली मोर्चे पर चौंकाने वाली मिली सफलता को देखते अशोक जुनेजा को एक्सटेंशन देने पर भी चर्चाएं हो रही है। मगर सरकार ने जिस तरह डीजी के दो पदों पर अरूणदेव गौतम और हिमांशु गौतम को प्रमोशन दिया है, उससे लगता है कि सरकार अब कुछ नया करना चाह रही है। हालांकि, यह भी सही है कि सरकार में नीचे लेवल पर नामों को लेकर चर्चाएं अवश्य हो रही हैं मगर अभी पेनल यूपीएससी को नहीं भेजा गया है। क्योंकि, जुनेजा के रिटायरमेंट में अब एक महीना बच गया है। और भारत सरकार का प्रॉसेज लंबा होता है।
25 साल की सर्विस
यद्यपि डीजीपी बनने के लिए 30 बरस की सेवा जरूरी है। इससे पहले स्पेशल केस में एकाध साल पहले भारत सरकार डीजीपी बनाने की अनुमति दे सकती है। छोटे राज्यों में जहां आईपीएस का कैडर छोटा होता है, सो वहां अफसर मिल नहीं पाते। इसको देखते भारत सरकार ने डीजीपी के लिए 30 साल की सर्विस की जगह 25 साल कर दिया है। मगर बड़े राज्यों के लिए यह प्रासंगिक नहीं है। क्योंकि, जब 30 साल की सेवा वाले उपर में कई अफसर हैं तो फिर नीचे के अफसर को कैसे डीजीपी बनाया जा सकता है।
25 साल वाले ये नाम
चूकि भारत सरकार ने डीजीपी के लिए 25 साल का नियम बना दिया है, सो पेनल में 25 साल की सर्विस वाले सभी अफसरों के नाम भेजे जाएंगे यूपीएससी को। वहां मीटिंग में तय होगा कि आखिरी किन तीन नामों को पेनल फायनल कर यूपीएससी राज्य को भेजे। राज्य सरकार फिर उन तीन नामों में से किसी एक पर टिक लगाकर डीजीपी अपाइंट करेगी। इस समय अशोक जुनेजा के बाद सीनियरिटी में चार नाम ऐसे हैं, जिनकी सर्विस 30 साल पूरी हो गई है। उनमें पवनदेव, अरुणदेव गौतम, हिमांशु गुप्ता और एसआरपी कल्लूरी शामिल हैं। पवनदेव की जांच की वजह से डीजी प्रमोशन का लिफाफा बंद हो गया है। मगर गौतम और हिमांशु को डीपीसी ने डीजी बनाने की हरी झंडी दे दी है। मगर यूपीएससी को पेनल भेजा जाता है 25 साल की सर्विस वालों का। छत्तीसगढ़ में चूकि 25 साल की सेवा वाले अफसरों के नाम ज्यादा नहीं, लिहाजा गृह विभाग सभी का नाम भेजेगी। इनमें अरुणदेव गौतम 92 बैच, हिमांशु गुप्ता 94 बैच, एसआरपी कल्लूरी 94 बैच, प्रदीप गुप्ता 95 बैच, विवेकानंद 96 बैच, दिपांशु काबरा 97 बैच और अमित कुमार 98 बैच। इन नामों में से तीन का पेनल फायनल कर यूपीएससी भारत सरकार के गृह मंत्रालय को भेजेगी। फिर वहां से लेटर राज्य सरकार को आएगा। राज्य सरकार उसमें से किसी को डीजीपी अपाइंट करेगी।
चार सदस्यीय कमेटी करेगी पेनल फायनल
राज्य सरकार यूपीएससी को डीजीपी नियुक्ति के लिए नामों का पेनल भेजती है। इसके बाद फिर यूपीएससी में मीटिंग होती है। इसमें यूपीएससी चेयरमैन खासतौर से मौजूद रहते हैं। किसी विषम परिस्थितियों की वजह से वे नहीं आ पाए तो उनके बदले में कोई मेम्बर होता है। इसके अलावा भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ होम का कोई नामिनी, मसलन ज्वाइंट सिकरेट्री लेवल का कोई अफसर होता है। और संबंधित राज्य के चीफ सिकरेट्री और वर्तमान डीजीपी। ये चारों मिलकर गुण-दोष के आधार पर पेनल तैयार करते हैं।