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DGP Salection 2024: डीजीपी चयन का बदल गया समीकरण: अब त्रिकोणीय मुकाबला, इसी महीने भेजा जाएगा नाम

DGP Salection 2024: छत्‍तीसगढ़ पुलिस के नए मुखिया (डीजीपी) के चयन का समीकरण बदल गया है। पहले 2 अफसरों के बीच सीधा मुकाबला था, लेकिन अब संघर्ष त्रिकोणीय हो गया है।

DGP Salection 2024: डीजीपी चयन का बदल गया समीकरण: अब त्रिकोणीय मुकाबला, इसी महीने भेजा जाएगा नाम
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By Sanjeet Kumar

DGP Salection 2024: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ का अगला पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कौन होगा, इसका फैसला इसी महीने हो जाएगा। राज्‍य के मौजूदा डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल 4 अगस्‍त को खत्‍म हो रहा है। ऐसे में नए डीजीपी के लिए योग्‍य अफसरों के नामों की सूची राज्‍य सरकार को इसी महीने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजना होगा। अभी तक इस पद के लिए दो प्रमख दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन सप्‍ताहभर में ही समीकरण बदल गया है और अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

बता दें कि राज्‍य में डीजीपी और डीजी का एक-एक कॉडर और 2 एक्‍स कॉडर पद है। सप्‍ताहभर पहले तक राज्‍य में अशोक जुनेजा के अतिरिक्‍त डीजी रैंक का कोई दूसरा अफसर नहीं था। इस बीच एडीजी से डीजी रैंक पर पदोन्‍नति के लिए डीपीसी की बैठक हुई। इसमें 2 नामों अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्‍ता के नाम को हरी झंडी मिल गई। डीजी बनने की दौड़ में शामिल पवन देव का नाम विभागीय जांच की वजह से लिफाफा बंद कर दिया गया था, लेकिन पद खाली रखा गया था।

डीपीसी से मिली मंजूरी के बाद अरुण देव और हिमांशु गप्‍ता को डीजी प्रामोट करने का आदेश भी जारी हो गया। ऐसे में माना जा रहा था कि इन्‍हीं दोनों में से कोई एक डीजीपी बनेगा। इस बीच राज्‍य सरकार ने पवन देव का लिफाफा खोल दिया और उन्‍हें भी डीजी प्रमोट कर दिया गया है। पवन देव इस वक्‍त राज्‍य में मौजूद आईपीएस अफसरों में सबसे वरिष्‍ठ हैं। अरुण देव और पवन देव दोनों ही 1992 बैच के हैं, लेकिन वरिष्‍ठता क्रम में पवन देव ऊपर हैं। ऐसे में अब डीजीपी के लिए जो पैनल भेजा जाएगा उसमें सबसे ऊपर पवन देव का नाम होगा। इसके बाद अरुण देव और फिर हिमांशु गुप्‍ता का।

यूपीएससी को भेजा जाएगा 8 नामों का पैनल

डीजीपी पद के लिए 25 साल की सेवा जरुरी है। इस मापदंड में राज्‍य कैडर के 8 आईपीएस आ रहे हैं। इनमें 1992 बैच के पवन देव और अरुण देव गौतम, 1994 बैच के हिमांशु गुप्ता और एसआरपी कल्लूरी, 1995 बैच के प्रदीप गुप्ता, 1996 बैच के विवेकानंद, 1997 बैच दिपांशु काबरा और 1998 बैच अमित कुमार शामिल हैं। राज्‍य सरकार की तरफ से भेजे गए इन नामों में से यूपीएससी सर्विस रिकार्ड सहित अन्‍य आधार पर तीन नामों का पेनल फायनल कर भारत सरकार के गृह मंत्रालय को भेजेगी। फिर वहां से लेटर राज्य सरकार को आएगा। राज्य सरकार उसमें से किसी को डीजीपी अपाइंट करेगी।

जूनियर को डीजीपी बनाए जाने की स्थित‍ि में क्‍या होगा वरिष्‍ठ अफसरों का...

छत्‍तीसगढ़ में डीजीपी की दौड़ में 1992 से 1998 बैच के कुल 8 अफसर हैं। 1992 बैच के 2 अफसरों में से किसी एक को डीजीपी बनाया जाता है तो दूसरे को पुलिस मुख्‍यालय से बाहर पदस्‍थ किया जाएगा। वैसे इस वक्‍त दोनों अफसर पीएचक्‍यू से बाहर हैं। पवन देव पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के एमडी है तो अरुण देव नगर सेना सहित अन्‍य जिम्‍मेदारी संभाल रहे हैं। हिमांशु गुप्‍ता को डीजीपी बनाए जाने की स्थिति में दोनों अफसरों को पीएचक्‍यू से बाहर ही रहना पड़ेगा। गुप्‍ता के किसी जूनियर को डीजीपी बनाया जाता है तो कुल 4 अफसरों को पीएचक्‍यू से बाहर पदस्‍थ करना पड़ेगा।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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