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DGP Salection 2024: जानिये कैसे होता है डीजीपी का सलेक्शन

DGP Salection 2024: किसी प्रदेश के पुलिस प्रमुख यानी महानिदेशक (डीजीपी) का चयन कैसे होता है। राज्‍यों के डीजीपी चयन में केंद्र सरकार की क्‍या भूमिका होती है। इन सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़‍िये यह खबर.

DGP Salection 2024: जानिये कैसे होता है डीजीपी का सलेक्शन
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By Sanjeet Kumar

DGP Salection 2024: राज्‍यों के पुलिस महानिदेशक (DGP) चयन की एक निधार्रित प्रक्रिया है। इसमें राज्‍य के साथ ही संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और केंद्रीय गृह मंत्रालय की भी भूमिका रहती है।

राज्य सरकार यूपीएससी को डीजीपी नियुक्ति के लिए नामों का पेनल भेजती है। इसके बाद फिर यूपीएससी में मीटिंग होती है। इसमें यूपीएससी चेयरमैन खासतौर से मौजूद रहते हैं। किसी विषम परिस्थितियों की वजह से वे नहीं आ पाए तो उनके बदले में कोई मेम्बर होता है। इसके अलावा भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ होम का नामिनी, मसलन ज्वाइंट सिकरेट्री लेवल का कोई अफसर होता है। एक मेम्बर पैरा मिलिट्री फोर्स का डीजी होते हैं। भारत सरकार उन्हें नामित करती है। इनके अलावा संबंधित राज्य के चीफ सिकरेट्री और वर्तमान डीजीपी सदस्य होते हैं। अगर डीजीपी स्वयं दावेदार हैं तो वे मेम्बर नहीं हो सकते। याने प्रभारी डीजीपी पूर्णकालिक डीजीपी चयन कमेटी में नहीं रह सकते। बहरहाल, ये सभी मिलकर गुण-दोष के आधार पर पेनल तैयार करते हैं।

डीजीपी पद के लिए योग्‍यता

यद्यपि डीजीपी बनने के लिए 30 बरस की सेवा जरूरी है। इससे पहले स्पेशल केस में एकाध साल पहले भारत सरकार डीजीपी बनाने की अनुमति दे सकती है। छोटे राज्यों में जहां आईपीएस का कैडर छोटा होता है, सो वहां अफसर मिल नहीं पाते।

इसको देखते भारत सरकार ने डीजीपी के लिए 30 साल की सर्विस की जगह 25 साल कर दिया है। मगर बड़े राज्यों के लिए यह प्रासंगिक नहीं है। क्योंकि, जब 30 साल की सेवा वाले उपर में कई अफसर हैं तो फिर नीचे के अफसर को कैसे डीजीपी बनाया जा सकता है।

वैसे डीजीपी के लिए और भी कई क्रायटेरिया तय किया गया है। अगर आईपीएस में 30 साल की सर्विस पूरी हो गई है और डीजी प्रमोशन नहीं हुआ है तो भी यूपीएससी चाहे तो उपर के नामों को नजरअंदाज करते हुए नीचे के नामों पर विचार कर सकता है। याने यह आवश्यक नहीं कि राज्य द्वारा भेजे गए नामों में से ही यूपीएससी पेनल बनाएगा। वह ग्रेडेशन लिस्ट के आधार पर और नामों को शामिल कर सकता है या फिर राज्यों का प्रस्ताव लौटा कर अपडेटेड प्रस्ताव मंगा सकता है।

मुख्यमंत्री को अधिकार नियुक्ति का

यूपीएससी की सलेक्शन कमेटी का काम सिर्फ गुण-दोष के आधार पर तीन नामों को पेनल बनाना है। इसके बाद वह मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर को पेनल भेज देता है। एमएचए फिर संबंधित राज्य सरकार को पेनल भेजता है। इसके बाद राज्य के मुखिया और ऑल इंडिया सर्विस के नियोक्ता के नाते मुख्यमंत्री को अधिकार है कि तीन नामों से किसी एक नाम पर टिक लगाकर वे डीजीपी अपाइंट करेंगे।

प्रभारी डीजीपी का प्रावधान

राज्य सरकारों द्वारा यूपीएससी को प्रस्ताव भेजने में विलंब करने या किसी कारणवश यूपीएससी की प्रक्रिया में अगर टाईम लग गया तो फिर राज्य सरकारें प्रभारी डीजीपी नियुक्त कर देती हैं। कई राज्य हालांकि, इसका फायदा अपने हिसाब से उठा रहे हैं। मसलन, सीनियरिटी को ओवरलुक करके किसी आईपीएस को पुलिस प्रमुख बनाना है और यूपीएससी के क्रायटेरिया में उसका नाम पेनल में आना संभव नहीं तो सरकारें उसे प्रभारी डीजीपी अपाइंट कर देती हैं। इस समय कई राज्यों में प्रभारी डीजीपी हैं।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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