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Collector Transfer: छत्तीसगढ़ में जल्द होगी प्रशासनिक सर्जरी, जानिये कलेक्टरो के ट्रांसफर के क्या हैं प्रॉसेज...बिना CM के अनुमोदन कैसे होते हैं ट्रांसफर

Collector Transfer: लोकसभा चुनाव 2024 के आचार संहिता समाप्त होने के बाद छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने कामकाज प्रारंभ कर दिया है। जल्द ही प्रशासनिक सर्जरी के संकेत मिल रहे हैं। जानिये कलेक्टरों के ट्रांसफर के क्या हैं प्रॉसेज और इसमें मुख्यमंत्री की क्या होती है भूमिका।

Collector Transfer: छत्तीसगढ़ में जल्द होगी प्रशासनिक सर्जरी, जानिये कलेक्टरो के ट्रांसफर के क्या हैं प्रॉसेज...बिना CM के अनुमोदन कैसे होते हैं ट्रांसफर
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By Sandeep Kumar

Collector Transfer: रायपुर। छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2023 में बीजेपी की विष्णुदेव साय सरकार का गठन हुआ था। इन छह महीनों में एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी हुई थी। उसके बाद छिट-पुट ट्रांफसर आदेश निकले हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद विष्णुदेव साय ने 3 जनवरी की देर रात बड़ी संख्या में आईएएस अफसरों का ट्रांसफर किया था। वैसे भी कोई नई सरकार बनती है, तो बड़े स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले होते हैं। आपको याद होगा कि दिसंबर 2018 में जब भूपेश बघेल सरकार बनी थी, तब एक साथ पांच दर्जन आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर हुए थे। उनमें 22 जिलों के कलेक्टर शामिल थे। विष्णुदेव सरकार ने उसकी तुलना में पहली सूची में कम ट्रांसफर किए। तब पिछली सरकार में नियुक्त कई कलेक्टरों को नई सरकार ने कंटीन्यू करने का फैसला किया था। मगर अब कुछ कलेक्टरों को बदले जाने पर विचार किया जा रहा है।

हालांकि, लोकसभा चुनाव के बाद दो कलेक्टर हिट विकेट होकर पेवेलियन लौट चुके हैं। पहले कांकेर कलेक्टर अभिजीत सिंह हटाए गए और उनके बाद बलौदा बाजार कलेक्टर केएल चौहान की सरकार ने छुट्टी कर दी। लोकसभा चुनाव के बाद करीब दर्जन भर कलेक्टरों को बदले जाने की चर्चाएं थी। इनमें से दो अपने आप बाहर हो गए। सो, लगता है पांच-सात जिलों के कलेक्टर और बदले जा सकते हैं। वैसे भी पांच जिलों के कलेक्टरों को हटाया या फिर इधर-से-उधर किया जाएगा तो एक चेन बन जाता है। जिस आईएएस अफसर को जिले में भेजा जाता है, उस अफसर की जगह पर भी पोस्टिंग करनी पड़ती है।

ये हैं पुराने कलेक्टर

बहरहाल, कलेक्टरों के ट्रांसफर में सरकार का पहला पैरामीटर दो साल का टेन्योरा कंप्लीट और पारफर्मेस बताया जा रहा है। खासकर, कांग्रेस सरकार में पोस्टेड कलेक्टर्स, जो जनवरी में हुए फेरबदल में बच गए, उनमें से कई को चेंज किया जाएगा या फिर किसी अन्य जिले में शिफ्थ किए जाएंगे। इनमें विजय दयाराम जगदलपुर, जन्मजय मोहबे कवर्धा, राहुल देव मुंगेली, डॉ0 रवि मित्तल जशपुर, आर एक्का बलरामपुर, विनय लंगेह कोरिया, एस0 जयवर्द्धने मानपुर-मोहला जयवर्द्धने और हरिस एस0 सुकमा शामिल हैं। इनमें से रवि मिततल खुद हटने के इच्छुक बताए जा रहे और दयाराम को अगर बीजेपी प्रेसिडेंट किरण सिंहदेव वीटो नहीं लगाए तो उन्हें हटना पड़ जाएगा।

आईएएस ट्रांसफर लिस्ट जल्दी

चूकि कलेक्टरों को बदले जाने पर चर्चाएं शुरू हो गई है, सो जानकार अफसरों को लगता है जल्द ही आदेश जारी हो सकता है। एनपीजी न्यूज ने हायर लेवल पर इसकी पतासाजी की तो बताया गया कि बात हो रही है, मेजर सर्जरी की जगह छोटी लिस्ट निकल सकती है। मगर कब? इस बात का जवाब अफसरों ने नहीं दिए। दरअसल, ट्रांसफर से पहले फीडबैक और शिकायतों के आधार पर अधिकारिक स्तर पर लिस्ट बनाई जाती है। फिर मुख्यमंत्री को सूची दिखाकर उनसे सहमति ली जाती है। मोटे तौर पर यही प्रॉसेज है। मुख्यमंत्री को अगर लगता है कि अभी किसी जिले के कलेक्टर को हटाए जाने की जरूरत नहीं तो वे उसके नाम को काट देते हैं या उन्हें लगता है कि किसी आईएएस को अगर कलेक्टर बनाना है और उसका नाम लिस्ट में नहीं तो वे उसे खुद जोड़ देते हैं या अफसरों को बोल देते हैं, लिस्ट को अपडेट करके उनके पास लाएं।

ये है प्रॉसेज

कलेक्टरों के ट्रांसफर या पोस्टिंग का प्रॉॅसेज ये है कि पहले सीएम सचिवालय के अधिकारी मुख्यमंत्री से चर्चा कर लिस्ट फायनल करते हैं। बता दें, छत्तीसगढ़ में सामान्य प्रशासन विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है। वैसे भी किसी भ ी राज्य में आल इंडिया सर्विस के अफसर यानी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के मामले मुख्यमंत्री देखते हैं। उन्हीं के निर्देश और अनुमोदन से आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के ट्रांसफर होते हैं। सो लिस्ट पर चर्चा फायनल होने और मुख्यमंत्री की सहमति के बाद फिर जीएडी नोटशीट तैयार करता है। चूकि मुख्यमंत्री को पहले से मालूम होता है कि नोटशीट में कौन-कौन से नाम हैं...इसलिए नोटशीट को मुख्यमंत्री का अनुमोदन औपचारिक होता है। मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद जीएडी फिर कलेक्टरों के ट्रांसफश्र का आदेश जारी कर देता है।

सीएम के बिना अनुमोदन के ट्रांसफर

कई बार तो बिना मुख्यमंत्री के अनुमोदन के भी ऑल इंडिया सर्विस के अफसरों के ट्रांसफर आदेश जारी हो जाते हैं। मगर ये विशेष परिस्थितियों में होता है। मुख्यमंत्री जब दौरे में कही बाहर होते हैं और किसी कलेक्टर, एसपी को अचानक हटाना पड़ जाए। कई बार कुछ घटनाएं हो जाती हैं या कोई कलेक्टर, एसपी के खिलाफ कोई बड़ा स्कैंडल मिल जाए या कोई ब्लंडर चूक कर दिया तो फिर सीएम सचिवालय के अफसर तुरंत सीएम से मौखिक अनुमोदन लेकर आदेश जारी कर देते हैं। फिर बाद में मुख्यमंत्री का अनुमोदन ले लेते हैं। वैसे दो-तीन अफसरों के ट्रांसफर आदेश जब निकलता है, तो उसमें भी कई बार मुख्यमंत्री के अनुमोदन नहीं होते। क्योंकि, आपसी चर्चाओं में मुख्यमंत्री मौखिक तौर पर अफसरों को ट्रांसफर करने के लिए निर्देश दे देते हैं मगर कहीं व्यस्त हो गए तो फिर अधिकारी आदेश जारी कर नोटशीट पर बाद में उनसे अनुमोदन करा लेते हैं।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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