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Chief Secretary, DGP: 6 बार सीनियर IAS, IPS अफसरों को सुपरसीड कर छत्तीसगढ़ में मुख्य सचिव और DGP बनाए गए, जानिये कब-कब ऐसा हुआ...

सीनियर आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को सुपरसीड कर पसंदीदा अधिकारियों को मुख्य सचिव या डीजीपी बनाना राज्य सरकारों के लिए कोई नई बात नहीं है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद 25 सालों में ऐसा आधा दर्जन बार हो चुका है। ये अलग बात है कि सीनियर अधिकारियों को सुपरसीड करने की की अधिकांश घटनाएं बीजेपी शासनकाल में हुई। कांग्रेस की पिछली सरकार में अशोक जुनेजा को डीजी पुलिस बनाने दो अफसरों को सुपरसीड किया गया।

Chief Secretary, DGP: 6 बार सीनियर IAS, IPS अफसरों को सुपरसीड
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Chief Secretary, DGP

By Gopal Rao

Chief Secretary, DGP: रायपुर। छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन का लंबा कार्यकाल इसी महीने 30 जून को समाप्त होने जा रहा है। उनके रिटायरमेंट से पहले राज्य सरकार नए मुख्य सचिव की नियुक्ति करेगी। नए मुख्य सचिव के लिए 30 साल की सर्विस पूरी करने वाले पांच सीनियर आईएएस अधिकारी पात्रता रखते हैं। इनमें रेणु पिल्ले 91 बैच, सुब्रत साहू 92 बैच, अमित अग्रवाल 93 बैच, ऋचा शर्मा 94 बैच और मनोज पिंगुआ 94 बैच शामिल हैं। इन पांचों में से सूबे के प्रशासनिक मुखिया का चेहरा किसके सिर पर सजेगा, सरकारी कैंप में अभी मौन की स्थिति है। लिहाजा, अटकलों का बाजार गर्म है। कोई सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ के बीच सीधा मुकाबला बता रहा तो दिल्ली से अमित अग्रवाल के आने या ऐन मौके पर रेणु या ऋचा में से किसी को कमान सौंप देने की चर्चाएं भी कम नहीं हैं।

रेणु पिल्ले सबसे सीनियर

अमिताभ जैन के बाद सरकार अगर सीनियरिटी के आधार पर फैसला करेगी तो 91 बैच की रेणु पिल्ले का दावा सबसे मजबूत होगा। अमिताभ के बाद वे प्रदेश की सबसे सीनियर एडिशनल चीफ सिकरेट्री हैं।

सीनियरिटी को सुपरसीड

रेणु पिल्ले की बजाए राज्य सरकार अगर किसी और को मुख्य सचिव की कुर्सी सौंपना चाहेगी तो रेणु पिल्ले की सीनियरिटी सुपरसीड होगी। अगर अमित अग्रवाल पर सरकार दांव लगाना चाहेगी तो उसे रेणु पिल्ले के साथ सुब्रत साहू को सुपरसीड करना होगा।

क्या होता है सुपरसीड

ब्यूरोक्रेसी की भाषा में सीनियरिटी को नजरअंदाज कर जूनियर को पद दिया जाता है तो उसे सुपरसीड कहा जाता है। 90 के दशक तक सुपरसीड जैसा कछ नहीं होता था। जो सीनियर होता था, उसे मुख्य सचिव और डीजीपी बनाया जाता था। 90 के दशक के बाद राज्यों में सुपरसीड कर सीएस और डीजी बनाने का चलन प्रारंभ हुआ। बिहार और युपी जैसे बड़े राज्यों में 10 से 12 अधिकारियों को सुपरसीड कर मुख्य सचिव और डीजीपी बनाने की घटनाएं हो चुकी हैं।

छत्तीसगढ़ में छह बार

छत्तीसगढ़ में पहली बार सुपरसीड कर डीजीपी बनाने की घटना 2005 में हुई थी, जब वासुदेव दुबे की सीनियरिटी को नजरअंदाज कर रमन सरकार ने ओपी राठौर को डीजीपी बनाया था। इसके बाद 2007 में पहली बार मुख्य सचिव के लिए तीन अधिकारियों को सुपरसीड किया गया। मुख्य सचिव आरपी बगाई रिटायर हुए तो उनके बाद सीनियरिटी में बीकेएस रे सबसे उपर थे। उनके बाद पी राघवन, बीके कपूर और फिर शिवराज सिंह थे। राज्य सरकार ने बीकेएस रे, राघवन और कपूर को सुपरसीड कर शिवराज सिंह को मुख्य सचिव बनाया था। पांच साल बाद फिर 2011 में एसीएस नारायण सिंह को सुपरसीड कर सुनिल कुमार को मुख्य सचिव बनाए गए। हालांकि, राधाकृष्णन भी सुनिल कुमार से सीनियर थे मगर विभिन्न जांचों की वजह से उनका प्रमोशन नहीं हो पाया था। फरवरी 2014 में गिरधारी नायक और एमडब्लू अंसारी की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर एएन उपध्याय को डीजीपी की कुर्सी पर बिठाया गया। उपध्याय का डीजी बनने के लिए 30 साल की सर्विस पूरी नहीं हुई थी। रमन सरकार ने इसके लिए भारत सरकार से विशेष अनुमति लेकर पहले उन्हें डीजी बनाया गया। इसी तरह 2021 में अशोक जुनेजा को डीजीपी बनाने के लिए संजय पिल्ले और आरके विज को सुपरसीड किया गया। हालांकि, जुनेजा पहले प्रभारी बने, बाद में फिर पूर्णकालिक। मगर सुपरसीड तो हुआ ही। इसी तरह अरुणदेव गौतम को सरकार ने भले ही प्रभारी डीजीपी बनाया मगर उनसे बैचवाइज सीनियर पवनदेव थे, सो वे सुपरसीड हुए ही। हालांकि, राज्य सरकार ने पूर्णकालिक डीजीपी के लिए यूपीएससी को भेजे पेनल में पवनदेव का नाम शामिल किया था मगर यूपीएससी से हरी झंडी नहीं मिल पाई।

कांग्रेस सरकार में सुपरसीड

पिछली कांग्रेस सरकार में सुनील कुजूर को सीएस बनाने के लिए अजय सिंह को हटाया गया, मगर किसी को सुपरसीड नहीं किया गया। 2019 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद गिरधारी नायक की बजाए उनसे जूनियर डीएम अवस्थी को इसलिए डीजीपी बनाया गया, क्योंकि नायक के रिटायरमेंट में छह महीने से कम समय बचा था और सुप्रीम कोर्ट ने डीजी पुलिस के लिए मिनिटम छह महीने का टाईम निर्धारित कर दिया था। सितंबर 2021 में भूपेश बघेल सरकार ने डीएम अवस्थी को हटाकर 89 बैच के आईपीएस अशोक जुनेजा को डीजीपी बनाया। इसमें 88 बैच के आरके विज और संजय पिल्ले को सुपरसीड किया गया।

जोगी शासन काल में जीरो

राज्य बनने के पहले पांच साल में सुपरसीड कर सीएस, डीजीपी बनाने की कोई घटना नहीं हुई। जोगी शासनकाल में 2003 तक एक भी नहीं। जबकि, आरएलएस यादव तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेहद करीब रहे। मगर जोगी ने सीनियरिटी को देखते श्रीमोहन शुक्ला को ही डीजीपी बनाया। हालांकि, आरएलएस यादव का रिटायरमेंट करीब था और जोगी चाहते थे कि यादव एक बार डीजीपी बन जाएं। लिहाजा, उन्होंने श्रीमोहन शुक्ला को वीआरएस लेने के लिए तैयार किया। श्रीमोहन शुक्ला को वीआरएस लेते ही पीएससी का चेयरमैन बना दिया गया।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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