Chhattisgarh Tarkash: बंटी, बबली और छत्तीसगढ़ पीएससी
Chhattisgarh Tarkash: छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी, राजनीति और बडी घटनाओं पर केंद्रित वरिष्ठ पत्रकार संजय दीक्षित का निरंतर 15 सालों से प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ तरकश
तरकश, 3 मार्च 2024
संजय के. दीक्षित
बंटी, बबली और पीएससी
पीएससी घोटाले की एक और एफआईआर हो गई है। उस स्कैम से जुड़े कई अफसर फरार बताए जा रहे हैं। मगर जांच एजेंसियों को इसे भी नोटिस में लेना चाहिए...पीएससी स्कैम में जिस बंटी-बबली की जोड़ी ने खेला किया, उसमें उनके नाते-रिश्तेदारों की भूमिका भी अहम रही। बताते हैं, लेनदेन का काम बंटी के साढ़ू भाई ने किया। जांच एजेंयियां अगर बंटी के साढ़ू भाई का कॉल डिटेल निकलवा ले, तो उसमें कई बड़े सफेदपोश लोग एक्सपोज होंगे। उस मोबाइल से ही डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी के लिए 75 लाख से लेकर एक करोड़ तक के सौदे हुए। जिन्होंने एक पद लिया, उन्हें एक करोड़ और जिन लोगों ने एक साथ दो पद की डील की, उन्हें डिस्काउंट दिया गया। पीएससी के तीन साल में हुई परीक्षाओं में बताते हैं, बंटी ने करीब 50 खोखा तो बबली को मिला 15 खोखा। बंटी ने दो बड़े फार्म हाउस खरीदे तो बबली ने रायपुर के एक बड़े बिल्डर के प्रोजेक्ट में लगाया पैसा।
200 करोड़ की डायरी
पिछली सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग की 200 करोड़ की डायरी आई थी। उस डायरी में चौंकाने वाले खुलासे थे। बीजेपी तब 15 सीटों पर सिमटने से गमजदा थी। और तब के अफसरों ने मामले को रफा-दफा करने के लिए एक कांग्रेस के नेता को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मैसेज ये दिया गया कि डायरी फर्जी थी, अफसरों को बदनाम करने के लिए। बीजेपी अब सत्ता में है, इसकी जांच कराना चाहिए। क्योंकि, उसकी घोषणा पत्र में, बेहतर शिक्षा और उज्जवल भविष्य का नारा है, वह स्कूल शिक्षा के खटराल अधिकारियों के रहते संभव नहीं। स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, सिकरेट्री सिद्धार्थ परदेशी और डीपीआई दिव्या मिश्रा रिफर्म के कई काम शुरू किए हैं, मगर वो केबीसी के होते अंजाम तक पहुंचना कठिन है। केबीसी मतलब स्कूल शिक्षा संचालनालय के तीन चर्चित तिकड़ी। ये तिकड़ी किसी और को डीपीआई में टिकने नहीं देती। सरकार ने दो डिप्टी कलेक्टरों का पद क्रियेट किया। दो अफसर पोस्ट भी हुए। मगर उन्हें काम ही नहीं सौंपने दिया। ज्वाइंट कलेक्टर लेवल के राजेंद्र गुप्ता आठ महीने वहां खाली बैठे रहे। किसी तरह वे डीपीआई से बाहर निकले हैं।
खाली हाथ, खाली डब्बा
शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ की ईओडब्लू ने 13 पूर्व आईएएस, आबकारी अधिकारी और शराब ठेकेदारों के 14 ठिकानों पर छापा मारकर सनसनी फैला दी थी। राज्य बनने के बाद यह पहली हाईप्रोफाइल कार्रवाई होगी, जो मुकेश गुप्ता जैसे ईओडब्लू चीफ के टेन्योर में भी नहीं हो पाई। मगर इस छापे में कुछ मिला नहीं। सभी ठिकानों से ईओडब्लू की टीम खाली हाथ लौट आई। दरअसल, ईओडब्लू छापे से पहले इनमें से अधिकांश ठिकानों पर ईडी दबिश दे चुकी है। सो, सारे दस्तावेज ईडी जब्त कर ले गई है। ईओडब्लू अफसरों को सभी लोगों ने टका सा जवाब दे दिया...कोई कागज हमारे पास नहीं है। ऐसे में, ईओडब्लू क्या करती। मायूसी के अलावा कोई चारा नहीं था।
पहुना की सुरक्षा
मुख्यमंत्री के अस्थाई निवास पहुना में गए सप्ताह पिस्तौल के साथ एक युवक के घुस जाने से खलबली मच गई। सीएम जेड प्लस सिक्यूरिटी केटेगरी में आते हैं। उन तक पहुंचने के लिए कई लेवल पर चेकिंग होती है। ऐसे में, पिस्तौल वाली घटना से कोहराम मचना ही था। पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि इस मामले में आठ सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया है। अगर ये दावा गलत भी है तो कोई बुराई नहीं। क्योंकि, संघ के नेता का ठेकेदार पोता हाउस में रोज जाने वाली सरकारी गाड़ी में भीतर चला गया तो सिपाहियों का इसमें कोई कसूर कैसे? दरअसल, स्थायी सीएम हाउस में शिफ्थ होते तक इस तरह के प्राब्लम पुलिस अधिकारियों को फेस करना ही होगा। सीएम हाउस में एक बार सीएम चले गए तो उसके बाद वहां पहुंचना सबके लिए मुमकिन नहीं होगा। पीडब्लूडी को जल्द-से-जल्द सीएम हाउस को तैयार कर देना चाहिए।
मंत्री की वैकेंसी
छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर विधायक और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को बीजेपी ने रायपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया है। बृजमोहन कई लोकसभा चुनावों में चुनाव संचालक रहे और पार्टी प्रत्याशी को जीताया भी। सो, रायपुर से बृजमोहन की जीत में कोई संशय नहीं है। ऐसे में, न केवल रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट खाली होगी बल्कि मंत्री की एक वैकेंसी भी बढ़ेगी। इस समय एक सीट खाली है। बृजमोहन के केंद्र की राजनीति में जाने के बाद अब दो हो जाएगी। जाहिर है, लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रियों के खाली पद भरे जाएंगे। अब देखना है, अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, धरमलाल कौशिक और राजेश मूणत में से किन दो को मौका मिलता है। वैसे, वर्तमान सियासी समीकरणों को देखते बिलासपुर से एक मंत्री की संभावना प्रबल प्रतीत हो रही है।
महतारी जिला
छत्तीसगढ़ सरकार महिलाओं के लिए सिर्फ महतारी वंदन नहीं कर रही बल्कि जिलों में प्रशासनिक पोस्टिंग में भी महिला अफसरों का ध्यान रख रही है। इस समय दो जिले ऐसे हैं, जिनमें कलेक्टर, एसपी दोनों महतारी हैं। सक्ती में नुपूर राशि पन्ना पहले से कलेक्टर थीं, वहां अब अंकिता शर्मा को एसपी बनाकर भेजा गया है। जीपीएम जिले में भी यही सीन है। कमलेश लीना मंडावी कलेक्टर और भावना गुप्ता एसपी हैं। हालांकि, महतारी योजना में भावना गुप्ता के साथ थोड़ी डंडी मारी गई है। भावना सूरजपुर, अंबिकापुर, बेमेतरा की एसपी रह चुकी हैं। इसके बाद उन्हें जीपीएम टिकाया गया है। वहीं, प्रमोटी आईएएस लीना मंडावी का यह पहला जिला है। जाहिर है, भावना को इसका मलाल तो रहेगा। बहरहाल, ये दोनों जिला महतारी जिला हो गए हैं।
महतारी विभाग
छत्तीसगढ़ में महतारी जिला के साथ ही महतारी विभाग भी बन गए हैं। नाम के अनुरूप महिला बाल विकास विभाग में इस समय उपर में सभी महिलाएं हैं। इस विभाग की मंत्री प्रारंभ से महिला रहती आई हैं। मगर इस समय सिकरेट्री शम्मी आबिदी और डायरेक्टर तुलिका प्रजापति हैं। ऐसा संयोग कभी नहीं हुआ। डीपीआई जब दिव्या मिश्रा रहीं तो सिकरेट्री जेंस रहे और दिवंगत आईएएस एम गीता जब इस विभाग की सिकरेट्री रहीं तो डायरेक्टर जेंस आईएएस। इस समय मंत्री, सिकरेट्री और डायरेक्टर, तीनों महतारी।
महीने भर में प्रमोशन
सारंगढ़ छत्तीसगढ़ का पहला जिला होगा, जहां दो महीने के भीतर तीन कलेक्टर बदल गए। पहली बार 3 जनवरी को फरिया आलम को हटाकर कुमार चौहान को कलेक्टर बनाया गया। और अब कुमार को हटाकर धर्मेश साहू को। कुमार चौहान किस्मती निकले, उनका दो महीने में ही प्रमोशन हो गया। उन्हें सारंगढ़ से सीधे बलौदा बाजार का कलेक्टर बना दिया गया। दरअसल, चौहान लैलूंगा के रहने वाले हैं। याने रायगढ़ संसदीय क्षेत्र। सारंगढ़ भी रायगढ़ लोकसभा इलाके में आता है। सो, चुनाव आयोग के नए फारमान के बाद सरकार के पास चौहान को हटाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। बलौदा बाजार के कलेक्टर बदले जा रहे थे। लिहाजा, चौहान की लाटरी खुल गई। चौहान वही कलेक्टर हैं, जो सारंगढ़ में आत्मानंद स्कूल के गुरूजी को जनपद पंचायत का सीईओ बना डाले थे। बाद में मीडिया में मामला उछला तो उन्होंने तुरंत आर्डर निरस्त कर दिया था।
डेपुटेशन की हरी झंडी
भारत सरकार में पोस्टेड आईएएस अफसर सिर्फ आ ही नहीं रहे बल्कि यहां से भी जा रहे हैं। 2009 बैच के एक आईएएस ने राज्य सरकार से सेंट्रल डेपुटेशन के लिए एनओसी मांगा था। सीएम से उनके एनओसी को मंजूरी मिल गई है। आईएएस को अगर केंद्र में पोस्टिंग मिल गई तो वे चले जाएंगे। आईएएस चूकि यहां हेल्थ, समाज कल्याण, हाउसिंग जैसे सेक्टर में काम कर चुके हैं, इस आधार पर उन्हें भारत सरकार में अच्छी पोस्टिंग मिल सकती है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. पिछली सरकार में एक मंत्री को मोहपाश में बांध करोड़ों का काम हथियाने वाली किस रुप की मल्लिका को फिर उपकृत करने की तैयारी की जा रही?
2. दो साल से ड्यू होने के बाद भी पिछली सरकार ने 92 बैच के आईपीएस अफसरों को डीजी प्रमोट नहीं किया और इस सरकार में भी कोई चर्चा नहीं। इसकी क्या वजह है?