Chhattisgarh Tarkash 2025: रोलर युग में कड़ी और चांदा
छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित पत्रकार संजय के. दीक्षित का पिछले 17 बरसों से निरंतर प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ तरकश।

तरकश | 7 दिसंबर | संजय के. दीक्षित
रोलर युग में कड़ी और चांदा
आंध्रप्रदेश जैसे कई राज्यों में जमीनों के सीमांकन के लिए रोलर सिस्टम चालू हो गया है। मगर छत्तीसगढ़ में जमीनों के नापजोख के लिए सिस्टम अभी भी वही कड़ी और चांदा के भरोसे है। वैसे बार-बार जमीनों के सीमांकन की जरूरत पड़नी भी नहीं चाहिए। मगर दिक्कत यह है कि कोई सुधार के लफड़े में पड़ना नहीं चाहता। ब्यूरोक्रेसी लकीर की फकीर बनी रहना चाहती है। हालांकि, ब्यूरोक्रेसी के कई यंग अफसर मानते हैं कि बार-बार सीमांकन की कोई जरूरत नहीं। सीमांकन की कोई वैद्यता भी नहीं है। उपर से एक पार्टी सीमांकन कराता है, सामने वाला उसे मानने से इंकार कर देता है। उसके बाद सीमांकन पर सीमांकन चलता रहता है। राजस्व विभाग को कायदे से एक बार सीमाकंन कराकर छोड़ देना चाहिए। जिसे अपील करना हो, कोर्ट में करे। जाहिर है, सीमांकन के फेर में तहसीलों में जेब काटने का काम किया जाता है। आम आदमी को अनावश्यक तहसीलों का चक्कर लगाना पड़ता हैं।
एमपी जैसा सिस्टम क्यों नहीं?
जमीनों के नामंतरण में हालांकि, छत्तीसगढ़ अब अपने बड़े भाई मध्यप्रदेश से आगे निकल गया है। अपने यहां अब जमीनों की रजिस्ट्री होते ही आटोमेटिक नामंकन हो जा रहा। मगर बाकी राजस्व मामलों में अभी काफी पीछे है। जमीन या संपत्ति के मामलों को लेकर अभी भी सूबे के तहसीलों में लोग महीनों, सालों भटकते रहते हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने रेवेन्यू में बड़ा रिफार्म करते हुए तहसीलों में न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था को अलग कर दिया है। वहां सिविल केसेज के लिए अलग तहसीलदार हैं और प्रशासनिक के लिए अलग। इससे प्रकरणों का निबटारा बेहद फास्ट हो गया है। इससे पहले तहसील ऑफिसों का चक्कर लगाते आम आदमी के चप्पल घिस जाते थे। तहसीलदार कभी दौरे में होते थे, तो कभी प्रशासनिक काम के सिलसिले में फील्ड या कलेक्ट्रेट में। एमपी गवर्नमेंट ने इस दिक्कत को समझते हुए दोनों व्यवस्थाओं को अलग कर दिया। छत्तीसगढ़ सरकार चाहे तो एमपी से एक कदम आगे बढ़ते हुए तहसीलदारों के साथ एसडीएम में भी न्यायिक और एडमिनिस्ट्रेशन को अलग किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में डिप्टी कलेक्टरों की वैसे भी कमी नहीं है। चीफ सिकरेट्री विकास शील को इस बड़े रिफार्म पर फोकस करना चाहिए। इससे लोगों को काफी राहत मिलेगी। वैसे भी मुख्य सचिव डिजिटलाइजेशन पर जोर दे रहे हैं। तहसीलों का करप्शन कम करने के लिए सुनवाई को भी ऑनलाइन किया जा सकता है। जब हाई कोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई हो सकती तो फिर तहसीलों में क्यों नहीं। इससे आम आदमी को तहसीलों के झंझटों से छुटकारा मिलेगा ही, जेब कटने से भी बचेगा।
पति-पत्नी और दो घर
रायपुर एयरपोर्ट के पास नकटी में विधायकों को और सेरीखेड़ी में नौकरशाहों को भले ही कुछ समय के लिए सरकारी जमीन आबंटन का मामला स्थगित कर दिया गया है, मगर जैसे ही सूबे की न्यायिक स्थिति अनुकूल होगी, फिर से आबंटन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसमें विधायकों, सांसदों और नौकरशाहों के लिए गुड न्यूज यह है कि अब पति-पत्नी दोनों को सरकारी जमीन का सुख मिलेगा। पिछली सरकार ने पति-पत्नी के केस में एक को जमीन का नियम बदलकर दोनों को सरकारी जमीन के लिए पात्र कर दिया था। याने पति-पत्नी विधायक हैं या आईएएस-आईपीएस, आईएफएस तो उन्हें अलग-अलग प्लॉट मिलेगा। एक पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी को इसी नियम के तहत प्लॉट दिया गया। अब, इसे आप ये मत समझिएगा कि पिछली सरकार पति-पत्नी को अलग प्लॉट देकर उनके घर को बांटना चाहती थी। ऐसा भी हो सकता है कि जितने बड़े नेता या आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, उतने अधिक स्ट्रेस, तनाव और लफड़े होते हैं। उनसे सहानुभूति रखते हुए पिछली सरकार ने फैसला किया कि सभी को फ्रीडम चाहिए, सबको अपने अंदाज में लाइफ जीने के लिए छूट देना चाहिए। वैसे भी सेपेरेट घर के अभाव में कई अफसर और नेता वीकेंड में मुंबई, गोवा चले जाते हैं...अलग घर रहने पर वे अपने हिसाब से रह सकेंगे। सो, आइडिया अच्छा है।
पोस्टिंग ठंडे बस्ते में
बिजली नियामक आयोग के चेयरमैन को इस्तीफा दिए लगभग दो महीने हो गए मगर अभी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इस पोस्ट के लिए बकायदा विज्ञापन जारी करने का प्रावधान है। आवेदन जमा करने के महीने भर बाद भर्ती प्रॉसेज प्रारंभ होगा। मगर अभी इस बारे में उर्जा विभाग में कोई सुगबुगाहट नहीं है। नियामक आयोग के गठन के बाद दो बार इंजीनियरिंग साइट से चेयरमैन रहे हैं और तीन बार रिटायर आईएएस। इस बार प्रतीत होता है कि इंजीनियरिंग साइट से कोई चेयरमैन बनें। क्योंकि, रिटायर आईएएस में अभी अमिताभ जैन के अलावा कोई है नहीं। और अमिताभ को मुख्य सूचना आयुक्त बनेंगे।
गुड न्यूज
मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के दावेदारों के लिए गुड न्यूज है। हाई कोर्ट से केस क्लियर होने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने सलेक्शन कमेटी की बैठक बुलाने के संदर्भ में लेटर भेज दिया है। मुख्यमंत्री सचिवालय जल्द ही चयन कमेटी की बैठक आहूत करेगा। कमेटी में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल मेंबर हैं। मुख्यमंत्री की व्यस्तता की वजह से बैठक हो नहीं पा रही। मगर विधानसभा सत्र से पहले किसी भी दिन मुख्य सूचना आयुक्त और दो सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का आदेश निकल सकता है।
मंत्रालय में मजमा
छत्तीसगढ़ के मंत्रालय महानदी भवन में एक दिसंबर को सुबह पौने दस बजे से दस बजे के बीच 15 मिनट ऐसा नजारा रहा, वैसा 25 साल में कभी नहीं हुआ। पोर्च से गेट तक करीब 300 मीटर का फासला है। आलम यह था कि अफसरों की गाड़ियों की कतार गेट से बाहर सड़क तक पहुंच गई। उससे पहले पोर्च में गाड़ियों की कभी लाइन नहीं लगी। दफ्तर के टाईम में पांच-सात मिनट के अंतराल में एकाध गाड़ी आ गई तो बड़ी बात। मगर एक दिसंबर को मजमा जैसी स्थिति थी। दरअसल, एक दिसंबर से मंत्रालय में सचिवों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू हुआ। हालांकि, मोबाइल में भी उसका एक्सेज दिया गया है। मगर पहले दिन कई सारे अधिकारियों ने ऐप्प डाउनलोड किया नहीं था। और, 10 बजे के पहले मंत्रालय पहुंचना भी था। इसलिए, एक साथ गाड़ियां का रेला मंत्रालय पहुंच गया। हालांकि, दिल्ली में भारत सरकार के ऑफिसों में ऐसा ही होता है। वहां 10 मिनट के अंतराल में सारे अधिकारी ऑफिस पहुंच जाते हैं, सो गाड़ियों की लाइन लग जाती है। बहरहाल, रायपुर मंत्रालय में सीएस खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उनके कंप्यूटर में 11 बजे पूरा अटेंडेंस डाउनलोड हो जाता है। 10 बजे तक मंत्रालय गुलजार हो जाने का यह भी एक बड़ा कारण है।
टूरिस्ट एंड ट्रेकिंग डेस्टिनेशन
दंतेवाड़ा के ढोलकल पहाड़ पर विराजित गणेशजी लोगों के आस्था के केंद्र तो हैं ही, ढोलकल पहाड़ अब टूरिज्म और ट्रेकिंग डेस्टिनेशन बनने जा रहा। दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने ट्रेकिंग के लिए रास्ता बना दिया है। वीकेंड में 500 से अधिक लोग ढोलकल पहुंच रहे हैं। पहाड़ी के नीचे आंध्र की एक कंपनी पीपीपी मोड में करीब साढ़े तीन एकड़ में रिसॉर्ट बना रही है। जाहिर है, चित्रकोट के बाद ढोलकल बस्तर का दूसरे नम्बर का टूरिस्ट सेंटर बन जाएगा। हालांकि, अध्यात्म के मामले में ढोलकल प्लस ही होगा।
मोदी और रमन की फ़ोटो
छत्तीसगढ़ में पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की एक फोटो की बड़ी चर्चा है। डीजीपी कांफ्रेंस के दौरान रमन अपने परिवार संग मोदी से मिलने पहुंचे थे। उसकी फोटो जारी हुई, उसमें एक छोटे से सोफे में मोदी और रमन एक साथ बैठे हैं। फ़ोटो चर्चा का विषय इसलिए भी बन गई कि मोदी के 11 साल पीएम रहने के दौरान ऐसी फ़ोटो देश में किसी देखी नहीं। प्रधानमंत्री कार्यालय फ़ोटो को लेकर काफी संजीदा रहता है। इस समय बिना PMO की इजाजत कोई फ़ोटो जारी नहीं होती। इससे इस बात पर मुहर लगी कि डॉ रमन को पीएम मोदी खास वेटेज देते हैं।
अंत में दो सवाल आपसे?
1. किस मंत्री ने पैसों के हिसाब के लिए एक अकाउंटेंट रख लिया है?
2. गाइड लाइन रेट बढ़ने से आम आदमी को नुकसान होगा या भूमाफियाओं और जमीन दलालों का?
