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Chhattisgarh Tarkash 2024: रतन टाटा ने जब लगाया वीटो

Chhattisgarh Tarkash 2024: छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित पत्रकार संजय के. दीक्षित का निरंतर 15 बरसों से प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ तरकश

Chhattisgarh Tarkash 2024: रतन टाटा ने जब लगाया वीटो
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By Sanjay K Dixit

तरकश, 13 अक्टूबर 2024

संजय के. दीक्षित

रतन टाटा ने जब लगाया वीटो

छत्तीसगढ़ में बहुत कम लोगों को पता होगा कि फोन करते मिनटों में पहुंच जाने वाली डॉयल 112 सर्विस को टाटा कंपनी संचालित कर रही है। इसी साल सितंबर में इस कंपनी का टेंडर खतम हो गया था। चूकि टाटा कंपनी इस सर्विस का काम समेट रही है, इसलिए अब किसी भी राज्य में टेंडर नहीं भर रही। लिहाजा, छत्तीसगढ़ के नए टेंडर में भी शामिल नहीं हुई। मगर पुलिस महकमे ने जिस कंपनी को डॉयल 112 के लिए चुना, वह विवाद में आ गई। उसने अनुभव की गलत जानकारी भरकर टेंडर ले लिया। यह जानकर पीएचक्यू के हाथ-पैर फुल गए। नया टेंडर विवादों में फंस गया और टाटा कंपनी का टेंडर समाप्त होने जा रहा था। ये अगस्त लास्ट की बात होगी। अफसरों के पास अब टाईम भी नहीं था। क्योंकि, हफ्ते भर बाद टाटा कंपनी बोरिया-बिस्तर बांध वापिस लौटने वाली थी। बात गृह मंत्री विजय शर्मा तक पहुंची। वे भी हड़बड़ाए। उनकी ग्रह-दशा वैसे भी ठीक नहीं चल रही। उपर से डॉयल 112 बंद होता तो भूपेश बघेल का ट्वीट शुरू हो जाता। ऐसे में, एक सीनियर आईएएस संकटमोचक बनकर सामने आए। उन्होंने मुंबई में अपने एक बैचमेट के जरिये टाटा के टॉप प्रबंधन से संपर्क साधा। कंपनी के सीनियर अधिकारियों ने यह कहते हुए हाथ खड़ा कर दिया कि रतन टाटा से इसके लिए बात करनी होगी। यद्यपि, सर्विस एक्सटेंशन का मुद्दा इतना बड़ा नहीं था कि रतन टाटा से परमिशन लिया जाए। मगर कंपनी ने डॉयल 112 को बंद करने का फैसला बोर्ड की मीटिंग में लिया था इसलिए रतन टाटा से वीटो लगवाए बिना मामला संभव नहीं था। फाईनली, रतन टाटा तक बात पहुंची तो उन्होंने छत्तीसगढ़ में सर्विस एक्सटेंशन के लिए तुरंत हामी भर दी। इसके बाद कंपनी ने पांच महीने के लिए सेवा मुहैया कराने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद पीएचक्यू के अधिकारियों ने राहत की सांस ली।

आईपीएस में नो APO, आईपीएस में...

आईएएस विनीत नंदनवार की पोस्टिंग के बाद आईएएस में अब कोई अवेटिंग पोस्टिंग आर्डर वाला नहीं बचा है। विनीत को सरकार ने डायरेक्टर लैंड रिकार्ड बनाया है। आईपीएस में जरूर एपीओ वाले अधिकारियों की संख्या कम नहीं हो पा रही। बद्रीनारायण मीणा के लिए उपर से हरी झंडी मिली तो उन्हें आईजी प्रशासन का काम सौंपा गया है। हालांकि, इसके लिए गृह विभाग से आदेश नहीं निकला है। मगर जिस तरह डीजीपी अशोक जुनेजा ने पारुल माथुर को काम दिया, उसी तरह बद्री मीणा को भी प्रशासन का दायित्व दिया गया है। अलबत्ता, आईपीएस दीपांशु काबरा, डॉ. आनंद छाबड़ा, अजय यादव, प्रशांत अग्रवाल पोस्टिंग के लिए वेट कर रहे हैं। इन चारों अफसरों के पास पिछली सरकार में अहम जिम्मेदारियां रहीं। दीपांशु सीपीआर और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, छाबड़ा खुफिया चीफ, अजय यादव बिलासपुर आईजी, प्रशांत अग्रवाल रायपुर एसएसपी रहे। इनमें दीपांशु को दूसरी बार एपीओ वाली स्थिति फेस करना पड़ रही है। 2018 में जब सरकार बदली थी तो कांग्रेस सरकार ने एक साल तक पीएचक्यू में बिना काम के बिठाकर रखा। और इस बार सरकार बदली तो फिर सात महीने से बेविभाग हैं।

सबसे सीनियर एसपी की विदाई

राज्य सरकार ने गरियाबंद के एसपी अमित कांबले को हटाकर कांकेर का नया डीआईजी बनाया है। कांकेर में केएल धु्रव के रिटायर होने के बाद करीब साल भर से पद खाली था। और जब केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 2026 तक नक्सलवाद खतम करने का टारगेट दे दिया है तो ऐसे में कांकेर डीआईजी का पद खाली रखने का कोई औचित्य नहीं था। बता दें, अमित कांबले छत्तीसगढ़ के न केवल सबसे वरिष्ठ पुलिस कप्तान थे बल्कि किसी एक जिले में सबसे अधिक समय तक एसपी रहने का रिकार्ड भी उन्होंने बनाया है। वे रमन सरकार के दौरान गरियाबंद के एसपी रहे। वहीं से वे डेपुटेशन पर सीबीआई गए थे। 2021 में प्रतिनियुक्ति से लौटने पर पिछली सरकार ने उन्हें फिर गरियाबंद का एसपी बनाया। पिछले लगभग तीन साल से वे गरियाबंद पोस्टेड थे। पिछले साल डीआईजी प्रमोट होने के बाद भी सरकार ने वहीं कंटीन्यू किया। दिसंबर 2023 में आई नई सरकार ने भी उनकी पोस्टिंग यथावत रखी। गरियाबंद में अमित का दोनों टर्म को मिला दें, तो छत्तीसगढ़ के किसी एक जिले में करीब चार साल तक कोई एसपी नहीं रहा है।

ट्रांसफर की फैक्ट्री नहीं

गरियाबंद एसपी का सिंगल आदेश का आर्डर निकला तो लोग चौंक गए। एक-दूसरे को फोन लगाकर पूछा-ताछी शुरू हो गई...अमित को क्यों हटा दिया गया। दरअसल, ब्यूरोक्रेसी में सिंगल आर्डर को सरकार की नाराजगी से जोड़ा जाता है। मगर बता दें, अमित कांबले के साथ वैसा कुछ नहीं था। डीआईजी रैंक के आईपीएस के लिए गरियाबंद जैसा जिला गरिमा के अनुकूल भी नहीं था। गरियाबंद कलेक्टर, एसपी का पहला जिला होता है। पिछली सरकार ने जरूर संतोष सिंह, पारूल माथुर और अमित कांबले को पोस्ट कर गरियाबंद जिले की रैंकिंग बढ़ा दी थी। विष्णुदेव सरकार ने अब 2019 बैच के निखिल राखेचा को गरियाबंद का एसपी बनाया है। निखिल अमित कांबले से 10 बैच जूनियर हैं। बहरहाल, सरकार अब इसी तरह एक-एक, दो-दो अधिकारियों की लिस्ट निकालेगी। सीएम के रणनीतिकारों का कहना है कि अब लंबी लिस्ट निकाल ट्रांसफर फैक्ट्री नहीं चलने दी जाएगी। याने इसी तरह अब छोटे आदेश निकलते रहेंगे।

फूड में दो सिकरेट्री का मतलब?

राज्य सरकार ने पहली बार खाद्य विभाग ने डबल सिकरेट्री पोस्ट कर दिया है। इससे पहले गृह, पीडब्लूडी, पंचायत, स्वास्थ्य जैसे विभागों में दो सिकरेट्री रहते आए हैं। मगर फूड में दो सिकरेट्री नहीं रहा। एसीएस ऋचा शर्मा के पास पहले से फूड हैं, अब उनके साथ अंबलगन पी. को उसी विभाग में सिकरेट्री बना दिया गया है। दोनों फूड के अनुभवी आईएएस हैं। ऋचा रमन सरकार में न केवल फूड संभाल चुकी है बल्कि बेपटरी हुए इस विभाग को पटरी पर ले आई थी। उधर, अंबलगन पी0 डायरेक्टर फूड रह चुके हैं। फूड में डबल सिकरेट्री का मतलब यह निकाला जा रहा कि इस बार 160 लाख मीट्रिक लाख टन धान की खरीदी होनी है। पिछली सरकार में जमकर डूबकी लगा चुके राईस मिलर्स 45 हजार करोड़ पुराना बकाया का दावा कर रहे हैं। इसको लेकर सरकार पर बड़ा प्रेशर है। जाहिर है, मिलिंग का मामला इस बार आसान नहीं रहने वाला। सो, चाबुक भी चलाना होगा और काम भी कराना है। इसलिए, टीम तो मजबूत चाहिए न।

पोस्टिंग में पूर्वाग्रह नहीं

राज्य सरकार ने पिछले महीने गोपाल वर्मा को कवर्धा का कलेक्टर अपाइंट किया था। और इस हफ्ते टीपी वर्मा को राजस्व बोर्ड का चेयरमैन बनाया। दोनों आपस में साढ़ू भाई हैं और पूर्व मुख्यमंत्री के भांजी दामाद भी। इन दोनों पोस्टिंग पर हालांकि, ब्यूरोक्रेसी में खूब कानाफूसी हुई मगर इससे यह संदेश अवश्य गया कि विष्णुदेव साय सरकार की पोस्टिंग में पूर्वाग्रह नहीं पाल रही। वरना, पहले के दामाद बाबू लोगों को कोतवाली का चक्कर लगाना पड़ गया था। हालांकि, टीपी वर्मा शरीफ अफसर हैं। इतने शरीफ कि अपनी सरकार होने के बाद भी 2022 में ट्रांसपोर्ट सिकरेट्री के पद से खो कर दिए गए थे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ पीएससी का नया चेयरमैन ब्यूरोक्रेसी से बनाया जा रहा या एकेडमिक फील्ड से?

2. आई जी ट्रांसफर क्यों लटक गया है?

Sanjay K Dixit

संजय के. दीक्षित: रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से एमटेक करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। भोपाल से एमजे। पिछले 30 साल में विभिन्न नेशनल और रीजनल पत्र पत्रिकाओं, न्यूज चैनल में रिपोर्टिंग के बाद पिछले 10 साल से NPG.News का संपादन, संचालन।

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