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Chhattisgarh Tarkash 2024: सीएम विष्णु देव ने बदली जांच कमेटी

Chhattisgarh Tarkash 2024: छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित पत्रकार संजय के. दीक्षित का निरंतर 15 बरसों से प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ तरकश

Chhattisgarh Tarkash 2024: सीएम विष्णु देव ने बदली जांच कमेटी
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By Sanjay K Dixit

तरकश, 6 अक्टूबर 2024

संजय के. दीक्षित

सीएम विष्णु देव ने बदली जांच कमेटी

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पिछले 24 सालों से भ्रष्टाचार का गढ़ बना पाठ्य पुस्तक निगम के किताब घोटाले में सरकार इतने गुस्से में है कि दो जांच कमेटी बन गई। दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग इस समय मुख्यमंत्री संभाल रहे हैं। सो, मीडिया में जैसे ही खबर आई...अफसरों ने आनन-फानन में पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी। मगर कमेटी में अफसरों के नाम देखकर सीएम नाराज हो गए। कमेटी में निगम के आईएएस एमडी ही प्रमुख बन गए थे। पापुनि के राप्रसे अधिकारी कैडर के जीएम मेम्बर। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे एक-एक किताब का हिसाब चाहिए...कि किन परिस्थितियों में लाखों किताबें ज्यादा छप गई। उन्होंने अफसरों से पूछा...कौन आईएएस निःपक्ष जांच कर सकता है। इस पर उन्हें एसीएस रेणु पिल्ले का नाम सुझाया गया। अफसरों ने तुरंत पिल्ले जांच कमेटी का आर्डर निकाल दिया। रेणु पिल्ले का नाम सामने आने के बाद अब अफसरों से लेकर पेपर सप्लायरों तक की नीदें उड़ गई है। क्योंकि, अभी तक पाठ्य पुस्तक निगम में पोस्टिंग ही कमाने के लिए होती थी। एक मोटे अनुमान के तहत निगम के चेयरमैन से लेकर एमडी और जीएम को साल में गिरे हालत में दो खोखा की आवक बन जाती है। अब रेणु पिल्ले की जांच के बाद सबका पोल खुल जाएगा। क्योंकि, वे अपनी नहीं सुनती।

मंत्रियों, अधिकारियों की मुसीबत

नया रायपुर में तीन साल से अफसरों के बंगले बनकर तैयार हैं मगर कोई यहां से जाना चाह नहीं रहा। मंत्रियों में सिर्फ रामविचार नेताम शिफ्थ हुए हैं। मगर अब खुद सीएम विष्णुदेव ने पहल कर आज गृह प्रवेश कर लिया है। आज रात में वे नए रायपुर के नए घर में ही रुक रहे। इस खबर के बाद मंत्रियों और अधिकारियों के चेहरे पर तनाव बढेगा। क्योंकि, जब मुख्यमंत्री चले गए नया रायपुर तो उन्हें भी एक दिन जाना पड़ेगा ही। वैसे भी नई सरकार नए रायपुर की बसाहट को लेकर काफी संवेदनशील है।

अफसरों को प्रोटेक्शन

अच्छे अफसरों को जब सिस्टम से प्रोटेक्शन मिलता है तो वे अपना बेस्ट देने का प्रयास करते हैं। मगर जब लगता है कि हालात फेवरेबल नहीं तो फिर उनका हौसला कमजोर पड़ने लगता है। रायपुर जेल प्रकरण में कुछ ऐसा ही हुआ। विपक्ष के दिग्गज नेता इस इश्यू को तीन दिन खेल गए। पहले दिन जेल में आरोपी से मुलाकात...अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस और तीसरे दिन सीजेआई को लेटर। मगर सरकार से न किसी मंत्री का बयान आया और न ही सत्ताधारी पार्टी के किसी नेता ने मुंह खोला। यहां तक कि हर बॉल को आगे बढ़कर खेलने वाले विभागीय मंत्री विजय शर्मा भी खामोश रहे। ऐसे में, अफसरों से अच्छा करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। क्योंकि, यह सच्चाई है कि कई बार अच्छा और फास्ट करने के चक्कर में कई बार थोड़ा इधर-उधर हो जाता है। वैसे, अच्छे अधिकारियों को संरक्षण न मिलने वाला मामला पिछली सरकार में भी रहा। वक्त को देखते रीढ़ वाले अधिकारियों ने खुद को समेट लिया था...मालूम था कि जरा सा इधर-से-उधर हुआ तो छुट्टी होने में देर नहीं। अलबत्ता, खोटे सिक्कों ने खूब मौज काटा...सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती से लेकर सप्लाई तक का पैसा कई कलेक्टर खा गए। बहरहाल, पते की बात यह है कि ब्यूरोक्रेट्स तभी जोखिम लेकर काम करते हैं, जब उन्हें ये भरोसा रहे कि उंच-नीच होने पर उसे समझने वाला आदमी है। वरना, फिर बैकफुट पर रहना मुनासिब समझता है। आखिर, काम करें या न करें...गाड़ी-घोड़ा, बंगला, नौकर-चाकर तो 60 बरस तक मिलेगा ही।

कमाल के गडकरी

केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नीतीन गडकरी के कामकाज के स्टाईल के अनेक किस्से वैसे तो सुनने को मिलते हैं मगर 30 सितंबर को दिल्ली में हुई हाई प्रोफाइल मीटिंग को छत्तीसगढ़ के जिन अफसरों ने अटैंड किया, उसे लाइव देखा। गडकरी का छत्तीसगढ़ की सड़क परियोजनों के होम वर्क को देखकर लोग हैरान थे। जितनी जानकारियां छत्तीसगढ़ के लोगों को नहीं थी, उसके ज्यादा गडकरी बिना कोई कागज देखे जुबानी बोल गए। गडकरी को यहां तक पता था कि किन छह जिलों में सड़कों का निर्माण कार्य स्लो चल रहा है। उन्होंने उन जिलों का बकायदा नाम लेकर कहा कि इन जिलों के कलेक्टरों के साथ नियमित रिव्यू कर प्राब्लम को शार्ट आउट किया जाए। ये अलग बात है कि हफ्ता भर बीत गया, अभी तक किसी रिव्यू की खबर नहीं दिखाई पड़ी है।

उल्टा-पुल्टा

गडकरीजी कुछ भी कह लें, छत्तीसगढ़ में सिस्टम अपने हिसाब से ही चलता है। उसका नमूना है, रायपुर-विशाखापत्तनम सिक्स लेन रोड। छत्तीसगढ़ की यह पहली क्लोज डोर सड़क होगी। इसके बन जाने से रायपुर से वाइजेक की 14 घंटे की दूरी सात घंटे में सिमट जाएगी। मगर दो-तीन साल पहले अभनपुर के एसडीएम ने भूखंडों को टुकड़ों में बेचने का ऐसा गुल खिलाया कि नेशनल हाईवे पर 78 करोड़ की चोट बैठ जा रही। एनएच वाले 2022 में रायपुर कलेक्टर से जांच की गुहार लगाई मगर कलेक्टर क्या कर लेंगे, उसमें कई बड़े नेताओं के भी क्लेम हैं। सो, कलेक्टर्स उस फाइल में हाथ नहीं डाल पा रहे। ताजा अपडेट यह है कि जिस दिन गडकरीजी दिल्ली में काम प्रभावित न होने की टिप्स दे रहे थे, उसी दिन किसानों ने एक्सप्रेसवे का काम रोक दिया। बताते हैं, संगठन के एक नेताजी ने अभनपुर के राजस्व अधिकार को फोन कर दिया कि बिना 78 करोड़ मुआवजा मिले बगैर काम प्रारंभ नहीं होना चाहिए। अब आप बताइये...ऐसा उल्टा-पुल्टा काम होगा तो दिल्ली में बैठे गडकरी जी क्या कर लेंगे?

पोस्टिंग के लिए नो वेट

पीएमओ में डेपुटेशन कर छत्तीसगढ़ लौटे आईएएस डॉ0 रोहित यादव को उर्जा विभाग का सिकरेट्री बनाने के साथ उन्हें बिजली कंपनियों के चेयरमैन का दायित्व सौंपा गया है। रोहित ने पीएमओ में पांच साल इंफ्रास्ट्रक्चर डिपार्टमेंट संभाला है, जिसमें 13 विभाग आते हैं। इनमें उर्जा महत्वपूर्ण है। हो सकता है कि इसी को देखते सरकार ने रोहित को बिजली की पूरी कमान सौंप दी। मगर उनकी पोस्टिंग में एक खबर और है कि डेपुटेशन से लौटने के तीसरे दिन विभाग पाने वाले वे पहले आईएएस बन गए हैं। पिछले 20 साल में अपवादस्वरूप सुनिल कुमार को छोड़ दें तो ऐसा याद नहीं कि दिल्ली से लौटने वाले आईएएस को किसी सरकार ने तीन दिन के भीतर पोस्टिंग दे दी हो। अमिताभ जैन, अमित अग्रवाल, गौरव द्विवेदी, सोनमणि बोरा जैसे अनेक नौकरशाहों को महीना भर तक वेट करना पड़ गया था। हालांकि, इस सरकार में मुकेश बंसल और रजत कुमार को भी हफ्ते भर के भीतर पदास्थपना मिल गई थी। चलिए ये अच्छी बात है। सरकारों को डेपुटेशन से लौटने वाले अधिकारियों के प्रति धारणा बदलनी चाहिए। आखिर, वे स्टेट से एनओसी मिलने के बाद ही तो प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं।

मंत्रिमंडल का विस्तार!

तरकश के पिछले स्तंभ में इस बात का जिक्र किया गया था कि सत्ताधारी पार्टी का एक खेमा निगम चुनाव से पहले कुछ आयोगों में नियुक्तियों के साथ ही दो नए मंत्रियों को शपथ दिलाने के पक्ष में है। इस खेमे के नेताओं का मानना है कि सरकार का कामकाज और अच्छा होने के साथ ही कार्यकर्ताओं में एक पॉजीटिव संदेश जाएगा। इसके बाद आयोगों में नियुक्तियां प्रारंभ हो गई है। युवा आयोग के बाद छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग आयोग चेयरमैन का भी आदेश निकल गया है। इसको देखते बीजेपी के विधायकों में मंत्रिमंडल के शपथ को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। मंत्री पद के दर्जन भर से अधिक दावेदार पता लगाने में जुटे हैं कि अंदरखाने में क्या चल रहा है? क्या नए मंत्रियों का शपथ होगा और होगा तो उसका नंबर लगेगा या नहीं?

पार्टी पीछे, लाल बत्ती आगे

जब से सीएम विष्णुदेव ने बोर्ड, आयोगों में पॉलीटिकल नियुक्तियां शुरू की है, बीजेपी नेताओं को रोज रात में लाल बत्ती के सपने आ रहे हैं। नवरात्रि में विशेष पूजापाठ के साथ दिल्ली के भी चक्कर लगाए जा रहे...शायद यहां से नहीं तो कुछ उधर से जुगाड़ निकल जाए। बता दें बीजेपी के नेताओं का इस समय एक सूत्रीय एजेंडा है...किसी तरह किसी बोर्ड या निगम में अध्यक्ष बन जाएं और ये नहीं हुआ तो किसी ठीकठाक बोर्ड-निगम मेम्बर ही सही। यही वजह है, बीजेपी मुख्यालय में देर रात तक पार्टी नेताओं का जमघट लग रहा है। बीजेपी के कई नेता प्रदेश मुख्यालय में ही निवास करते हैं, इसलिए होटलों से तैयार होकर लोग सुबह-सुबह पार्टी मुख्यालय धमक जा रहे। लिहाजा, इस समय बीजेपी पीछे है...लाल बत्ती आगे हो गई है।

अंत में एक सवाल आपसे

1. किस मंत्री का एक गुप्त स्थान में विशेष तांत्रिक अनुष्ठान चल रहा है?

Sanjay K Dixit

संजय के. दीक्षित: रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से एमटेक करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। भोपाल से एमजे। पिछले 30 साल में विभिन्न नेशनल और रीजनल पत्र पत्रिकाओं, न्यूज चैनल में रिपोर्टिंग के बाद पिछले 10 साल से NPG.News का संपादन, संचालन।

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