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Chhattisgarh Tarkash 2024: अमेरिका का वीजा और संयोग

Chhattisgarh Tarkash 2024: छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित वरिष्ठ पत्रकार संजय के.दीक्षित का निरंतर 15 बरसों से प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ तरकश

Chhattisgarh Tarkash 2024: अमेरिका का वीजा और संयोग
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By Sanjay K Dixit

तरकश, 8 सितंबर 2024

संजय के. दीक्षित

अमेरिका का वीजा और संयोग

छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री को अमेरिका का वीजा न मिलने से मायूस होकर रायपुर लौटना पड़ गया। वीजा क्लियर न होने में गफलत कहां पर हुआ, ये पता नहीं...हो सकता है सरकार इसकी जांच करवा रही हो। मगर लोगों का क्या? इसे शगुन और संयोग से जोड़ना शुरू कर दिया। आखिर, गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी ने कई बार अमेरिका जाने का प्रयास किया था मगर उन्हें वीजा नहीं मिला। इसलिए, छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री को इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। किस्मत को कौन जानता है। मोदीजी का तब कितना मन दुखित हुआ होगा। बाद में वे जैसे ही प्रधानमंत्री बनें, अमेरिका ने तुरंत उनका वीजा जारी कर दिया। और अब तो उनके लिए वहां लाल जाजम बिछाया जाता है। सही भी है, आदमी की किस्मत का क्या भरोसा? उप मुख्यमंत्रीजी जवां हैं...पूरी उम्र बाकी है।

टॉप लेवल, डबल वैकेंसी

एसएस बजाज ने छत्तीसगढ़ साइंस एंड टेक्नालॉजी कौंसिल के डायरेक्टर जनरल और न्यू रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है। पीसीसीएफ से रिटायर होने के बाद बजाज को सरकार ने सीजी कॉस्ट का डीजी बनाया था। बाद में आरपी मंडल जब एनआरडीए से हटाए गए तो बजाज को उसका एडिशनल चार्ज सौंपा गया। साफ-सुथरी छबि के बजाज को पिछली सरकार ने बिना कसूर का सस्पेंड कर दिया था। मगर बाद में चूक का अहसास होने पर उसकी भरपाई करने का प्रयास किया। बहरहाल, बजाज के इस्तीफे से एक साथ दो पद खाली हो गए हैं। इसमें सीजी कॉस्ट का डीजी कुलपति रैंक का पद है। पीसीसीएफ मुदित कुमार भी इस पद पर काम कर चुके हैं। चूकि इसमें 70 साल की एज लिमिट है, लिहाजा कई रिटायर ब्यूरोक्रेट्स भी इसके लिए प्रयास प्रारंभ कर दिए हैं। अब सवाल एनआरडीए का है। सरकार के स्तर पर नया रायपुर का तेजी से विस्तार करने की प्लानिंग की जा रही है। आईटी सेक्टर को डेवलप किया जाना है। मेट्रो ट्रेन भी दौड़ानी है। मगर पैसे का टोटा है। एनआरडीए में ऐसा आदमी चाहिए, जो दिल्ली से प्रोजेक्ट के लिए पैसा ला सकें। इसके लिए रिटायर कोई आईएएस पात्र नहीं दिखाई पड़ रहा। रमन सिंह सरकार के समय बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह जैसे अफसर इसके चेयरमैन रहे हैं। ऐसे में, दिल्ली से लौटे रजत कुमार सरकार की बेस्ट च्वाइस हो सकते हैं। रजत एनआरडीए के सीईओ रह चुके हैं। नया रायपुर में पर्यावास और सीबीडी जैसे भवन बनाने में रजत की भूमिका अहम रही। लिहाजा, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि किसी विभाग का सचिव बनाने के साथ रजत को एनआरडीए का एडिशनल चार्ज दिया जाए। मगर ये कयास और अटकलें हैं। फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि मुख्यमंत्री क्या सोचते हैं।

आईएएस की छोटी लिस्ट

सेंट्रल डेपुटेशन से लौटे आईएएस रजत कुमार को राज्य सरकार आजकल में किसी विभाग की जिम्मेदारी सौंपेगी। जानकारों का कहना है, दो-तीन दिन से लगातार छुट्टियां चल रही हैं, इसलिए आदेश नहीं निकल पा रहा होगा। रजत को विभाग देने के लिए आईएएस की एक लिस्ट निकलेगी। हालांकि, नाम ज्यादा नहीं होंगे। लिस्ट छोटी होगी। बड़ी लिस्ट निकलेगी अक्टूबर फर्स्ट वीक में। तब डॉ0 रोहित यादव डेपुटेशन से छत्तीसगढ़ लौटेंगे। हेल्थ में अगर अभी कोई चेंज नहीं हुआ तो फिर रोहित के लौटने के बाद होगा।

600 करोड़ का फायदा

छत्तीसगढ़ सरकार ने एक झटके में शराब के लायसेंसी यानी बिचौलिया सिस्टम पर ब्रेक लगा कर लोगों को चौंका दिया था। इसके फायदे तीन महीने में ही नजर आ गए। शराब के नए टेंडर से 600 करोड़ का राजस्व मिला है। ये पूरे पैसे बिचौलियों के जेब में जाते थे। दूसरा, अब प्रदेश में सभी ब्रांड के वाइन, बीयर, व्हीस्की, रम, वोदका, स्कॉच उपलब्ध होंगे। इसलिए टारगेट भी ढाई हजार करोड़ बढ़ा दिया गया है। पिछले साल 8500 करोड़ का लक्ष्य था। उसे बढ़ाकर इस बार 11 हजार करोड़ रुपए किया गया है। याने 2500 करोड़ की बढ़त। वो भी तब जब इस वित्तीय वर्ष में छह महीने निकल चुका है। अगर पुरा साल होता तो पांच हजार से उपर जाता। अफसरों को उम्मीद है कि सारे ब्रांड उपलब्ध हो जाने पर शराब से राजस्व बढ़ेगा।

शराब और टूरिज्म

एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि जहां टूरिज्म बढ़ा है या आईटी सेक्टर में ग्रोथ हुआ है, वहां शराब की एवेबिलिटी अच्छी होती है। छत्तीसगढ़ सरकार भी प्रदेश का टूरिज्म बढ़ाने बीयर-बार का लायसेंस सिस्टम सरल करने पर विचार कर रही है। जाहिर है, नया रायपुर को आईटी हब के तौर पर विकसित करने का काम प्रारंभ हो गया है। दो-तीन आईटी कंपनियां आईं हैं, उसमें हजार के करीब इम्प्लाई हैं। इसमें और इजाफा ही होगा। इसको देखते शराब का ऐप बनाने पर भी विचार किया जा रहा ताकि कौन सी दुकान किस लोकेशन पर है और वहां कौन-कौन से ब्रांड उपलब्ध हैं, बाहर से आए लोगों को मोबाइल से पता चल जाए। मगर एक्साइज विभाग के अफसर हिचकिचा भी रहे हैं कि कहीं इसे गलत तरीके से प्रचारित मत किया जाए। मसलन, स्टेट में शराब को बढ़ावा दिया जा रहा है। बहरहाल, सिस्टम अगर फैसले लेने की स्थिति में आ गया तो मंझोले होटलों, रेस्टोरेंटों को बीयर-बार का लायसेंस दिया जा सकता है। इससे होटल इंडस्ट्री काफी खुश है। क्योंकि बार का लायसेंस न होने से कई लोग चोरी-छुपे ये काम करते हैं मगर इसके लिए पुलिस और एक्साइज विभाग के साहबों को हर महीने मोटी रकम देनी पड़ती है।

दवा और दारु

छत्तीसगढ़ के मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के पास स्वास्थ्य कल्याण विभाग है। इसके साथ वे आबकारी विभाग का कामकाज भी देख रहे हैं। दरअसल, राजनीतिक नियुक्ति होने तक सरकार ने उन्हें ब्रेवरेज कारपोरेशन के चेयरमैन का दायित्व सौंपा है। नई नीति के तहत इस समय वेंडरों से शराब खरीदी चल रही है। सरकार ने लायसेंसी सिस्टम खतम कर ब्रेवरेज कारपोरेशन को शराब सप्लाई का जिम्मेदारी दी है। लिहाजा, श्याम बिहारी इस समय ब्रेवरेज को भी टाईम दे रहे हैं। हालांकि, आबकारी विभाग मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास है। मगर राज्य के मुखिया के पास उतना समय होता नहीं। उनके पास माईनिंग, ट्रांसपोर्ट, सामान्य प्रशासन विभाग, सुशासन और जनसंपर्क विभाग भी है। इसलिए रुटीन के काम हेल्थ मिनिस्टर संभाल रहे हैं। ऐसे में, श्याम बिहारी के करीबी लोग खूब चुटकी ले रहे हैं...अपने श्याम भैया के पास दवा और दारु...दोनों है। ठीक भी है...कई बार दवा असर न करने पर दारु काम कर जाता है।

कलेक्टर का सम्मान

सरकार ने एक ठेकेदार बीजेपी नेता से विवाद के बाद बीजापुर कलेक्टर को हटा दिया था। इसके बाद बीजेपी नेता के खिलाफ एफआईआर हुआ और उन्हें जेल भेजा गया। बता दें, कलेक्टर का 31 अगस्त को रिटायरमेंट था। आमतौर पर रिटायरमेंट के मंथ में किसी का ट्रांसफर नहीं किया जाता। अत्यधिक गंभीर केस हो तभी चला-चली के मौके पर किसी का ट्रांसफर या सस्पेंशन होता है। मगर ब्यूरोक्रेसी के लिए सुखद यह रहा कि कलेक्टर को हटाने के बाद रिलीव नहीं किया गया। वे 31 अगस्त को रिटायर होकर रायपुर लौटे। नए कलेक्टर भी उनके सेवानिवृत होने पर ही बीजापुर पहुंचे। याद होगा, तरकश में हमने एक सवाल पूछा था कि क्या कारण है कि कलेक्टर की छुट्टी के बाद आईएएस लॉबी मौन है? कहीं उसका असर तो नहीं!

सीएस साहब मैं भी...

2003 बैच की सिकरेट्री रैंक की आईएएस रीना बाबा कंगाले का मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बने तीन साल से अधिक हो गया है। इस दरम्यान उन्होंने विधानसभा का चुनाव कराया और फिर लोकसभा का भी। विधानसभा में बीजेपी ने 15 से 51 सीट पर पहुंच धमाकेदार वापसी की। लोकसभा चुनाव भी सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में एकतरफा ही रहा। कांग्रेस को 11 में से सिर्फ कोरबा लोकसभा सीट से संतोष करना पड़ा। मगर बात अब मुद्दे की...आमतौर पर सरकार के पक्ष में जब फैसले आते हैं तो चीफ इलेक्शन आफिसर को अच्छी पोस्टिंग मिलती है। 2018 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा के समय सुब्रत साहू सीईओ थे। उन्हें एसीएस टू सीएम बनाया गया था। मगर लगता है रीना को चीफ सिकरेट्री भूल गए हैं। जाहिर है, आईएएस की जब भी लिस्ट निकलने की चर्चाएं होती होगी, निश्चित तौर पर रीना की उम्मीदें बंधती होगी। रही बात, चुनाव आयोग से परमिशन के, तो दो चुनाव कराने वाली रीना के लिए आयोग से परमिशन मिलना कठिन थोड़े ही होगा। वैसे भी छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी से चुनाव आयोग के अच्छे संबंध हैं। ऐसे में, जब भी आईएएस की पोस्टिंग होती होगी, रीना का जी मचलता होगा...सीएस साब, मैं भी हूं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या ये सही है कि ब्यूरोक्रेट्स अगर पोस्टिंग और पैसे की चिंता करना छोड़ दें तो कोई ताकत उसे झुका नहीं सकती?

2. क्या नगरीय और पंचायत चुनाव एक साथ जनवरी-फरवरी में होंगे?

Sanjay K Dixit

संजय के. दीक्षित: रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से एमटेक करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। भोपाल से एमजे। पिछले 30 साल में विभिन्न नेशनल और रीजनल पत्र पत्रिकाओं, न्यूज चैनल में रिपोर्टिंग के बाद पिछले 10 साल से NPG.News का संपादन, संचालन।

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