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Chhattisgarh DGP News: IPS जीपी सिंह भी DGP के दावेदार! यूपीएससी की नोटिस के बाद हरकत में गृह विभाग...

Chhattisgarh DGP News: यूपीएससी ने डीपीसी करने से पहले कुछ क्वेरी सरकार से मांगी थी, जिसे गृह विभाग ने भेज दिया है। इसमें महत्वपूर्ण था कि डीजीपी अशोक जुनेजा के रिटायरमेंट डेट तक कौन-कौन आईपीएस 30 साल की सर्विस कंप्लीट कर लेंगे।

Chhattisgarh DGP News: IPS जीपी सिंह भी DGP के दावेदार! यूपीएससी की नोटिस के बाद हरकत में गृह विभाग...
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By Gopal Rao
  • छत्तीसगढ़ के नए डीजी पुलिस के पेनल में अब तीन की बजाए चार नाम हो सकते हैं।
  • आईपीएस जीपी सिंह का नाम भी पेनल में जुडने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।
  • यूपीएससी के पत्र के बाद सरकार हरकत में है। जीपी सिंह की विभागीय जांच भी क्लियर हो गई है। अनुमोदन के लिए फाइल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को भेजी गई है।

Chhattisgarh DGP News: रायपुर। छत्तीसगढ़ के नए पुलिस महानिदेशक अपाइंट करने के लिए राज्य सरकार ने 5 दिसंबर को तीन आईपीएस अधिकारियों का पेनल यूपीएससी को भेजा था। इनमें सीनियरिटी के हिसाब से तीन नाम थे। 92 बैच के पवनदेव और अरुण गौतम तथा 94 बैच के हिमांशु गुप्ता।

यूपीएससी ने डीपीसी करने से पहले कुछ क्वेरी सरकार से मांगी थी, जिसे गृह विभाग ने भेज दिया है। इसमें महत्वपूर्ण था कि डीजीपी अशोक जुनेजा के रिटायरमेंट डेट तक कौन-कौन आईपीएस 30 साल की सर्विस कंप्लीट कर लेंगे।

याने 30 साल की सर्विस वाले कितने अफसर होंगे। इसके पहले नंबर की केटेगरी में था कि 30 साल की सर्विस के साथ डीजी प्रमोट हो चुके हों। दूसरे नंबर पर था...30 साल की सर्विस हो गई हो मगर डीजी प्रमोशन नहीं हुआ हो। सरकार ने यूपीएससी को क्वेरी का जवाब हफ्ते भर के भीतर भेज दिया था।

मगर उसके बाद पीएचक्यू में जीपी सिंह का मामला यूटर्न हुआ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कैट के फैसले के खिलाफ भारत सरकार की याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जीपी सिंह की आईपीएस की सर्विस बहाल कर दी।

बता दें, भारत सरकार की बर्खास्तगी के खिलाफ जीपी सिंह ने कैट की शरण ली थी और कैट ने उनके पक्ष में फैसला दिया था। भारत सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।

बहरहाल, केंद्र सरकार द्वारा जीपी को आईपीएस की सर्विस बहाल करने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अगले दिन उनका आदेश जारी कर दिया। इसके बाद वे पीएचक्यू में ज्वाईन भी कर लिए।

पीएचक्यू में ज्वाईनिंग देने के बाद जीपी सिंह ने यूपीएससी में डीजी पुलिस के पेनल में नाम जुड़वाने अभ्यावेदन दिया। जीपी की दलील थी कि 94 बैच के वे सबसे सीनियर अफसर हैं, लिहाजा डीजी पुलिस के पेनल में उनका नाम भी शामिल किया जाए।

जीपी सिंह के अभ्यावेदन के बाद यूपीएससी ने छत्तीसगढ़ सरकार का प़क्ष पत्र लिखा था। उधर, जीपी के खिलाफ पिछली सरकार ने विभागीय जांच बिठा दी थी, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनकी डीई की फाइल तेज रफ्तार में दौड़ी और अब वह अंतिम अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास पहुंच गई है।

जाहिर है, जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके प़क्ष में आ चुका है तो विभागीय जांच में कुछ निकलना नहीं था। बताते हैं कि जांच में उनके खिलाफ कोई तथ्य नहीं पाया गया है।

जाहिर है, जीपी की डीई क्लियर होने का आदेश आजकल में जारी हो जाएगा। इसके बाद उनके रास्ते में डीजीपी के पेनल में शामिल होने कोई बाधाएं नहीं रहेंगी।

यूपीएससी पर निर्भर

राज्य सरकार पेनल कुछ भी भेजे, यूपीएससी को अधिकार होता है कि वे ग्रेडेशन लिस्ट के अनुसार अफसरों के नाम पर विचार कर सकता है। इसमें दो चीजें होती हैं। या तो यूपीएससी राज्यों को पेनल लौटाते हुए दूसरी लिस्ट मंगाता है या फिर अपने अनुसार डीजी पुलिस के लिए एलिजिबल लोगों के नाम ग्रेडेशन लिस्ट से निकालता है।

डीजी प्रमोशन

जीपी सिंह इस समय एडीजी हैं। उनका डीजी प्रमोशन ड्यू है। जबकि, 94 बैच में उनसे जस्ट नीचे हिमांशु गुप्ता डीजी प्रमोट हो चुके हैं। जीपी सिंह अगर सर्विस में होते तो जाहिर तौर पर उनका ही प्रमोशन हुआ रहता।

छत्तीसगढ़ में डीजी के दो कैडर और दो एक्स कैडर याने चार पद हैं। एक पर अशोक जुनेजा हैं और बाकी तीन में पवनदेव, अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता डीजी हैं।

सरकार अगर चाहे तो डीई क्लियर होते ही हफ्ते भर में डीपीसी कराकर जीपी सिंह को डीजी प्रमोट कर सकती है। मगर इसके लिए भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी। वरना रिव्यू डीपीसी करके हिमांशु गुप्ता को रिवर्ट करना पड़ेगा। और उनकी जगह जीपी डीजी प्रमोट होंगे।

हालांकि, हिमांशु को सरकार ने डीजी प्रमोट किया है तो भरसक प्रयास किया जाएगा कि रिवर्ट वाली स्थिति पैदा न हो। जानकारों का कहना है कि स्पेशल केस के आधार पर भारत सरकार एक एक्सट्रा डीजी के लिए तैयार हो जाएगी।

बिना डीजी बने भी पात्रता

वैसे जीपी सिंह का डीजी प्रमोशन ना भी हो तो भी यूपीएससी ग्रेडेशन लिस्ट के आधार पर उनके नाम पर विचार कर सकता है। क्योंकि बी केटेगरी में लिखा है कि ए केटेगरी के नामों पर अगर यूपीएससी सहमत नहीं तो यूपीएससी बी केटेगरी पर जा सकता है।

इसमें 30 साल की सर्विस पूरी होनी चाहिए। तो फिर उस केस में 94 बैच के एसआरपी कल्लूरी और 95 बैच के प्रदीप गुप्ता का नाम भी पेनल में जुड़़ जाएगा। क्योंकि, अशोक जुनेजा के रिटायर होने की स्थिति में प्रदीप गुप्ता की सर्विस भी 30 साल पूरी हो गई रहेगी।

यूपीएससी को पेनल बनाने का अधिकार

यूपीएससी को राज्य सरकार के पेनल में से या गुण-दोष के आधार पर एकाध नाम नीचे-उपर करके सिर्फ पेनल बनाने का अधिकार है। यूपीएससी आमतौर पर तीन नामों का पेनल बनाकर भेज देता है।

राज्य सरकार फिर अपनी पसंद के आधार पर किसी एक नाम पर टिक लगाकर डीजी पुलिस अपाइंट करती है। लिहाजा, यूपीएससी से स्कूटनी होकर जो पेनल आएगा, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को अधिकार होगा कि उनमें से किसी एक को डीजीपी नियुक्त करें।

डीजीपी के रिटायरमेंट पर निर्भर

डीजी पुलिस अशोक जुनेजा का 4 फरवरी को छह महीने का एक्सटेंशन खतम हो जाएगा। उसके बाद डीजी का एक पद खाली हो जाएगा। अगर उनका एक्सटेंशन नहीं हुआ तो फिर अगले महीने सरकार कभी भी डीपीसी कर जीपी सिंह को डीजी बना देगी। फिर हिमांशु गुप्ता को रिवर्ट करने की स्थिति पैदा नहीं होगी और न ही स्पेशल केस में भारत सरकार से डीजी का एक पद मांगना पड़ेगा।

दिक्कत तब बढ़ेगी, जब जुनेजा को दूसरी बार एक्सटेंशन मिल जाए। एक्सटेंशन मिलने पर एक पोस्ट खाली नहीं होगा, इसलिए राज्य सरकार को भारत सरकार से डीजी का एक अतिरिक्त पद मांगना होगा। और पूरी संभावना है कि अशोक जुनेजा को एक्सटेंशन मिल जाएगा। ऐसे में, गृह विभाग की डीजी प्रमोशन की कवायदें जारी रखनी पड़ सकती हैं।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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