Chhattisgarh DGP: डीजीपी को जब अपमानजनक ढंग से हटाया गया...जानिये छत्तीसगढ़ के 12 DGP की पूरी कहानी...
Chhattisgarh DGP: नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया। इसके बाद 24 साल में छत्तीसगढ़ में 11 डीजीपी नियुक्त हो चुके हैं। अरुणदेव गौतम 12वें डीजीपी होंगे। गौतम से पूर्व 11 में से दो को डीजीपी पद से हटाया गया। बाकी या तो वीआरएस लिए या फिर रिटायर हुए। इस खबर में हम ये भी बताएंगे कि छत्तीसगढ़ में किस डीजीपी का कार्यकाल सबसे छोटा रहा और किसका सबसे अधिक।

Chhattisgarh DGP: रायपुर। आईपीएस अरुणदेव गौतम को छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य का नया डीजीपी बनाया है। वे अशोक जुनेजा की जगह लेंगे। गौतम से पहले छत्तीसगढ़ में 11 डीजीपी रह चुके हैं। आइये, जानते हैं कौन कब नियुक्त हुआ और कब तक रहा। किसे अपमानजनक ढंग से डीजीपी से हटाया गया और किसने सर्वाधिक कार्यकाल का कीर्तिमान बनाया।
जानिये छत्तीसगढ़ के 12 डीजीपी के बारे में
1. आईपीएस श्रीमोहन शुक्ला
मोहन शुक्ला छत्तीसगढ़ के प्रथम पुलिस महानिदेशक रहे। उन्हें प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने डीजीपी नियुक्त किया था। मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस रहे मोहन शुक्ला करीब छह महीने डीजीपी रहे। इसके बाद उन्होने वीआरएस ले लिया था। बताते हैं, मुख्यमंत्री अजीत जोगी की सलाह पर उन्होंने वीआरएस लिया था। क्यांंकि जोगी को अपने बेहद करीबी आरएलएस यादव को डीजीपी के रूप में एक मौका देना था। तब यादव के रिटायरमेंट में सात महीने ही बचे थे। बताते हैं, अजीत जोगी ने श्रीमोहन शुक्ला का सम्मान करते हुए उन्हें पीएससी का फर्स्ट चेयरमैन बनाया।
2. आईपीएस आरएलएस यादव
जून 2001 में रामलखन सिंह यादव छत्तीसगढ़ के दूसरे डीजीपी अपाइंट किए गए। वे सात महीने ही डीजीपी रह पाए। उनके नाम छत्तीसगढ़ का सबसे कम पीरियड के डीजीपी रहने का रिकार्ड दर्ज है। रिटायरमेंट के बाद यादव को मुख्यमंत्री ने अपना सलाहकार नियुक्त किया था। 2003 के विधानसभा चुनाव में आरएलएस यादव काफी एक्टिव रहे। चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद यादव भोपाल लौट गए।
3. आईपीएस वीके दास
जनवरी 2002 में आरएलएस यादव के रिटायर होने के बाद वीके दास छत्तीसगढ़ के तीसरे डीजीपी बनाए गए। उनका भी कार्यकाल काफी कम रहा। वे सितंबर 2002 में रिटायर हो गए। याने डीजीपी के रूप में नौ महीना उनका कार्यकाल रहा।
4. आईपीएस अशोक दरबारी
एक अक्टूबर 2002 को अजीत जोगी ने अशोक दरबारी को राज्य का डीजीपी बनाया। 2003 का विधानसभा चुनाव अशोक दरबारी के कार्यकाल में ही हुआ। दिसंबर 2003 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी वे सात महीने कंटीन्यू किए। जुलाई 2004 में रमन सरकार ने दरबारी को पीएससी का चेयरमैन बना दिया।
5. आईपीएस ओपी राठौर
अशोक दरबारी के बाद आईपीएस ओपी राठौर छत्तीसगढ़ के पांचवे डीजीपी बनाए गए। वे डेपुटेशन पर थे। उन्हें डीजीपी बनाने के लिए ही बुलाया गया। कुछ दिन वे एडीजी रहे। उसके बाद उन्हें पुलिस प्रमुख बना दिया गया। ओपी राठौर छत्तीसग़ढ़ के काफी चर्चित डीजीपी रहे। नक्सलियों के खिलाफ सल्वा जुडूम आंदोलन उनके कार्यकाल में शुरू हुआ था। वे उस समय पुलिस प्रमुख थे, जब बस्तर में नक्सलियों का तांडव चरम पर था। ओपी राठौर की गिनती छत्तीसगढ़ के चुनिंदा डीजीपी में होती है। रायपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्हें दिल का दौरा पड़ा और फिर उन्हें बचाया नहीं जा सका। मौके पर ही उनका निधन हो गया। राठौर का कार्यकाल जुलाई 2004 से लेकर मई 2007 तक रहा।
6. आईपीएस विश्वरंजन
ओपी राठौर के असामयिक देहावसान के बाद कुछ महीने तक संतकुमार पासवान डीजीपी रहे। इसके बाद आईबी डेपुटेशन से विश्वरंजन को बुलाया गया। विश्वरंजन जुलाई 2007 से लेकर अगस्त 2011 तक डीजीपी रहे। वे छत्तीसगढ़ के सबसे हाई प्रोफाइल डीजीपी रहे। चीफ सिकरेट्री से पांच साल सीनियर और दिल्ली आईबी से लौटने की वजह से विश्वरंजन का खासा रुतबा था। 2007 से 2010 तक विश्वरंजन का एकतरफा चला। उनके हिसाब से जिलों में एसपी की पोस्टिंग होती थी। मुख्यमंत्री निवास का दरवाजा उनके लिए खुला रहता था। वे जो चाहते थे, वो होता था। मगर आखिरी के छह महीने उनके अच्छे नहीं रहे। किसी बात को लेकर सरकार उनसे ऐसी नाराज हुई कि वे बेटी से मिलने अहमदाबाद रवाना हुए थे...जैसे ही उनका विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लैंड किया, मुख्य सचिव पी जॉय उम्मेन ने फोन कर बताया कि उन्हें डीजीपी से हटा दिया गया है। छत्तीसगढ़ में इस कदर अपमानजनक विदाई किसी भी डीजीपी की नहीं हुई।
7. आईपीएस अनिल नवानी
आईपीएस अनिल नवानी को डीजीपी की रेस से इसलिए बाहर समझा जा रहा था क्योंकि विश्वरंजन के रिटायरमेंट में टाईम था और उससे कुछ पहले नवानी रिटायर हो जाते। मगर वक्त की चकरी ऐसी घूमी कि विश्वरंजन हटा दिए गए और अगस्त 2011 में नवानी को मौका मिल गया। नवानी नवंबर 2012 तक डीजीपी रहे।
8. आईपीएस रामनिवास
अनिल नवानी के बाद सीनियरिटी में आईपीएस रामनिवास दूसरे नंबर पर थे। लिहाजा, नवानी के रिटाययमेंट के बाद एक दिसंबर 2012 को उन्हें डीजीपी नियुक्त किया गया। वे जनवरी 2014 तक इस पद पर रहे। याने लगभग 14 महीने।
9. आईपीएस अमरनाथ उपध्याय
आईपीएस रामनिवास के रिटायर होने के बाद सरकार ने गिरधारी नायक और एमडब्लू अंसारी की वरिष्ठतता को नजरअंदाज करते हुए 1 फरवरी 2014 को एएन उपध्याय को पुलिस महानिदेश बनाया। उपध्याय दिसंबर 2018 तक याने चार साल 11 महीने डीजीपी रहे। उन्होंने सर्वाधिक समय तक पुलिस प्रमुख रहने का रिकार्ड बनाया। दिसंबर 2018 में सरकार बदलने पर उन्हें डीजी पद से हटाया गया।
10. आईपीएस डीएम अवस्थी
दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार ने डीएम अवस्थी को छत्तीसगढ़ का डीजीपी बनाया। वे नवंबर 2021 तक इस पद पर रहे। याने करीब तीन साल तक। अवस्थी से सीनियर हालांकि गिरधारी नायक थे। सरकार भी गिरधारी को डीजीपी बनाना चाहती थी। मगर उस समय सुप्रीम कोर्ट का वह क्लाज आड़े आ गया, जिसमें कहा गया था कि रिटायरमेंट में अगर छह महीने से कम समय बचा हो तो पुलिस प्रमुख नहीं बनाया जा सकता। और जैसे ही डीएम अवस्थी को डीजीपी बनाने का आदेश हुआ, उसके दूसरे महीने सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने वाला क्लाज समाप्त कर दिया।
11. आईपीएस अशोक जुनेजा
नवंबर 2021 में डीएम अवस्थी को हटाकर कांग्रेस सरकार ने अशोक जुनेजा को पुलिस महानिदेशक अपाइंट किया। चूकि यूपीएससी से पेनल एप्रूव्ह नहीं हुआ था, इसलिए करीब 10 महीने तक वे प्रभारी डीजीपी रहे। 5 अगस्त 2022 को उन्हें पूर्णकालिक डीजीपी नियुक्त किया गया। जुनेजा जब पूर्णकालिक डीजीपी बने, उसके बाद उनके रिटायरमेंट में आठ महीने बचे थे। जून 2023 में उन्हें रिटायर होना था। मगर सुप्रीक कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार भारत सरकार ने उन्हें पूर्णकालिक नियुक्ति डेट से दो साल के लिए डीजीपी बनाने का आदेश दिया। इस तरह जुनेजा को रिटायरमेंट पीरियड के बाद भी डीजीपी रहने का अवसर मिल गया। 4 अगस्त 2024 को उनका दो साल का कार्यकाल कंप्लीट होता, मगर इसके एक दिन पहले भारत सरकार ने छह महीने का एक्सटेंशन दे दिया। एक्सटेंशन 4 फरवरी 2025 को समाप्त हुआ।
12. आईपीएस अरुण देव गौतम
अशोक जुनेजा का एक्सटेंशन समाप्त होने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने 1992 बैच के आईपीएस अरुणदेव गौतम को राज्य का बारहवां डीजीपी अपाइंट किया। गौतम का 2027 में रिटायरमेंट है। लिहाजा, वे करीब ढाई साल तक इस पद पर रहेंगे।