Begin typing your search above and press return to search.

Chattisgarh DGP: आईपीएस जीपी सिंह को DGP के पेनल में शामिल करने के बारे में राज्य सरकार ने UPSC को भेजा ये जवाब...

Chattisgarh DGP: छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए बने पेनल में आईपीएस जीपी सिंह का नाम जोड़ना है या नहीं, राज्य सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। गृह विभाग ने इस संबंध में यूपीएससी को कल शाम रिप्लाई भेज दिया। राज्य सरकार तीन आईपीएस अधिकारियों का पेनल पहले भेज चुकी है। मगर उसके बाद जीपी सिंह ने यूपीएससी को अभ्यावेदन देकर उनके नाम पर भी विचार करने का आग्रह किया है।

Chattisgarh DGP: आईपीएस जीपी सिंह को DGP के पेनल में शामिल करने के बारे में राज्य सरकार ने UPSC को भेजा ये जवाब...
X
By Gopal Rao

Chattisgarh DGP: रायपुर। छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा को एक्सटेंशन की खबरों के बीच नए डीजीपी नियुक्ति की कवायदें भी तेज हो गई है। जुनेजा का छह महीने का एक्सटेंशन आज से ठीक 16 दिन बार 4 फरवरी को समाप्त हो जाएगा।

मगर उनके एक्सटेंशन का दावा करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। दावांं का आधार केंद्रिय गृह मंत्री अमित शाह की वह घोषणा है, जिसमें उन्होंने मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने का ऐलान किया है। और देश का सबसे बड़ा नक्सल गढ़ छत्तीसगढ़ है।

छत्तीसगढ़ से अगर नक्सलवाद समाप्त हो गया तो फिर माना जाएगा कि देश अब माओवादी हिंसा से मुक्त हो गया। याने नक्सलवाद की पूरी लड़ाई छत्तीसगढ़ पर निर्भर है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने चूकि नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक ऑपरेशन का टाईम बांड प्रोग्राम तय कर दिया है, इसलिए अगला एक साल काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जुनेजा को एक्सटेंशन देने के पीछे जो अटकलें लगाई जा रही, उसका एकमात्र आधार यही है।

उधर, छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा का एक्सटेंशन का पीरियड जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, पुलिस महकमे में हलचल तेज होती जा रही है। सबकी नजरें यूपीएससी पर टिकी है, कि वहां से किस तरह का पेनल बनता है।

आईपीएस जीपी सिंह का अभ्यावेदन

जीपी सिंह को आईपीएस बहाल हुआ, उससे पहले राज्य सरकार ने 5 दिसंबर को नए डीजीपी के लिए तीन आईपीएस अधिकारियों को पेनल यूपीएससी को भेज दिया था। इनमें आईपीएस पवनदेव, अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता शामिल हैं।

आईपीएस में वापसी के बाद जीपी सिंह ने यूपीएससी को अभ्यावेदन देकर डीजीपी पेनल में अपना नाम जोड़ने का आग्रह किया है। जीपी ने कहा है कि देश की शीर्ष अदालत का फैसला उनके पक्ष में आया है। पिछली सरकार ने बदले की भावना से उन्हें आईपीएस से बर्खास्त करा दिया था।

जीपी सिंह ने कहा है कि सीनियरिटी लिस्ट के हिसाब से कायदे से पेनल में उनका नाम तीसरे नंबर पर होना चाहिए। इसके बाद यूपीएससी ने राज्य से जवाब मांगा था।

विभागीय जांच समाप्त

डीजीपी पेनल में जीपी सिंह के सामने विभागीय जांच सबसे बड़ी बाधा थीं। मगर अब ये ब्रेकर भी समाप्त हो गया है। राज्य सरकार ने दु्रत गति से जीपी सिंह फाइल दौड़ाई और उनकी विभागीय जांच खतम हो गई। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उनकी डीई समाप्त करने की फाइल को अनुमोदित कर दिया है।

जांच अधिकारी नियुक्त नहीं

जीपी सिंह के खिलाफ पिछली सरकार ने विभागीय जांच का ऐलान किया था मगर आश्चर्यजनक तौर पर जांच अधिकारी नियुक्त करना भूल गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में इस प्वाइंट का जिक्र किया है कि जांच की घोषणा करके जांच अधिकारी नहीं बैठाना, सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करता है।

बताते हैं, जांच अधिकारी न बनाना भी जीपी सिंह के पक्ष़्ा में गया। चूकि जांच अधिकारी नियुक्त नहीं और सुप्रीम कोर्ट का फैसला जीपी सिंह के पक्ष में आ गया था इसलिए जीपी को स्वाभाविक तौर पर इसका लाभ मिला। और सरकार को भी जांच के आदेश को समाप्त करने में कोई दिक्कत नहीं हुई।

यूपीएससी को रिप्लाई

राज्य सरकार ने आईपीएस जीपी सिंह की स्थिति की ताजा जानकारी यूपीएससी को भेज दिया है। जवाब में सरकार ने बताया है कि जीपी सिंह के खिलाफ विभागीय जांच का ऐलान किया गया था, उसे खतम कर दिया है। डीजीपी अशोक जुनेजा के रिटायर होने की डेट में जीपी सिंह तीसरे नंबर के सीनियर आईपीएस हैं।

डीजीपी पेनल में नाम जुड़ना तय

जानकारों का कहना है कि जीपी सिंह के खिलाफ अब कोई मामला नहीं है, लिहाजा डीजीपी के पेनल में उनके नाम जुड़ने में कोई संशय नहीं है। याने पेनल में अब चार नाम हो जाएंगे। जाहिर है, यूपीएससी अब चार नामों पर विचार कर पेनल बनाएगा।

पद चार, दावेदार पांच

बैच वाइज सीनियरिटी में 94 बैच में जीपी सिंह पहले नंबर पर हैं और दूसरे नंबर पर हिमांशु गुप्ता। इसलिए, अगर डीजीपी अशोक जुनेजा को अगर एक्सटेंशन मिल गया तो फिर राज्य सरकार को केंद्र से डीजी का एक अतिरिक्त पद मांगना पड़ेगा। क्योंकि, जीपी को डीजी प्रमोट करने डीपीसी होगी। और पद चार हैं। हालांकि, स्पेशल केस में केंद्र से स्पेशल डीजी का पद मिल जाता है। अलबत्ता, अभी राज्य और केंद्र में एक ही दल की सरकार है। अगर किन्ही कारणों से ऐसा नहीं होता तो प्रमोशन से रिवर्ट करने के देश में कई दृष्टांत है। मगर छत्तीसगढ़ के संदर्भ में पता चला है, सरकार पूरा प्रयास करेगी कि एक पद अतिरिक्त मिल जाए।

जानिये डीजीपी नियुक्ति की क्या है प्रक्रिया

राज्‍यों के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) चयन की एक निधार्रित प्रक्रिया है। इसमें राज्‍य के साथ ही संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और केंद्रीय गृह मंत्रालय की भी भूमिका रहती है।

राज्य सरकार यूपीएससी को डीजीपी नियुक्ति के लिए नामों का पेनल भेजती है। इसके बाद फिर यूपीएससी में मीटिंग होती है। इसमें यूपीएससी चेयरमैन खासतौर से मौजूद रहते हैं। किसी विषम परिस्थितियों की वजह से वे नहीं आ पाए तो उनके बदले में कोई मेम्बर होता है। इसके अलावा भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ होम का नामिनी, मसलन ज्वाइंट सिकरेट्री लेवल का कोई अफसर होता है। एक मेम्बर पैरा मिलिट्री फोर्स का डीजी होते हैं। भारत सरकार उन्हें नामित करती है। इनके अलावा संबंधित राज्य के चीफ सिकरेट्री और वर्तमान डीजीपी सदस्य होते हैं। अगर डीजीपी स्वयं दावेदार हैं तो वे मेम्बर नहीं हो सकते। याने प्रभारी डीजीपी पूर्णकालिक डीजीपी चयन कमेटी में नहीं रह सकते। बहरहाल, ये सभी मिलकर गुण-दोष के आधार पर पेनल तैयार करते हैं।

डीजीपी पद के लिए योग्‍यता

यद्यपि डीजीपी बनने के लिए 30 बरस की सेवा जरूरी है। इससे पहले स्पेशल केस में एकाध साल पहले भारत सरकार डीजीपी बनाने की अनुमति दे सकती है। छोटे राज्यों में जहां आईपीएस का कैडर छोटा होता है, सो वहां अफसर मिल नहीं पाते।

इसको देखते भारत सरकार ने डीजीपी के लिए 30 साल की सर्विस की जगह 25 साल कर दिया है। मगर बड़े राज्यों के लिए यह प्रासंगिक नहीं है। क्योंकि, जब 30 साल की सेवा वाले उपर में कई अफसर हैं तो फिर नीचे के अफसर को कैसे डीजीपी बनाया जा सकता है।

वैसे डीजीपी के लिए और भी कई क्रायटेरिया तय किया गया है। अगर आईपीएस में 30 साल की सर्विस पूरी हो गई है और डीजी प्रमोशन नहीं हुआ है तो भी यूपीएससी चाहे तो उपर के नामों को नजरअंदाज करते हुए नीचे के नामों पर विचार कर सकता है। याने यह आवश्यक नहीं कि राज्य द्वारा भेजे गए नामों में से ही यूपीएससी पेनल बनाएगा। वह ग्रेडेशन लिस्ट के आधार पर और नामों को शामिल कर सकता है या फिर राज्यों का प्रस्ताव लौटा कर अपडेटेड प्रस्ताव मंगा सकता है।

मुख्यमंत्री को अधिकार नियुक्ति का

यूपीएससी की सलेक्शन कमेटी का काम सिर्फ गुण-दोष के आधार पर तीन नामों को पेनल बनाना है। इसके बाद वह मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर को पेनल भेज देता है। एमएचए फिर संबंधित राज्य सरकार को पेनल भेजता है। इसके बाद राज्य के मुखिया और ऑल इंडिया सर्विस के नियोक्ता के नाते मुख्यमंत्री को अधिकार है कि तीन नामों से किसी एक नाम पर टिक लगाकर वे डीजीपी अपाइंट करेंगे।

प्रभारी डीजीपी का प्रावधान

राज्य सरकारों द्वारा यूपीएससी को प्रस्ताव भेजने में विलंब करने या किसी कारणवश यूपीएससी की प्रक्रिया में अगर टाईम लग गया तो फिर राज्य सरकारें प्रभारी डीजीपी नियुक्त कर देती हैं। कई राज्य हालांकि, इसका फायदा अपने हिसाब से उठा रहे हैं। मसलन, सीनियरिटी को ओवरलुक करके किसी आईपीएस को पुलिस प्रमुख बनाना है और यूपीएससी के क्रायटेरिया में उसका नाम पेनल में आना संभव नहीं तो सरकारें उसे प्रभारी डीजीपी अपाइंट कर देती हैं। इस समय कई राज्यों में प्रभारी डीजीपी हैं।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

Read MoreRead Less

Next Story