CG IAS News: 2014 बैच के डीपीआई, 13 उनसे सीनियर कलेक्टर...फिर कौन सुनेगा, अहम विभागों में रिफार्म जरूरी...
CG IAS News: छत्तीसगढ़ में कभी दसके साल पहले तक सीनियर आईएएस डीपीआई और सीएलआर होते थे। मगर कुछ सालों से जूनियर अफसरों को इन दोनों पदों पर बिठाया जाने लगा है। इसका नतीजा यह हुआ कि सिस्टम पर कंट्रोल खतम हो रहा है। चूकि ये सरकार रिफार्म की कोशिशें कर रही हैं...सरकार ने हेल्थ में सचिव लेवल के अधिकारियों को डायरेक्टर बनाया है, वैसा ही डीपीआई और सीएलआर में करना चाहिए।

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CG IAS News: रायपुर। शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी न हो, इसके लिए डीपीआई ऋतुराज रघुवंशी ने अपने तरफ से कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। स्कूल शिक्षा विभाग के व्हाट्सएप गु्रपों में कई बार चेतावनी जारी की। लिखा...गड़बड़ी पाई गई तो उच्चतम स्तर का कठोर दंड दिया जाएगा...शिकायतों को पर्सनली मैं देखूंगा....किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। बावजूद इसके युक्तियुक्करण में बीईओ, डीईओ और ज्वाइंट डायरेक्टरों ने तबाही मचा दी। छत्तीसगढ़ के 33 में से कोई भी एक जिला नहीं होगा, जहां स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भर्राशाही मचाकर लूटपाट न की हो। बीईओ, डीईओ पैसा बटोर लिए और अब सत्ताधारी पार्टी के विधायकों को सुनना पड़ रहा है। विधायकों के प्रेशर में अब बीईओ को सस्पेंड करना शुरू किया गया है। मगर अभी तक एक डीईओ का बाल बांका नहीं हुआ है।
कलेक्टर और एसडीएम अध्यक्ष
स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण के लिए ब्लॉक लेवल पर एसडीएम और जिला स्तर पर कलेक्टरों को युक्तियुक्तकरण समिति का अध्यक्ष बनाया था। तब भी एनपीजी न्यूज ने इस शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था...बीईओ, डीईओ की कारस्तानियों से फंसेंगे कलेक्टर और सरकार की होगी बदनामी। और वही हुआ। डीपीआई की लाख चेतावनियों के बाद भी अतिशेष के नाम पर बीईओ और डीईओ ने दुकान खोल ली थी। जिससे पैसा नहीं मिला, उसे अतिशेष में डाल ट्रांसफर कर दिया। सैकड़ों शिक्षक त्राहि माम कर रहे हैं।
डीपीआई से सीनियर 13 कलेक्टर
डीपीआई ऋतुराज रघुवंशी वैसे हैं तो तेज अफसर। मगर सूबे में उनसे सीनियर 13 आईएएस कलेक्टर हैं। उनके बैचमेट भी कलेक्टर हैं। ऐसे में, सीनियर कलेक्टरों को वे कैसे बोल सकते थे कि आप युक्तियुक्तकरण समिति के अध्यक्ष हैं तो इस पर ध्यान दीजिए, वरना आप पर कार्रवाई होगी। कार्रवाई की बात तो दूर इन सीनियर अधिकारियो से वे कड़े आवाज में बात भी कैसे कर सकते हैं। इस समय सबसे अधिक 2011 बैच के चार कलेक्टर हैं।
रिफार्म की जरूरत
सवाल क्रीटिसिज्म का नहीं, रिफार्म का है। डीपीआई के पद पर अगर कोई सीनियर अधिकारी होता तो इसे अलग ढंग से हैंडिल किया जाता। पहले सीनियर आईएएस को ही डीपीआई बनाया जाता था। कुछ समय के लिए 2002 बैच के कमलप्रीत सिंह डीपीआई रहे। इसी तरह पुराने समय में कमिश्नर लैंड रेवेन्यू भी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बनाए जाते थे।
हेल्थ में अच्छा काम
विष्णुदेव सरकार ने हेल्थ में सिकरेट्री लेवल की आईएएस डॉ0 प्रियंका शुक्ला को कमिश्नर हेल्थ बनाया है। प्रियंका 2009 बैच की आईएएस हैं। उनके पास एनएचआरएम का दायित्व भी है। इसी तरह 2008 बैच की शिखा राजपूत कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन हैं। वे भी सचिव रैंक की आईएएस हैं।
डीपीआई से उपर कमिश्नर
मध्यप्रदेश में आज भी डीपीआई के उपर कमिश्नर होता है। उनके नीचे में दो-तीन डीपीआई होते हैं। छत्तीसगढ़ में डीपीआई ऑफिस में जिस तरह एडिशनल डायरेक्टर होते हैं, वैसे ही मध्यप्रदेश में सीपीआई के नीचे डीपीआई होते हैं। उन्हें अलग-अलग सेक्शन दिया जाता है। डीपीआई कलेक्टर लेवल के अधिकारी होते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार को इसी तरह का सेटअप डीपीआई और सीएलआर में करना चाहिए।