CG DGP Posting: DGP अशोक जुनेजा को अगर एक्सटेंशन नहीं मिला तो IPS अरुणदेव गौतम बनेंगे छत्तीसगढ़ के प्रभारी डीजीपी!...
CG DGP Posting: छत्तीसगढ़ में डीजीपी याने पुलिस महानिदेशक पोस्टिंग की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। डीजीपी अशोक जुनेजा को दूसरी बार एक्सटेंशन मिलने से इंकार नहीं किया जा रहा तो अटकलबाजी इस पर भी चल रही कि एक्सटेंशन नहीं मिलने की स्थिति में सरकार प्रभारी डीजीपी किसे बनाएगी। नीचे पढ़िये अगर जुनेजा को एक्सटेंशन नहीं मिला तो प्रभारी प्रभारी पुलिस महानिदेशक कौन बनेगा?...

CG DGP Posting: रायपुर। छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा के एक्सटेंशन में अब तीन दिन बच गए हैं। 3 फरवरी को उनकी सेवावृद्धि समाप्त हो जाएगी। और आज 30 जनवरी हो गया है। याने मुश्किल से अब तीन दिन बचे हैं। या तो एक्सटेंशन मिले या फिर प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति...किसी भी सूरत में 3 फरवरी के दोपहर से पहले तक नए डीजीपी का आदेश निकालना पड़ेगा।
अशोक जुनेजा 11 नवंबर 2021 को छत्तीसगढ़ के प्रभारी डीजीपी बनाए गए थे। फिर यूपीएससी के एप्रूवल के बाद 5 अगस्त 2022 को दो साल के लिए पूर्णकालिक डीजीपी नियुक्त किए गए। 4 अगस्त 2024 को उनके रिटायरमेंट से एक दिन पहले 3 अगस्त को भारत सरकार ने छह महीने का एक्सटेंशन दे दिया। चूकि 3 अगस्त को उनका एक्सटेंशन आया और 4 अगस्त को ज्वाईन किया तो इस हिसाब से 3 फरवरी तक उनका कार्यकाल रहेगा।
हालांकि, छत्तीसगढ़ सरकार ने डीजीपी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। 5 दिसंबर 2024 को राज्य सरकार ने तीन आईपीएस अधिकारियों का पेनल यूपीएससी को भेज दिया था। इनमें सीनियरिटी के हिसाब से आईपीएस पवनदेव, अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता शामिल हैं। हालांकि, बाद में जीपी सिंह की आईपीएस में वापसी के बाद उन्होंने यूपीएससी के समझ अपना पक्ष रखते हुए अभ्यावेदन दिया।
यूपीएससी ने जीपी सिंह के अभ्यावेदन पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था। राज्य से यूपीएससी को रिप्लाई भेजा जा चुका है कि जीपी सिंह के खिलाफ अब कोई मामला नहीं है। याने डीजीपी के पेनल में यूपीएससी चाहे तो जीपी सिंह का नाम शामिल कर सकता है और संभावना भी लगभग ऐसी ही है।
मगर डीजीपी का एक्सटेंशन समाप्त होने में तीन दिन बच गए हैं और अभी तक यूपीएससी में डीपीसी की बैठक भी नहीं हुई है। अगर हफ्ते भर के भीतर डीपीसी हो गई तब भी प्रॉसेज में 15 से 20 दिन लग जाएंगे। जाहिर है, 3 फरवरी तक यूपीएससी से पेनल आना नामुमकिन है।
एक्सटेंशन की अटकलें
डीजीपी अशोक जुनेजा को दूसरी बार एक्सटेंशन की अटकलों के पीछे सिर्फ और सिर्फ नक्सलियों के साथ चल रही निर्णायक लड़ाई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए मार्च 2026 की मियाद घोषित कर चुके हैं।
जाहिर है, देश में नक्सलियों का सबसे बड़ा गढ़ कोई है तो छत्तीसगढ़ है। अलबत्ता, अब माओवादियों के पांव उखड़ते दिख रहे हैं। सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में आए दिन नक्सली मारे जा रहे हैं। ऐसे में, एक पक्ष को यह मानने में कोई हिचक नहीं कि अशोक जुनेजा को फिर से एक्सटेंशन नहीं मिलेगा। मगर एक वर्ग ऐसा भी है, जिसका कहना है कि मार्च 2026 में अभी एक साल से ज्यादा वक्त बचा है। इसलिए अब एक्सटेंशन ना मिले। मगर पीएचक्यू के कुछ अधिकारी दावा कर रहे कि डीजीपी को अब एक साल का एक्सटेंशन मिल सकता है।
प्रभारी डीजीपी कौन?
अगर डीजीपी अशोक जुनेजा को एक्सटेंशन नहीं मिला तो फिर सवाल उठता है विष्णुदेव साय सरकार किसे प्रभारी डीजीपी नियुक्त करेगी। प्रभारी इसलिए कि यूपीएससी से पेनल आए बगैर राज्य सरकार पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति नहीं कर सकती।
जुनेजा के बाद सीनियरिटी में पवनदेव पहले नंबर पर हैं और उसके बाद अरुणदेव गौतम। ये दोनों 1992 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। सीनियरिटी के हिसाब से अगर सरकार प्रभारी डीजीपी अपाइंट करेगी तो अरुणदेव गौतम का पलड़ा भारी लग रहा है।
अरुणदेव गौतम का नाम सबसे उपर इसलिए भी माना जा रहा है कि 3 अगस्त को अशोक जुनेजा का एक्सटेंशन से पहले सरकार ने अरुण देव गौतम को प्रभारी डीजीपी बनाने नोटशीट तैयार करने का निर्देश दे दिया था। मगर इससे पहले भारत सरकार ने जुनेजा के एक्सटेंंशन के लिए प्रस्ताव मंगा लिया। ऐसे में, अगर जुनेजा को सेवावृद्धि नहीं मिली तो अरुणदेव गौतम के नाम पर सरकार मुहर लगा सकती है।
सीआईसी के लिए अप्लाई
डीजीपी अशोक जुनेजा मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए अप्लाई कर चुके हैं। जो लोग उनके एक्सटेंशन की खबर को खारिज कर रहे हैं, उनका तर्क है कि जुनेजा को अगर एक्सटेंशन की उम्मीद होती तो मुख्य सूचना आयुक्त के लिए आवेदन नहीं करते। मगर यह भी सही है कि भारत सरकार आजकल पहले से नहीं बताती कि किसी एक्सटेंशन दिया जाएगा।
कई राज्यों के चीफ सिकरेट्री और डीजीपी की नियुक्ति में ऐसा हो चुका है कि राज्य सरकार पोस्टिंग की तैयारी करती रही और उधर केंद्र से एक्सटेंशन आ गया या सीधे नियुक्ति आ गई। यूपी के मुख्य सचिव केंद्र से ही नियुक्त हुए थे।
इसी तरह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव राजेश रजौरा को मुख्य सचिव बनाने नोटशीट पर दस्तखत कर चुके थे, तब तक भारत सरकार ने अनुराग जैन को डेपुटेशन समाप्त कर भोपाल भेज दिया। और कुछ घंटे में मुख्य सचिव का उनका आदेश निकल गया।
डीजीपी पर सस्पेंस
कहने का आशय यह है कि आखिरी दिन तक नए डीजीपी के नाम पर सस्पेंस बना रहेगा। 3 फरवरी की दोपहर तक अगर भारत सरकार से कोई संदेशा नहीं आया, तभी राज्य सरकार प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति करेगी।