CG Chief Secretary: 1 पद 5 दावेदार: ब्यूरोक्रेसी की साख बहाल करने मुख्य सचिव का सलेक्शन सरकार की कठिन चुनौती...
CG Chief Secretary: छत्तीसगढ़ जैसे छोटे से राज्य के दो आईएएस अधिकारी जेल में हों और आधा दर्जन अधिकारी जांच एजेंसियों के निशाने पर, उस राज्य की ब्यूरोक्रेसी की देश में कैसी पहचान होगी? जाहिर है, देश में छत्तीसगढ़ की नौकरशाही पर सबसे भ्रष्ट नौकरशाही का लेबल चस्पा हो गया है। ऐसे में, रिटायर होने जा रहे चीफ सिकरेटी अमिताभ जैन की जगह किसे नया प्रशासनिक मुखिया चुन सूबे की ब्यूरोक्रेसी के चेहरे को बदला जाए, ये एक बड़ी चुनौती बन गई है।

CG Chief Secretary: रायपुर। छत्तीसगढ़ के मौजूदा मुख्य सचिव अमिताभ जैन जून तक अपना कार्यकाल पूरा करेंगे या उससे पहले बदले जाएंगे, छत्तीसगढ़ में अब ये सवाल नहीं पूछा जा रहा। मंत्रालय के चौड़े गलियारों से लेकर चौक-चौराहों तक एक ही प्रश्न है, कौन होगा छत्तीसगढ़ का नया मुख्य सचिव। उत्सुकता की प्रमुख वजह बदनाम हो चुकी छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी है। लोगों की जिज्ञासा है कि सरकार बदनुमा दाग को हटाने के लिए किसे नए चीफ सिकरेट्री बनाकर छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी की नई पहचान स्थापित करेगी।
छत्तीसगढ़ के सौम्य और विनम्र मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के लिए भी सवाल कम पेचीदा नहीं होगा। बीजेपी सुशासन और जीरो टॉलरेंस की बात कर छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाई। 13 दिसंबर 2024 को शपथ लेने के बाद अपने पहले बयान में ही मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार जीरो टॉलरेंस पर काम करेगी...गड़बड़़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कई घोटालों की जांच सीबीआई और ईओडब्लू को देकर इसे साबित भी किया कि वे जो कहते हैं, करते हैं। बावजूद इसके सूबे का मुख्य सचिव चुनना मुख्यमंत्री के लिए कठिन टास्क होगा। क्योंकि, उसी से छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी की पहचान बदलेगी।
छत्तीसगढ़ के एसीएस से रिटायर एक पूर्व आईएएस अधिकारी मानते हैं कि राज्य की नौकरशाही अब पहले जैसी नहीं रही। वे कहते हैं, करप्शन से भी चिंताजनक बात यह है कि नौकरशाही की क्षमताएं खतम हो गई हैं। राज्य के 70 से 80 प्रतिशत अधिकारियों से पूछ दिया जाए कि पिछले 10 साल में उन्होंने एकाध उल्लेखनीय काम किए हैं तो बताएं, तो उनके पास कोई जवाब नही होगा। इसकी एकमात्र वजह है ब्यूरोक्रेसी भ्रष्टाचार के दलदल में डूब चुकी है। अधिकांश अधिकारियों का एक ही टारगेट है पैसा।
सीएस के पास जादू की छड़ी नहीं मगर...
हालांकि, ये सही है कि मुख्य सचिव के पास कोई जादू की छड़ी नहीं होगी जो आते ही सब कुछ बदल दें। मगर यह भी सही है कि इसी राज्य में सुनिल कुमार भी चीफ सिकरेट्री रहे, जिनकी धमक इतनी तो थी ही कि सिकरेट्री से लेकर कलेक्टर तक डरते थे। उन्हें मालूम था कि चीफ सिकरेट्री को अगर पता चल गया तो फिर खैर नहीं। इस समय सामान्य प्रशासन विभाग को अफसरों को टाईम पर आने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी तब जाकर सुबह समय पर मंत्रालय आने वालों की संख्या कुछ बढ़ी है। सुनिल कुमार के बिना किसी कवायद के सिकरेट्री दौड़ते हुए टाईम पर ऑफिस आते थे।
गरिमा में गिरावट
सुनिल कुमार के बाद मुख्य सचिवों की गरिमा में काफी गिरावट आई। मुख्य सचिव प्रशासनिक मुखिया होता है मगर किसी भी मुख्य सचिव ने कभी प्रशासन को ठीक करने का काम नहीं किया। अमिताभ जैन मुख्य सचिव के पद पर पोस्टिंग का कीर्तिमान बनाने जा रहे हैं। अमिताभ काफी सहज और सरल अफसर हैं। कहा जाता है कि पिछली सरकार में उनकी नहीं चली...उन तक कई फाइलें भी नहीं पहुंचती थी। फिर भी उनके कार्यकाल में अगर दो आईएएस अधिकारी समेत बड़ी संख्या में सरकारी मुलाजिमों को केंद्रीय जांच एजेंसियों ने जेल पहुंचाया तो मुखिया होने के नाते उनके मन में भी कसक तो होगी।
एक पद, 5 दावेदार
छत्तीसगढ़ में मुख्य सचिव पद के लिए पांच आईएएस अधिकारियों के नाम चर्चा में हैं। सरकार अगर वरिष्ठता के आधार पर फैसला करेगी तो पहला नाम आएगा रेणु पिल्ले की। उनके बाद सुब्रत साहू, अमित अग्रवाल, ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ आते हैं। रेणु 91 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। वहीं, सुब्रत, अमित 93, ऋचा और मनोज 94 बैच के।
रेणु, अमित और ऋचा टफ अधिकारी
इन पांच में से रेणु पिल्ले, अमित अग्रवाल और ऋचा शर्मा सख्त आईएएस अधिकारी हैं। इनके बारे में ऐसी धारणा है कि ये तीनों प्रैक्टिल नहीं हैं। याने जिन डेमोक्रेसी में नियमों को थोड़ा उपर-नीचे कर लोगों को खुश किया जा सकता है, उसमें भी ये टस-से-मस नहीं होते। इनमें से अमित अग्रवाल लंबे समय से भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर पोस्टेड हैं।
ऐसे में अमित अग्रवाल मुख्य सचिव!
राज्यों में मुख्य सचिव के मामले में भारत सरकार का जो ट्रेंड चल रहा है, उस दृष्टि से तो फिर अमित अग्रवाल नए मुख्य सचिव बन सकते हैं। इससे पहले मध्यप्रदेश, राजस्थान, ओड़िसा और हरियाणा में केंद्र सरकार ने डेपुटेशन खत्म कर अफसरों को भेजकर मुख्य सचिव अपाइंट कराया। अगर ऐसा हुआ तो फिर अमित अग्रवाल को छत्तीसगढ़ लौटना पड़ सकता है। जाहिर है, अमित वहां सिकरेट्री रैंक में पहुंच चुके हैं, और ऐसे रैंक में आने के बाद आमतौर पर नौकरशाह अपने कैडर स्टेट लौटना नहीं चाहते।
सुब्रत और मनोज पिंगुआ
सरकार अगर रेणु पिल्ले को सीएस नहीं बनाएगी तो उनसे नीचे दूसरे नंबर के सीनियर अफसर सुब्रत साहू हैं। सुब्रत का नाम एकाएक चर्चा में उभरा है। वे पिछली सरकार में मुख्यमंत्री सचिवालय में पोस्टेड रहे, इसलिए उनके नाम की चर्चा से परहेज किया जा रहा था। मगर कुछ दिनों से उनके नाम की चर्चा भी गर्म है। उधर, 94 बैच के आईएएस अधिकारी मनोज पिंगुआ बैलेंस और बेदाग छबि के अफसर हैं। सुब्रत साहू से पहले मनोज पिंगुआ के नाम की चर्चा भी बड़ी तेज थी। मनोज का नाम इस आधार पर काटने की कोशिश हो सकती है कि उनके चीफ सिकरेट्री बनने के बाद रेणु पिल्ले, सुब्रत और ऋचा को मंत्रालय से बाहर जाना होगा। हालांकि, उनके समर्थन में तर्क दिया जा रहा कि रेणु और सुब्रत वैसे ही मुख्य धारा से बाहर हैं। ऋचा बैचमेट हैं, लिहाजा ऋचा को कोई दिक्कत नहीं होगी। हालांकि, गौर करने वाली बात यह है कि सुब्रत के समर्थन में लॉबिंग तेज हुई है। सुब्रत को बाकी चेहरो की तुलना में काफी कंफर्टेबल समझा जा रहा है।
बहरहाल, यह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पर निर्भर करेगा कि वे किसे राज्य का नया प्रशासनिक मुखिया चुन राज्य की नौकरशाही पर लगे भ्रष्टाचार के दाग को हटाने का काम करते हैं।
जानिये पांचों दावेदारों के बारे में
1. रेणु पिल्लै
- आईएएस बैच-1991
- जन्म-16 फ़रवरी 1968
- शिक्षा-समाज शास्त्र विषय से पोस्ट ग्रेजुएट
- मूल निवासी-आंध्रपदेश
- वर्तमान पोस्टिंग-डीजी प्रशासन अकादमी, अपर मुख्य सचिव साइंस और टेक्नालॉजी।
- कलेक्टर पोस्टिंग-उमरिया।
- सचिव पोस्टिंग-वित्त, हेल्थ, सामान्य प्रशासन, तकनीकी शिक्षा।
2. सुब्रत साहू
- आईएएस बैच-1992
- जन्म-5 जुलाई 1968
- शिक्षा-दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन
- वर्तमान पोस्टिंग-अपर मुख्य सचिव धर्मस्व
- मूल निवासी-ओड़िसा
- कलेक्टर पोस्टिंग-धमतरी, सरगुजा और दुर्ग।
- सचिव पोस्टिंग-मुख्यमंत्री सचिवालय, गृह एवं जेल विभाग, ऊर्जा विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, वाणिज्य एवं उद्योग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण मंडल के चेयरमैन।
3. अमित अग्रवाल
- आईएएस बैच-1993
- जन्म- 27 जून 1970
- शिक्षा- आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री
- मुख्य निवासी-उत्तर प्रदेश
- वर्तमान पोस्टिंग-भारत सरकार में सचिव स्तर के अफसर।
- कलेक्टर पोस्टिंग-महासमुंद।
- सचिव पोस्टिंग-वित्त और वाणिज्य कर और तकनीकी शिक्षा, केंद्रीय वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में संयुक्त सचिव।
4. ऋचा शर्मा
- आईएएस बैच-1994
- जन्म-26 मार्च 1969
- शिक्षा-बीए ऑनर्स से स्नातक करने के बाद एमए। पब्लिक पॉलिसी एंड मैनेजमेंट में उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा।
- मूल निवासी-छत्तीसगढ़
- पोस्टिंग-दो बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहीं। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग में अतिरिक्त सचिव। छत्तीसगढ़ में प्रमुख सचिव खाद्य विभाग। केंद्र में वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की ज्वाइंट सिकरेट्री
5. मनोज पिंगुआ
- आईएएस बैच-1994
- जन्म-21 अगस्त 1969
- शिक्षा-पोस्ट ग्रेजुएट, बीएससी बॉटनी के बाद एंथ्रोपोलोजी में एमएससी
- मूल निवासी-झारसुगड़ा
- वर्तमान-पोस्टिंग-गृह और जेल।
- कलेक्टर-जांजगीर, सरगुजा।
- सचिव पोस्टिंग-फॉरेस्ट, स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा। माध्यमिक शिक्षा मंडल व व्यापम के अध्यक्ष। केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्रालय और सूचना प्रसारण में संयुक्त सचिव।
0 25 साल में छत्तीसगढ़ में 12 सीएस में से 3 को हटाया गया
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के ढाई दशक में 11 मुख्य सचिव हुए हैं। अमिताभ जैन 12 वें हैं। इन 11 में से आठ की विदाई सामान्य रही। सुनिल कुमार के लिए तो कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी। मगर तीन मुख्य सचिवों की किस्मत वैसी नहीं रही। एक तरह से कहें तो बेआबरु होकर तेरे कूचे...सरीखी स्थिति रही। पी. जॉय उम्मेन को रमन सिंह सरकार ने हटाया तो खफा होकर उन्होंने वीआरएस ले लिया। यद्यपि, सरकार ने उन्हें सरकारी बिजली कंपनी का चेयरमैन पद पर कंटिन्यू करने का ऑफर दिया था। मगर छुट्टी में रहने के दौरान हटा देना उन्हें अपमानजनक लगा और केरल से ही वीआरएस के लिए अप्लाई कर दिया। उनसे पहले आरपी बगाई से भी राज्य सरकार के रिश्ते अत्यधिक खराब हो गए थे। चूंकि उनका कार्यकाल कम बचा था, इसलिए उन्हें हटाया नहीं गया मगर पुराने लोगों को याद होगा कि नक्सल सलाहकार केपीएस गिल को लेकर चीफ सिकरेट्री और सरकार के बीच कैसी खटास आ गई थी। दरअसल केपीएस गिल को बगाई के सुझाव पर सरकार ने एडवाइजर बनाया था मगर गिल के शाही शौक और नित नए डिमांड से सरकार आजीज आ गई थी। उपर से केपीएस के पक्ष में बगाई की वकालत। इसका नतीजा यह हुआ कि सरकार और सीएस के बीच रिश्ते काफी तल्ख हो गए थे। सरकार के तेवर भांप आईएएस एसोसियेशन की बगाई की विदाई देने की हिम्मत नहीं पड़ी। इसके बाद तीसरा नंबर विवेक ढांड का रहा। हालांकि, उनका मामला सार्वजनिक नहीं हो पाया। ढांड का रेरा चेयरमैन में सलेक्शन हो चुका था। समझा जा रहा था कि रिटायर होने के बाद वे नई जिम्मेदारी संभालेंगे। सरकार और उनके रिश्ते में दूरियां तब सामने आई, जब रमन सिंह और उनकी टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे से यकबयक ढांड का नाम कट गया। उसके बाद एक रोज अचानक खबर आ गई कि ढांड ने वीआरएस लिया और अजय सिंह को नया मुख्य सचिव बनाया गया। जाहिर है, सीएस के तौर पर ढांड का अंतिम समय अच्छा नहीं रहा। इस मामले में अपने अमिताभ जैन का जवाब नहीं। पिछली सरकार ने सीएस बनाया। सरकार बदली...पांचवा साल चल रहा, मगर ना काहू से दोस्ती, ना काहू से वैर। सबसे अधिक समय तक सीएस की कुर्सी पर रहने का कीर्तिमान बनाने के बाद भी अमिताभ जैन सभी के लिए कंफर्ट...सभी के लिए ठीक रहे। छत्तीसगढ़ बनने के 25 साल में सिर्फ दो बार ऐसा हुआ कि चीफ सिकरेट्री को रिटायरमेंट से पहले पद से हटाया गया। पहले पी. जॉय उम्मेन और उनके बाद अजय सिंह को। अजय सिंह को 2018 में बीजेपी सरकार बदलने के महीने भर के भीतर भूपेश बघेल सरकार ने हटा दिया था।
उम्मेन की छुट्टी में हो गई छुट्टी
सरकार बदलने के बाद आमतौर पर नई सरकारें अफसरों को बदलती हैं मगर उम्मेन को रमन सरकार ने सीएस बनाया था और उसी ने हटाया छत्तीसगढ़ के छठवे मुख्य सचिव रहे उम्मेन हटाए जाने से इतने आहत हुए कि उन्होंने वीआरएस ले लिया। छत्तीसगढ़ ब्यूरोक्रेसी की यह घटना 2012 की है। पी जॉय उम्मेन 1977 बैच के आईएएस अधिकारी थे। वे शिवराज शिवराज सिंह के रिटायर होने के बाद मुख्य सचिव बनाए गए और करीब पौने चार साल तक इस पद पर रहे। लंबे कार्यकाल के मामले में अमिताभ जैन के बाद वे दूसरे मुख्य सचिव होंगे। मगर उनका आखिरी समय अच्छा नहीं रहा। उम्मेन को बीकेएस रे, पी राघवन और बीएल कपूर जैसे तीन सीनियर अफसरों को सुपरसीड करके मुख्य सचिव बनाया गया था। सहज-सरल होने की वजह से सरकार ने उन्हें ब्यूरोर्क्रेसी के इस सबसे बड़े पद के लिए उन्हें चुना था। मगर जब प्रशासनिक सिस्टम जब एकदम नकारा साबित होने लगा तो सरकार के कान खड़े हुए। उम्मेन का फाइल डिस्पोजल बडा स्लो था। उनके सचिवालय में फाइलों की ढेर लग गई थी। उम्मेन बार-बार लंबी छुट्टियों में केरल चले जाते थे। सरकार को भी लगा कि 2008 का विधानसभा चुनाव चावल के बल पर निकल गया मगर 2013 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए प्रशासनिक कसावट का संदेश देना होगा। लिहाजा, सरकार ने उम्मेन से पीछा छुड़ाने का मन बना लिया। और साल 2011 गुजरते-गुजरते तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह चीफ सिकरेट्री बदलने के मूड में आ गए। सरकार ने दिल्ली में पोस्टेड सुनिल कुमार को बुलाने का फैसला किया। इसके लिए सिकरेट्री टू सीएम बैजेंद्र कुमार और अमन सिंह दिल्ली जाकर सुनिल कुमार को छत्तीसगढ़ लौटने के लिए राजी किया। रमन सिंह के विश्वस्त दोनों अफसरों ने सुनिल कुमार को बताया कि रायपुर आने के कुछ दिन बाद आपको चीफ सिकरेट्री बना दिया जाएगा। इसके बाद सुनिल कुमार रायपुर आए तो उन्हें एसीएस स्कूल एजुकेशन की जिम्मेदारी दी गई। सुनिल कुमार के छत्तीसगढ़ लौटने के बाद उम्मेन जनवरी 2012 में छुट्टी पर केरल गए। सरकार ने प्लानिंग के तहत उम्मेन के अवकाश पर जाने के दौरान सुनिल कुमार को प्रभारी मुख्य सचिव बना दिया। योजना यह थी कि उम्मेन जैसे ही छुट्टी से लौटेंगे, सुनिल कुमार को पूर्णकालिक मुख्य सचिव नियुक्त कर उम्मेन का बिजली बोर्ड का आदेश निकाल दिया जाएगा। मगर उम्मेन को इसकी भनक लग गई और वे छुट्टी बढ़ाते चले गए। सरकार को जब कहीं से ये पता चला कि उम्मेन नहीं चाहते कि चार महीने पहले उन्हें सीएस पद से हटा दिया जाए तो वह हड़बड़ा गई। मुख्यमंत्री के रणनीतिकारों ने सलाह दिया कि प्रभारी के तौर पर सुनिल कुमार आखिर कब तक काम करते रहेंगे...इसलिए अब फैसला किया जाए। उधर सुनिल कुमार भी कसमसा रहे थे...उन्हें सीएस बनाने का ऑफर देकर ही छत्तीसगढ़ बुलाया गया था। प्रभारी के तौर पर सुनिल कुमार अपना स्वाभाविक काम नहीं कर पा रहे थे।
10 मिनट में जारी हुआ सीएस का आदेश (बॉक्स)
जब तत्कालीन रमन सरकार ने निर्णय किया कि उम्मेन को हटा कर सुनिल कुमार को नया चीफ सिकरेट्री अपाइंट कर दिया जाए। अमन सिंह ने इस फैसले की सूचना उम्मेन को दी और 10 मिनट बाद सुनिल कुमार के सीएस बनाए जाने का आदेश जारी हो गया। बताते हैं, सुनिल कुमार को सीएस बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने भी उम्मेन से फोन पर बात की। उन्होंने उन्हें बताया कि उन्हें बिजली बोर्ड का चेयरमैन बना रहे हैं, आप आकर ज्वाईन कर लो। मगर वे अपने फैसले से टस-से-मस नहीं हुए। लोग यहां तक कहते हैं कि रमन सिंह ने उन्हें यहां तक ऑफर दिया था कि जब तक मैं मुख्यमंत्री रहूंगा, आप बिजली बोर्ड के चेयरमैन बने रहेंगे। मगर वे तैयार नहीं हुए। मगर उम्मेन छुट्टी से नहीं लौटे। अलबत्ता, वे छत्तीसगढ़ लौटने की बजाए सेंट्रल डेपुटेशन का रास्ता तलाशते रहे। उन्होंने हुडको चेयरमैन बनने के लिए सरकार से एनओसी भी मांगा, जो कि तुरंत मिल गया। मगर हुडको में उनका हुआ नहीं। अंत में वे छुट्टी में ही रिटायर हो गए।
खत्म हो गया था चीफ सेक्रेट्री का औरा (बॉक्स)
उम्मेन बेहद सहज और शरीफ अफसर थे। इसलिए अफसरों को वे भाते थे। किसी का कोई नुकसान नहीं। अफसर भी खुश और सरकार भी। क्योंकि, सरकार जहां बोलती थी, वहां दस्तखत करने में देर नहीं करते थे। मगर उनके पौने चार साल के सीएस कार्यकाल में छत्तीसगढ़ का प्रशासनिक ढांचा एकदम चरमरा गया था। प्रशासनिक अफसरों पर सिस्टम का कोई नियंत्रण नहीं रह गया था। मुख्य सचिव नाम को औरा खत्म हो गया था। उधर, दो रुपए किलो चावल बांटकर 2008 का विधानसभा चुनाव जीत चुकी रमन सरकार 2013 के चुनाव की तैयारी कर रही थी। उसमें दो साल का वक्त बचा था। सरकार चाहती थी कि कड़ा चीफ सिकरेट्री बिठा प्रशासनिक कसावट का संदेश लोगों को दिया जाए। इसी रणनीति के तहत जनवरी 2012 में उम्मेन को हटाकर सुनिल कुमार की ताजपोशी की गई। दिलचस्प यह रहा कि उम्मेन को खो कर उनकी कुर्सी पर बैठने वाला भी केरेलियन था। तब चुटकी ली जाती थी कि उम्मेन को यही नागवार गुजरा। सुनिल कुमार की जगह अगर किसी और को सीएस बनाया गया होता तो वे इतने नाराज नहीं हुए होते।
जब सरकार बदली और बदल गए सीएस, डीजीपी (बॉक्स)
छत्तीसगढ के 25 बरसों में सिर्फ तीन बार सरकार बदली है। पहली बार 2003 में। फिर 2018 और 2023 में। 2003 में अजीत जोगी सरकार बदली तो एसके मिश्रा चीफ सिकरेट्री थे। रमन सरकार ने उन्हें रिटायर होते तक कंटिन्यू ही नहीं किया, बल्कि बाद में सीएसईबी चेयरमैन की पोस्टिंग भी दी। 2018 में जब कांग्रेस सरकार बनी तो अजय सिंह मुख्य सचिव थे। अजय को महीने भर में हटा दिया गया। उनकी जगह सुनील कुजूर को नया सीएस बनाया गया। 2023 में जब सरकार बदली तो अमिताभ जैन चीफ सिकरेट्री थे, वे अभी भी कंटिन्यू कर रहे हैं। पोस्टिंग के मामले में बेहद किस्मती रहे अजय सिंह का चीफ सिकरेट्री के तौर पर हार्ड लक रहा। सरकार बदलने पर हटाए जाने वाले एकमात्र सीएस के रूप में उनका नाम दर्ज हो गया। रही बात डीजीपी की तो सरकार बदलने के बाद डीजीपी हमेशा टारगेट पर रहे, सिर्फ अशोक जुनेजा को छोड़। 2003 में बीजेपी की सरकार बनने के थोड़े दिन बाद ही अशोक दरबार को बदल दिया गया। 2018 में एएन उपध्याय को सरकार गठित होने के 24 घंटे के भीतर हटाया गया। सिर्फ जुनेजा ऐसे आईपीएस रहे, जो रमन सिंह सरकार में खुफिया चीफ रहने के बाद भी कांग्रेस सरकार में डीजीपी बने और फिर बीजेपी सरकार में अपना कार्यकाल कंप्लीट किया।
मुख्यमंत्री की पसंद से तय होता है मुख्य सचिव
मुख्य सचिव के चयन की प्रक्रिया केंद्र सरकार भी शामिल होती है, लेकिन सामान्यतः मुख्यमंत्री जिसे चाहते हैं वहीं मुख्य सचिव बनता है। अफसरों के अनुसार मुख्य सचिव चयन की सामान्य प्रक्रिया यह है कि जीएडी वरिष्ठ अफसरों का पैनल बनाकर केंद्र सरकार को भेजता है। वहां विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक होती है। डीपीसी में राज्य और केंद्र सरकार के अफसर शामिल रहते हैं। डीपीसी राज्य सरकार की तरफ से भेजी गई सूची में से तीन नामों का पैनल वापस राज्य सरकार को भेज देती है। मुख्यमंत्री की पसंद के हिसाब से इन्हीं में से किसी एक मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया जाता है।
सबसे ताकतवर पद है सीएस
किसी भी राज्य में मुख्य सचिव का पद बेहद महत्वपूर्ण होता है। राज्य की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था का कंट्रोल मुख्य सचिव के पास रहता है। इसी वजह से सामान्यतः इस पर पर सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर को बैठाया जाता है। राज्य में प्रशासनिक अमले में शामिल सभी तरह की सेवाओं के अफसर चाहे वे आईएएस हों, आईपीएस, आईएफएस या राज्य सेवा के सभी मुख्य सचिव के अधीन रहते हैं। पुलिस अमला भी मुख्य सचिव के अधीन ही रहता है। इसी कारण परंपरा रही है कि डीजीपी के पद पर बैठे अफसर से वरिष्ठ आईएएस को ही मुख्य सचिव बनाया जाता है। कभी-कभी कुछ राज्यों में इससे उल्टी स्थिति भी रहती है। जैसा छत्तीसगढ़ में एक बार हो चुका है। मुख्य सचिव रहे पी जाय उम्मेन तत्कालीन डीजीपी विश्वरंजन से एक बैच जूनियर थे।
अब तक 12 चीफ सेक्रेट्री
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से ठीक एक दिन पहले 30 अक्टूबर 2000 को नए बनने जा रहे राज्य का प्रशासनिक प्रमुख बनाया गया। इस तरह छत्तीसगढ़ के पहले मुख्य सचिव अरुण कुमार थे। अरुण कुमार 31 जनवरी 2003 तक इस पद पर रहे। अरुण कुमार के बाद सुयोग्य कुमार मिश्रा ने राज्य के मुख्य सचिव का पद संभाला। मिश्रा 20 जून 2004 तक राज्य के मुख्य सचिव रहे। मिश्रा के बाद एके विजयवर्गीय की मुख्य सचिव के रुप में ताजपोशी हुई। उन्होंने एक जुलाई 2004 को मुख्य सचिव का पद संभाला और 2005 में 7 नवंबर तक पद पर रहे। उनके बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने आरपी बगई को राज्य का मुख्य सचिव बनाया। बगई का कार्यकाल 31 जनवरी 2007 तक रहा। बगई के बाद शिवराज सिंह को सीएस का पद सौंपा गया। शिवराज 31 जुलाई 2008 तक इस पर पर रहे। बाद में वे मुख्यमंत्री के सलाहकार और प्रदेश की बिजली कंपनियों के अध्यक्ष भी रहे। शिवराज सिंह के बाद सरकार ने पी.जाय उम्मेन को राज्य का मुख्य सचिव बनाया। उम्मेन ने 31 जुलाई 2008 को सीएस का पदभार ग्रहण किया और वे 7 फरवरी 2012 तक पद पर रहे। यह उनसे पहले बने मुख्य सचिवों में सबसे लंबा कार्यकाल था। हालांकि सरकार ने उम्मेन को रिटायरमेंट से पहले ही पद से हटा दिया। उम्मेन को हटा कर राज्य सरकार ने 7 फरवरी 2012 को सुनील कुमार को राज्य का मुख्य सचिव बनाया। सुनील कुमार 28 फरवरी 2014 तक इस पर पर रहे। सुनील कुमार के बाद छत्तीसगढ़ मूल के विवेक ढांढ को मुख्य सचिव बनाया गया। ढांढ ने 28 फरवरी 2014 को मुख्य सचिव की कुर्सी संभाली और 11 जनवरी 2018 तक पद पर रहे। यह प्रदेश के किसी भी मुख्य सचिव का सबसे लंबा कार्यकाल रहा। जनवरी 2018 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने अजय सिंह को राज्य का अगला मुख्य सचिव बनाया। इसी साल विधानसभा के चुनाव हुए और बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई। 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्य सचिव अजय सिंह को हटा दिया उनके स्थान पर 2 जनवरी 2019 को सरकार ने सुनील कुजूर को मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया। कुजूरी 2019 तक पद पर रहे। उनके बाद 31 अक्टूबर 2019 को आपी मंडल को मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई वे 30 नवंबर 2020 तक पद पर रहे। मौजूदा मुख्य सचिव अमिताभ जैन का कार्यकाल उम्मेन और विवेक ढांढ से भी लंबा हो गया है। जैन को 30 नवंबर 2020 को मुख्य सचिव बनाया गया और वे अभी तक पद पर बने हुए हैं।
अब तक के चीफ सेक्रेट्री और उनका कार्यकाल
1. अरुण कुमार
30 अक्टूबर 2000 से 31 जनवरी 2003
2. सुयोग्य कुमार मिश्रा
31 जनवरी 2003 से 30 जून 2004
3. एके विजयवर्गीय
01 जुलाई 2004 से 07 नवंबर 2005
4. आरपी बगई
07 नवंबर 2005 से 31 जनवरी 2007
5. शिवराज सिंह
31 जनवरी 2007 से 31 जुलाई 2008
6. पी.जाय उम्मेन
31 जुलाई 2008 से 07 फरवरी 2012
7. सुनील कुमार
07 फरवरी 2012 से 28 फरवरी 2014
8. विवेक ढांढ
28 फरवरी 2014 से 11 जनवरी 2018
9. अजय सिंह
11 जनवरी 2018 से 02 जनवरी 2019
10. सुनील कुजूर
02 जनवरी 2019 से 31 अक्टूबर 2019
11. आरपी मंडल
31 अक्टूबर 2019 से 30 नवंबर 2020
12. अमिताभ जैन
30 नवंबर 2020 से अब तक