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बाढ़ से प्रभावित 4 राज्यों को SC ने भेजा नोटिस: सरकार से मांगा जवाब, कहा- 'अवैध पेड़ कटाई की संभावना'

देश के कई राज्यों में हाल की भारी बारिश और बाढ़ ने खूब तबाही मचाई है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और जम्मू-कश्मीर में लोगों का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है कि, यह सिर्फ 'कुदरती आफत' नहीं है, बल्कि इसके पीछे इंसानों की गलती भी हो सकती है।

बाढ़ से प्रभावित 4 राज्यों को SC ने भेजा नोटिस: सरकार से मांगा जवाब, कहा- अवैध पेड़ कटाई की संभावना
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SC sent notice to these flood affected states: sought response from the government, said- 'Possibility of illegal tree felling'

By Ashish Kumar Goswami

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर भारत के कई अन्य राज्य इन दिनों बाढ़ से जूझ रहे हैं। बाढ़ के कारण जम्मू-कश्मीर और पंजाब भी प्रभावित हुए हैं। इन राज्यों के हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई और उनकी पीठ ने कहा कि पहले नजर में ऐसा प्रतीत होता है कि इन इलाकों में पेड़ों की अवैध कटाई की गई है, जो बाढ़ की स्थिति को और बिगाड़ सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने इन हालातों को लेकर राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब को तीन हफ्ते के भीतर इस मामले में अपना जवाब देने के लिए कहा है। कोर्ट का मानना है कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण जंगलों की स्थिति बिगड़ी हो सकती है, जिससे बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो गई है।

SC ने जांच का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान CJI बीआर गवई ने कहा कि, यह ऊपरी पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई का संकेत हो सकता है। कोर्ट की पीठ, जिसमें CJI गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन शामिल थे, ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर इस नुकसान के कारणों का पता लगाएं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब में कहा कि, वह पर्यावरण और वन मंत्रालय के सचिव से संपर्क करेंगे और उनसे इस मुद्दे पर पूरी जानकारी प्राप्त करने का अनुरोध करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि, हमने प्रकृति के साथ इतना अधिक हस्तक्षेप किया है कि अब वह हमारे लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। इस पर CJI ने पूरी तरह से सहमति जताते हुए कहा कि, हम अपनी गतिविधियों का परिणाम भुगत रहे हैं।

इन राज्यों से माँगा जवाब

CJI गवई ने आगे कहा कि, हमने हाल के दिनों में अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ देखी है, जो एक बहुत गंभीर समस्या बन चुकी है। उन्होंने कहा कि, यह मामला बहुत ही गंभीर है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर राज्यों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि इन राज्यों की सरकारें अगले तीन हफ्ते में कोर्ट को जवाब दें। इसके अलावा, CJI ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि, केंद्र सरकार को भी इस मामले पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि मीडिया में रिपोर्ट्स आ रही हैं कि हिमाचल प्रदेश में बड़ी मात्रा में लकड़ी के ब्लॉक बह रहे हैं, जो इस प्राकृतिक आपदा का एक और संकेत हो सकता है।

बाढ़ से जनजीवन हुआ बेहाल

आपको बता दें कि, पंजाब में बाढ़ ने सबसे ज्यादा कहर ढाया है। 30 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है, और सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में हैं और लाखों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। पंजाब सरकार ने केंद्र से किसानों के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा देने के लिए फंड की मांग की है। इसके अलावा देश के पहाड़ी राज्यों जैसे- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और जम्मू-कश्मीर में भी सड़कें, पुल और घर बुरी तरह से टूट गए हैं। जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है, जिससे लोग फंसे हुए हैं और बचाव कार्य में मुश्किल आ रही है।

21 नदियां खतरे के निशान से ऊपर

केंद्रीय जल आयोग (CWC) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 21 नदियां फिलहाल गंभीर बाढ़ की स्थिति में हैं। इनमें बिहार में 9, उत्तर प्रदेश में 8, और दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और झारखंड में एक-एक नदी शामिल है। इसके अलावा, 33 और नदियों का जलस्तर सामान्य से ऊपर है, दिल्ली में यमुना नदी भी रेलवे पुल के पास खतरनाक स्तर पर बह रही है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से यह सवाल खड़ा होता है कि, क्या हम खुद अपने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर इन आपदाओं को बुलावा दे रहे हैं?

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