EOW: मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर चोपड़ा गिरफ्तार: ईओडब्ल्यू ने किया स्पेशल कोर्ट में पेश...
EOW: रीएजेंट सप्लाई घोटाले में ईओडब्ल्यू एसीबी ने मोक्षित कार्पोरेशन के डॉयरेक्टर को गिरफ्तार कर लिया है। ईओडब्ल्यू से डॉयरेक्टर को रायपुर की विशेष कोर्ट में पेश किया है।

EOW: रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन में हुए रीएजेंट सप्लाई घोटाला में ईओडब्ल्यू एसीबी ने सप्लायर मोक्षित कार्पोरेशन के डॉयरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर लिया है। ईओडब्ल्यू ने चोपड़ा को एक दिन पहले हिरासत में लिया था। गिरफ्तार किए गए डॉयरेक्टर चोपड़ा को ईओडब्ल्यू ने रायपुर की कोर्ट में पेश किया है। ईओडब्ल्यू पूछताछ के लिए कोर्ट से रिमांड की मांग की है।
पढ़िये- इस मामले में दर्ज एफआईआर
ईओडब्ल्यू के डीएसपी की तरफ से दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि विश्वस्त सूत्रों से इत्तला प्राप्त हुई कि, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अंतर्गत वर्ष 2021 में हमर लैब की स्थापना (जिला स्तरीय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तरीय) के तहत् आवश्यक उपकरणों, मशीनो आदि के कय हेतु विभाग द्वारा निर्देश जारी किया गया था जिसके तहत् आवश्यक उपकरणों / मशीनो आदि का आकलन कर संचालक स्वास्थ्य सेवाये के माध्यम से छ.ग. मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) को कय कर आपूर्ति करने हेतु निर्देशित किया गया था। सुत्रो के अनुसार संचालक स्वास्थ्य सेवायें द्वारा उक्त मशीन एवं रीएजेंट का कय कर आपूर्ति हेतु सीजीएमएससी को दिनांक 11.01.2022 को पत्र के माध्यम से सूचित किया गया था। सूत्रों के अनुसार सीजीएमएससी द्वारा मार्च-अप्रैल 2023 में मशीनो एवं रिएजेंट का कय किया गया।
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रिएजेंट के आवश्यकता के समुचित आकलन किये बिना उक्त रिएजेंट का कय स्थापित प्रकियाओं का पालन न करते हुए किया गया। सूत्रों के अनुसार संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें द्वारा उपकरण एवं मशीनों की आवश्यकता के संबंध में आकलन करते समय जिलो के स्तर पर अध्ययन नही किया गया तथा मशीनों की स्थापना हेतु संबंधित संस्था में उचित स्थान की उपलब्धता, बिजली आपूर्ति, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था का आकलन किये बिना मांग पत्र जारी किया गया। सूत्रों के अनुसार उपरोक्त मशीनो के उपयोग करने के लिए रिएजेंट की आवश्यकता होती है इसके लिए रिएजेंट का स्पेसिफिकेशन, उसकी संस्थावार मात्रा का मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी संचालक स्वास्थ्य सेवायें की होती है। संचालक स्वास्थ्य सेवायें के द्वारा संचालनालय स्तर पर विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। जिनके द्वारा रिएजेंट की मात्रा का निर्धारण संस्थावार किया गया। यह एक प्रकार का टेबल टाप एक्सरसाईज था।
किसी प्रकार की दवाई/रिएजेंट इत्यादि की आवश्यकता का निर्धारण की स्थापित पद्धति यह है कि संस्थावार अपनी आवश्यकता आन लाईन माडल DPDMIS में इन्द्राज करती है जिसका संकलन कर संचालनालय स्वास्थ्य सेवाये की विशेषज्ञ समिति उसको अंतिम रूप देती है। रिएजेंट के लिए DPDMIS माडल नही था किंतु संचालक स्वास्थ्य सेवायें के द्वारा ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया जिससे संस्थावार रिएजेंट की आवश्यक मात्रा का एललाइसिस हो सके। संचालक स्वास्थ्य सेवायें चाहती तो पहले DPDMIS में यह मॉडल को डेवलप करवा सकती थी या गूगल शीट से संस्थावार आवश्यक मात्रा की जानकारी आहुत कर सकती थी। किन्तु पैसा नही कियाा गया जिसके कारण आवश्यक से कही अधिक रिएजेंट की खरीदी की मात्रा का निर्धारण किया गया। सूत्रों से यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि रिएजेंट कय करने हेतु जो इंडेट दिया गया उसे दिये जाने के पूर्व संचालक स्वास्थ्य सेवाये के द्वारा न तो बजट उपलब्धता सुनिश्चित की गई और ना हि किसी प्रकार का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया गया। शासन को संज्ञान में लाये बिना लगभग 411 करोड़ की खरीदी शासन के उपर निर्मित की गई। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि छ.ग. मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन के द्वारा पूरी मात्रा का कय आदेश केवल 26-27 दिन के अंतराल में जारी कर दिया गया। इन रिएजेंट की रख-रखाव की कोई व्यवस्था नही थी फिर भी रिएजेंट प्रदायकर्ता के द्वारा सम्पूर्ण रिएजेंट एक ही जगह सभी निर्धारित स्वास्थ्य केन्द्रो में भण्डारण कर दिया गया। इस प्रकार सीजीएमएससी के अधिकारियों के द्वारा रिएजेंट के आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की दृष्टि से शासन के स्थापित प्रक्रिया का पालन न करते हुए रिएजेंट की आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए कार्य किया गया।
सूत्रों के अनुसार जिन रिएजेन्ट के भण्डारण हेतु रेफ्रिजेरेटर की आवश्यकता थी और उनका भण्डार 4°C पर किया जाना था, क्या इनके कय आदेश जारी करने के पूर्व आपके पास यह जानकारी थी, कि सामग्री प्रदाय हेतु निर्धारित केन्द्रों में रेफिजेरेटर उपलब्ध था? यदि नहीं तो उक्त सामग्री कहां रखी गयी है और क्या वह आज की तारीख मे उपयोग के लायक है अथवा नहीं? इस संबंध में यह जानकारी स्पष्ट है कि सीजीएमएससी को दिनांक 27.06.2023 की स्थिति में यह ज्ञात था कि सुविधा केन्द्रो में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नही है। उनके द्वारा रिएजेन्ट का प्रथम कय आदेश माह जुलाई जारी किया गया है इससे रपष्ट है कि उनके द्वारा इस संबंध में पूरी जानकारी होते हुए भी ऐसे रिएजेन्ट का कय आदेश पूरी मात्रा में जारी किया गया।
सूत्रों के अनुसार सीजीएमएससी के संज्ञान में था एवं इस मामले की वह विशेषज्ञ संस्था है, इसलिए उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि भंडारण एवं वितरण का कम उपयुक्त रहें। यही त्रुटि रेफ्रिजेरेटर की आपूर्ति एंव उनमें भंडारित होने वाले रिएजेंट के संबंध में की गई है। रेफ्रिजेरेटर का प्रदाय आज दिनांक तक नही किया जा सका है, परन्तु रिएजेंट की आपूर्ति जुलाई से दिसम्बर माह के मध्य की जा चुकी है। स्पष्ट रूप से सीजीएमएससी द्वारा वास्तविक तथ्यों की अनदेखी परिलक्षित हो रही है।
सत्यापन पर यह पाया गया उपरोक्त मशीनो को उपयोग करने के लिए रिएजेंट की आवश्यकता होती है। इसके लिए रिएजेंट का स्पेशिफिकेशन, उसकी संस्थावार मात्रा का मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी संचालक स्वास्थ्य सेवायें की होती है। संचालक स्वास्थ्य सेवायें के द्वारा संचालनालय स्तर पर विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। जिनके द्वारा रिएजेंट की मात्रा का निर्धारण संस्थावार किया गया। यह एक प्रकार का टेबल टॉप एक्सरसाइज था। किसी प्रकार की दवाई/रिएर्जेंट इत्यादि की आवश्यकता का निर्धारण की स्थापित पद्धति यह है कि संस्थावार अपनी आवश्यकता आन लाईन DPDMIS में इंद्राज करती है। जिसका संकलन कर संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें की विशेषज्ञ समिति उसको अंतिम रूप देती है। रिएजेंट के लिए DPDMIS मॉडल नही था किंतु संचालक स्वास्थ्य सेवायें के द्वारा ऐसा कोई प्रयास नही किया गया जिससे संस्थावार रिएजेंट की आवश्यक मात्रा का एनलाइसिस हो सके। संचालक स्वास्थ्य एवं सेवायें चाहती तो पहले DPDMIS मे मॉडल को डेवलप करवा सकती थी या गूगल शीट से संस्थावार आवश्यक मात्रा की जानकारी आहुत कर सकती थी। किन्तु ऐसा नही किया गया जिसके कारण आवश्यकता से कही अधिक रिएजेंट की खरीदी की मात्रा का निर्धारण किया गया। उपरोक्त मात्रा का निर्धारण करने के पश्चात संचालक स्वास्थ्य एवं सेवाये के द्वारा छ.ग. नेडिकल तर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड को रिएजेंट कय करने हेतु पत्र क. 750 दिनांक 10.01.2022 के द्वारा इंडेंट दिया गया। इंडेट देने के पूर्व संचालक स्वास्थ्य एवं सेवायें के द्वारा ना तो बजट उपलब्धता सुनिश्चित की गई ना ही किसी प्रकार का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया गया। अर्थात बिना शासन की संज्ञान में लाये लगभग 411 करोड़ का liability शासन के उपर निर्मित की गई। संचालक स्वास्थ्य एवं सेवायें के द्वारा जो इंडेंट दिया गया उसमें यह लेख किया गया है कि कय आदेश दो भागो में दें, किन्तु रिएजेंट की पूर्ति का शेड्यूल ऑफ डिलिवरी का निर्धारण ना तो संचालक स्वास्थ्य एवं सेवायें के द्वारा किया गया ना ही छ.ग. मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड के द्वारा। इस पर किसी प्रकार की कार्यवाही की गई । दूसरी ओर सीजीएमसएससी द्वारा पूरी मात्रा का कय आदेश केवल 26-27 दिन के अंतराल पर जारी कर दिया। रिएजेंट प्रदान कर्ता के द्वारा पूरा माल एक ही जगह सभी निर्धारित स्वास्थ्य केन्द्रों में भण्डार कर दिया गया। जहाँ इनके रख-रखाव की कोई व्यवस्था नही थी। इससे ऐसा परिलक्षित होता है कि रिएजेंट के आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की दृष्टि से निर्धारित सतर्कता एवं स्थापित शासन की प्रकिया का पालन नहीं किया गया हैं।
सत्यापन पर यह भी पाया गया कि ब्लड सैंपल कलेक्शन करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली EDTA ट्यूब को मोक्षित कॉरपोरेशन से 2352 रूपए प्रति नग के भाव से खरीदा गया है, जबकि अन्य संस्थाओं के द्वारा इस सामग्री को अधिकतम 8.50 रूपए (अक्षरी-आठ रूपये पचास पैसा) की दर से कय किया गया है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा जनवरी 2022 से 31 अक्टूबर 2023 तक अरबों रूपए की खरीदी मोक्षित कॉरपोरेशन एवं CB कॉरपोरेशन के साथ सांठ गांठ करके की गई है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा 300 करोड़ रूपए के रीएजेंट सिर्फ इसीलिए खरीद लिए गए, ताकि मोक्षित कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास उपलब्ध केमिकल्स कि एक्सपायरी डेट नजदीक ना आ जाये। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा मोक्षित कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से 300 करोड़ रूपए के रीएजेंट कय करके राज्य के 200 से भी अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो में बिना मॉग के ही भेज दिया गया, विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि उन स्वास्थ्य केन्द्रो में उक्त रीएजेंट को उपयोग करने वाली CBC मशीन ही नही है। उक्त रीएजेंट की एक्सपायरी मात्र दो से तीन माह की बची हुई है और रीएजेंट खराब ना हो इसलिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा 600 फिज खरीदने की भी तैयारी में लग चुके है।
विश्वस्त सूत्रों से यह भी इत्तला प्राप्त हुई कि छ.ग. मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड के द्वारा ई.डी.एल.दवा एवं नॉन- ई.डी.एल./ कन्ज्युमेबल एवं टेस्ट किट आयटम / फुड-बास्केट / प्रोप्राइटरी एवं नॉन प्रोप्राइटी कन्ज्युमेबल आयटम / आयुष दवाईयां / उपकरण सामग्री की आपूर्ति करने एवं कालातीत औषधियों के निष्कासन हेतु प्रतिष्ठित फर्म से कोटेशन / खरीदी एवं दर अनुबंध हेतु वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए निविदा प्रकिया क्रमांक 182/ ईक्यूपी / सीजीएमएससी / 2022-23 दिनांक 26.08.2022 के लिए ई निविदा जारी की गई। इस निविदा के लिए प्री बीड मीटिंग के लिए दिनांक 29.08.2022 निर्धारित किया गया था तथा दिनांक 26.09. 2022 तक निविदा दस्तावेज प्रस्तुत करने लिए निर्देश दिये गये थे।
विश्वस्त सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई कि मेरिल डायग्नोस्टिक एवं ट्रान्सासिया बायोमिडिकल लिमिटेड के द्वारा अगस्त 2022 में एमडी, सीजीएमएससी लिमिटेड रायपुर को निविदा प्रकिया क्रमांक 182/ ईक्यूपी/ सीजीएमएससी / 2022-23 दिनांक 26.08.2022 के संबंध में पत्र लिखकर यह सूचित किया गया था कि आपके आर्गेनाइजेशन के द्वारा जिन मेडिकल एक्युपेमेंट के संबंध में निविदा आमंत्रित की गई है उसके स्पेसिफिकेशन टेलरमेड है तथा किसी कंपनी विशेष के स्पेसिफिकेशन से मिलते है। इस संबंध में इन दोनो कंपनियों के द्वारा सूचित किया गया था कि यदि इन मेडिकल एक्युपमेंट्स के स्पेसिफिकेशन कुछ परिवर्तित किये जाये तो इस निविदा प्रक्रिया में अधिक कंपनियां भाग ले सकेगी तथा इससे बेहतर क्वालिटी के मेडिकल एक्युपमेंट प्राप्त हो सकते है तथा इससे निविदा की प्रतिस्पर्धा बढ़ने से शासन को कम दर पर मेडिकल एक्युपमेंट प्राप्त हो सकते है।
इस संबंध में संचालनालय स्वास्थ्य एवं सेवायें के उप संचालक के द्वारा प्रबंध संचालक सीजीएमएससीसीएल को प्री बीड के आयोजन के संबंध में जानकारी देते हुए यह सूचित किया गया कि राज्य स्तरीय निरीक्षण एवं परीक्षण तकनीकी समिति के विषय विशेषज्ञयों के जिलों से प्राप्त स्पेशिफिकेसन का निर्धारण किया गया है जिसमें कोई बदलाव न करते हुए टेंडर प्रकिया को पूर्ण करने का निर्देश दिया गया।
उपरोक्त निविदा के लिए मोक्षित कार्पोरेशन, रिकार्डस एवं मेडिकेयर सिस्टम एवं श्री शारदा इन्डस्ट्रीज के द्वारा निविदा प्रकिया में भाग लिया गया। जिसमें निविदा समिति के द्वारा उपकरणों, रिएजेंट, कन्ज्यूमेंवल व मशीनो के सीएमसीके एल-1 दर को मान्य किये जाने की अनुशंसा करते हुए मोक्षित कॉर्पोरेशन को दिनांक 25.01.2023 को निविदा प्रदान करने की अनुशंसा की गई जो प्रबंध संचालक द्वारा निविदा दी गई।
सूत्रों की सूचना के सत्यापन पर यह पाया गया कि, छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन के द्वारा उपकरण निर्माता कंपनियों से मशीन कय किये जाने हेतु निविदा बुलाई जाती है, लेकिन निविदा में मोक्षित कॉरपोरेशन एवं उनकी अन्य 02 कंपनियो के द्वारा प्रस्तुत निविदा को ही छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन की निविदा समिति के द्वारा पास किया जाता है, जबकि बाकी कंपनियो को किसी ना किसी टेक्निकल कारण का हवाला देते हुए अपात्र कर दिया जाता है। निर्माता कंपनियो के द्वारा खुले बाजार में जिए सीबीसी मशीन को मात्र 5,00,000/- रु. में विक्रय किया जाता है, उन्ही मशीनों को मोक्षित कॉर्पोरेशन के द्वारा निविदा के माध्यम से दर अनुबंध करते हुए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन को 17 लाख रूपये में दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा मशीन एवं उपकरण निर्माता कंपनियों के साथ ही दर अनुबंध किया जाता है, जबकि मोक्षित कॉरपोरेशन के पास अस्पताल में उपयोग होने वाली मशीन उपकरण बनाने की कोई फैक्ट्री (उत्पादन इकाई) नहीं है और ना ही किन्ही उपकरणों का निर्माण मोक्षित कॉर्पोरेशन के द्वारा किया जाता है, लेकिन फिर भी अपने रसूख एवं कमीशन के प्रलोभन के दम पर मोक्षित कॉर्पोरेशन के द्वारा अधिकारियों से सेटिंग करके अधिकांश दर अनुबंध अपनी कंपनी के नाम पर करवा लिए गए है। इसके अतिरिक्त CB कॉरपोरेशन के नाम से संचालित शेल कंपनी भी मोक्षित कॉरपोरेशन ग्रुप की ही कंपनी है, जिसके नाम पर भी काफी सारे दर अनुबंध करवा लिया गया है।
मोक्षित कॉर्पोरेशन के द्वारा रीएजेंट एवं केमिकल्स को अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक के दाम पर दर अनुबंध करवाया गया है। इस प्रकार 750 करोड़ रूपये से भी खरीदी कर शासन के साथ धोखाधड़ी की गयी ।
सूत्रों से यह भी इत्तिला प्राप्त हुई कि निविदा प्रकिया क्रमांक 182/ईक्यूपी/ सीजीएमएससी/2022-23 दिनांक 26.08.2022 में दो पात्र फर्म रिकार्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम एवं श्री शारदा इन्डस्ट्रीज के द्वारा मोक्षित कार्पोरेशन के कारटेल बनाकर प्रतियोगिता में भाग लिया गया था क्योकि तीनों फर्मों के प्रोडक्ट के स्पेसिफिकेशन लगभग एक सनान टेलरमेंट थे तथा आश्चर्यजनक रूप से तीनो फर्मों के द्वारा टेंडर दस्तावेज में जो टेस्ट बताये नहीं गये थे उनके भी रेट कोर्ट किये गये थे तथा तीनों फर्मों के टेस्ट के प्रकार, आवश्यक रिएजेंट एवं मात्रा जो बताई गयी थी वह एक समान थी। इस प्रकार तीनो निविदाकारो द्वारा पूल टेंडरिंग की गई थी। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि, मेरिल डायग्नोस्टिक एवं ट्रान्सासिया बायोमिडिकल लिमिटेड के द्वारा अगस्त 2022 में एमडी, सीजीएमएससी लिमिटेड रायपुर को निविदा प्रक्रिया कमांक 182/ ईक्यूपी/सीजीएमएससी / 2022-23 दिनांक 26.08.2022 के संबंध में पत्र लिखकर यह सूचित किया गया था कि आपके आर्गेनाइजेशन के द्वारा जिन मेडिकल एक्युपेमेंट के संबंध में निविदा आमंत्रित की गई है उसके स्पेसिफिकेशन टेलरमेड है तथा किसी कंपनी विशेष के स्पेसिफिकेशन से मिलते है। इस शिकायत को समिति द्वारा अनदेखी किया गया। इस प्रकार पाया गया कि संचालक स्वास्थ्य सेवाएं एवं सीजीएमएससी के अधिकारीगणों के द्वारा लोक सेवक के रूप में पदस्थ होते हुए, अपने अपने पदीय कृत्य के निर्वहन के दौरान लोक कृत्य का अनूचित रूप से एवं बेईमानी पूर्वक कार्य पालन एवं अपराधिक अवचार करते हुए मोक्षित कार्पोरेशन CB कॉर्पोरेशन, रिकार्डस एवं मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इन्डस्ट्रीज एवं अन्य के साथ मिलकर अपराधिक षड़यंत्र कर अपने नियंत्रणाधीन संपत्ति का कपट पूर्व दुर्विनियोग करते हुए मशीनो एवं रिएजेंट का अनावश्यक कय किया गया है तथा उक्त कय के लिए न तो बजट की उपलब्धता सुनिश्चित की गई ना ही इस संबंध में कोई प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया गया। इस प्रकार शासन को संज्ञान मे लाये बिना लगभग 411 करोड़ की देनदारी शासन के उपर निर्मित की गई।
इस प्रकार संचालक स्वास्थ्य सेवाऐ एवं सीजीएमएससी के अधिकारीगणो के द्वारा लोक सेवक के रूप में पदस्थ होते हुए, अपने अपने पदीय कृत्य के निर्वहन के दौरान लोक कृत्य का अनूचित रूप से एवं बेईमानी पूर्वक कार्य पालन एवं अपराधिक अवचार करते हुए मोक्षित कार्पोरेशन, CB कॉरपोरेशन, रिकार्डस एवं मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इन्डस्ट्रीज एवं अन्य के साथ मिलकर अपराधिक षड़यंत्र कर निविदा प्रक्रिया कमांक 182/ ईक्यूपी/ सीजीएमएससी / 2022-23 दिनांक 26.08.2022 की प्रतियोगिता को सीमित करते हुए, एक्युपेमंट के संबंध में पैसा स्पेसिफिकेशन करने से जिससे एक कंपनी विशेष को निविदा में भाग लेने के लिए अधिकृत हो सके, इन निविदाओ से संबंधित उपकरणों की खरीदी के लिए दरों को बढ़ाकर खरीदने के लिए चिन्हित फर्म मोक्षित कार्पोरेशन को लाभ पहुंचाने की नियत से शासन को 411 करोड़ रूपये की सदोष हानि कारित करते हुए स्वयं को एवं चिन्हित फर्म को सदोष लाभ कारित किया गया।
उपरोक्त लोक सेवक गणों के द्वारा, भादवि 409,120बी तथा भ्र.नि.अधि. 2018 यथासंशोधित भ्र०नि०अधि० (संशोधन) 2018 की धारा 13 (1) ए सहपठित धारा 13(2), 7 (सी) के तहत् दण्डनीय अपराध कारित किया गया है।
13. कार्यवाही जो की गई उपरोक्त विवरण से धारा-409, 120बी भादवि एवं धारा 13 (1) ए सहपठित धारा 13 (2), 7 (सी) भ्र.नि.अधि. 1988 यथासंशोधित अधिनियम 2018 का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया/नहीं लिया गया तथाको प्रकरण में विवेचना हेतु सौंपा गया, या क्षेत्राधिकार के दृष्टिगत थाना जिला को, स्थानांतरित किया गया या धारा 173 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 के अंतर्गत कार्यवाही की गई। अभियोगी / सूचनाकर्ता को प्र. सू. पत्र पढ़वाकर/पढ़कर सुनाया गया, जिन्होंने तही-तही अनिलिखित होना स्वीकार किया। इसकी एक प्रति सूचनाकर्ता को निःशुल्क प्रदाय की गयी।