Chhattisgarh News: जेल अफसरों का कमालः सरकार ने जिस उम्र कैदी को सजा माफी से इंकार किया, उसे रिहा कर डाला, पढ़िये चमड़ी बचाने फिर क्या किया?
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के रायपुर सेंट्रल जेल में उम्र कैद की सजा पाए एक ऐसे बंदी को जेल से रिहा कर दिया, जिसकी सजा माफी के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने अमान्य कर दिया था। आठ दिन बाद फिर कुछ लोग बंदी के घर पहुंचे और बिना कोई कारण बताए ले गए। बंदी की पत्नी यमुना बाई ने एनपीजी न्यूज को बताया कि जेल से छूटकर आने के बाद उसके पति को फिर कुछ लोग ले गए।
Chhattisgarh News: रायपुर। रायपुर सेंट्रल जेल का एक बड़ा कारनामा सामने आया है। जेल के जिम्मेदार अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ सरकार के इंकार के बाद भी उम्र कैद की सजा पाए एक बंदी को रिहा कर दिया। मगर बाद में जब हड़कंप मचा तो आठ रोज बाद उसे पकड़ कर जेल में डाल दिया। पराकाष्ठा तो यह कि बंदी को लाने गया जेल अमला परिजनों को कुछ भी नहीं बताया। घर वालों को लगा कि बलौदा बाजार दंगा में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां हो रही हैं, उसी के घोखे में सिविल ड्रेस में पुलिस आकर ले गई होगी। घर वालों ने मोबाइल लगाया तो बंद मिला। फिर बलौदा बाजार के कोतवाली थाने संपर्क किया गया तो बताया गया कि इस नाम का कोई भी आरोपी नहीं पकड़ा गया। ऐसे में, परिजनों की शंकाएं बढ़ी। नाते-रिश्तेदारों की कई दिनों की मशक्कत के बाद पता चला कि उसे फिर से रायपुर जेल में डाल दिया गया है।
क्या है मामला
बलौदा बाजार जिले के गिरोधपुरी के पास मड़वा गांव का महावीर पिता छतराम को हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा हुई थी। सजा की 14 साल की अवधि पूरी होने के बाद अच्छे आचरण के लिए छह साल की सजा माफी का प्रस्ताव रायपुर जेल ने सरकार को भेजा था। मगर सरकार ने सजा कम करने से इंकार कर दिया। सरकार का पत्र रायपुर सेंट्रल जेल को भेज दिया गया। इसके बाद भी जेल अधिकारियों ने 4 जून को महावीर को रिहा कर दिया। कैदियों के बीच ये बात फैलने लगी कि बंदी को बिना सरकार की अनुमति सजा माफी देते हुए रिहा कर दिया गया है। इस पर जेल के अधिकारियों को लगा कि बात कहीं उपर तक पहुंच जाएगी तो वे नप जाएंगे। सो, जेल के कुछ कर्मचारियों को महावीर के गांव मड़वा भेजा। उनके साथ आसपास के पूर्व में रिहा हुए कुछ बंदी भी थे। महावीर घर में मिल गया। उसे बताया गया कि जेल में एकाध कागजी औपचारिकता रह गई है, उसे पूर्ण कराकर तुम्हें छोड़ दिया जाएगा। मगर जेल पहुंचने के बाद उसे बैरक में डाल दिया गया।
रिहाई का पेपर भी ले गए
बंदी को पकड़ने गई जेल विभाग की टीम ने छलपूर्वक रिहाई का पेपर भी मांग लिया। उसकी पत्नी ने एनपीजी न्यूज को बताया कि उनके पास कोई कागज नहीं है, जिससे वे उपर की कोर्ट में अपील कर सकें। जेल अफसरों ने रिहाई का कागज मांग लिया। सरकार ने सजा माफी से इंकार किया है, उसका आदेश भी नहीं मिला है। परिजनों को करीब हफ्ते भर बाद पता चला कि महावीर को फिर से जेल में डाल दिया गया है, तो मिलने रायपुर आए। यहां कोई जेल अधिकारी या कर्मचारी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। सभी ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है।
1998 का मामला
हत्या की घटना 1998 की है। गिरौधपुरी के मड़वा गांव में पारिवारिक जमीन विवाद में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। महावीर समेत कई लोग उसमें आरोपी बनाए गए थे। इस केस में महावीर को लंबे समय बाद जमानत मिली। उसके बाद उम्र कैद की सजा हुई। पिछले 14 सालों से वह जेल में है। जानकारों का कहना है कि अच्छे आचरण के आधार पर छह महीने की सजा माफी हो जाती है। इसके लिए जिस कोर्ट से सजा हुई हो, अभिमत के लिए पेपर भेजा जाता है। इस मामले में बलौदा बाजार कोर्ट ने रिहा करने का अभिमत दे दिया था। इसके बाद सेंट्रल जेल से सरकार को पत्र भेजा गया। सरकार ने इसे अमान्य कर दिया।
जेल अधीक्षक को जानकारी नहीं
इस संबंध में जब जेल अधीक्षक अमित शांडिल्य से बात की गई तो उन्होंने केवल इतना कहा कि दिखवाता हूं क्या मामला है।