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ब्रेकिंग : अर्नब गोस्वामी को तत्काल रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश……..जमानत याचिका पर फैसले के दौरान कई टिप्पणियां की कोर्ट ने… एक सप्ताह से जेल में बंद थे संपादक अर्नब

ब्रेकिंग : अर्नब गोस्वामी को तत्काल रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश……..जमानत याचिका पर फैसले के दौरान कई टिप्पणियां की कोर्ट ने… एक सप्ताह से जेल में बंद थे संपादक अर्नब
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By NPG News

नयी दिल्ली 11 नवंबर 2020। सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी और अन्य सह आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का कहना है कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 50,000 रुपये के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। यह आदेश का पालन तुरंत सुनिश्चित करने के लिए पुलिस आयुक्त को निर्देश देता है।

इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर तत्काल कोई फैसला सुनाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

अर्नब गोस्वामी को 2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या से संबंधित मामले में चार नवंबर को गिरफ्तार किया गया था.

अर्नब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट के नौ नवंबर के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें और दो अन्य आरोपियों- फिरोज शेख और नीतीश सारदा- को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुये कहा गया था कि इसमें हमारे असाधारण अधिकार का इस्तेमाल करने के लिये कोई मामला नहीं बनता है.

अर्नब और अन्य आरोपियों ने अंतरिम जमानत के साथ ही इस मामले की जांच पर रोक लगाने और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने का अनुरोध हाई कोर्ट से किया था.गोस्वामी को चार नवंबर को मुंबई में उनके निवास से गिरफ्तार करके पड़ोसी जिले रायगढ़ के अलीबाग ले जाया गया था. उन्हें और दो अन्य आरोपियों को बाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया जिन्होंने आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजने से इंकार कर दिया था. अदालत ने तीनों को 18 नवंबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

गोस्वामी को शुरू में अलीबाग जेल के लिये कोविड-19 पृथकवास केन्द्र के रूप में एक स्थानीय स्कूल परिसर में रखा गया था लेकिन रविवार को उन्हें रायगढ़ जिले में स्थित तलोजा जेल भेज दिया गया क्योंकि उन पर न्यायिक हिरासत के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल का आरोप था.

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