Begin typing your search above and press return to search.

Breaking-सात डिप्टी कलेक्टरों को IAS अवार्ड…सीआर के कारण एक्का, देवांगन और हीना आईएएस बनने से हुए वंचित, इस शर्त के साथ डीपीसी में डिप्टी कलेक्टरों के प्रमोशन को मिली हरी झंडी

Breaking-सात डिप्टी कलेक्टरों को IAS अवार्ड…सीआर के कारण एक्का, देवांगन और हीना आईएएस बनने से हुए वंचित, इस शर्त के साथ डीपीसी में डिप्टी कलेक्टरों के प्रमोशन को मिली हरी झंडी
X
By NPG News

NPG.NEWS
रायपुर, 7 नवंबर 2020। दिल्ली से एक बड़ी खबर आ रही है…यूपीएसी से छत्तीसगढ़ के सात डिप्टी कलेक्टरों को आईएएस अवार्ड के लिए डीओपीटी को नाम भेज दिया है। वहीं, तीन सीनियर डिप्टी कलेक्टरों का मामला इस बार भी अटक गया है।
इस बार प्रमोशन से बनने वाले आईएएस के सात पदो के लिए 21 डिप्टी कलेक्टरों के नाम भारत सरकार को भेजे गए थे। इनमें तीन नाम सीनियर अफसरों के थे। अरबिंद एक्का 99 बैच, संतोष देवांगन 2000 और हीना नेताम 2002 बैच। गोपनीय चरित्रावली के चक्कर में इन तीनों अधिकारियों का नाम कट गया। आईएएस अवार्ड के लिए सभी सीआर क होना चाहिए। लेकिन, तीनों के कई बार सीआर ख मिला है।
इसके बाद पीएससी के चर्चित 2003 बैच के नाम थे। इसको लेकर लोगों में सबसे अधिक कौतूहल थी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इनकी नियुक्ति निरस्त कर दी थी और वे सुप्रीम कोर्ट के स्टे पर चल रहे हैं। पीएससी में डिप्टी कलेक्टर बनने से चुकी वर्षा डोंगरे ने डीओपीटी और यूपीएससी में जाकर फरियाद की थी कि इन्हें आईएएस न अवार्ड किया जाए। लेकिन, छत्तीसगढ़ से गए अफसरों ने डीपीसी में तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिला हुआ है। और, स्टे में प्रमोशन नहीं रोका जा सकता। इसके बाद इस शर्त पर डीपीसी ने पीएससी 2003 बैच के सात डिप्टी कलेक्टरों को आईएएस अवार्ड करने हरी झंडी दे दी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला अगर प्रतिकुल आया तो सभी को अपना पद छोड़ना होगा।
जिन डिप्टी कलेक्टरों को आईएएस अवार्ड के लिए यूपीएससी ने डीओपीटी को नाम भेजा है, उनमें जयश्री जैन, चंदन त्रिपाठी, प्रियंका महोबिया, जयश्री जैन, दीपक कुमार अग्रवाल, रिक्तिमा यादव और तुलिका प्रजापति। सूत्रों का कहना है, एकाध हफ्ते के भीतर इन्हें आईएएस बनाने डीओपीटी से नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा।

टाॅपर विभागीय परीक्षा नहीं निकाल पाई

पीएससी 2003 बैच के सभी डिप्टी कलेक्टर बैक डोर इंट्री वाले हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता…मगर गड़बड़झाला तो हुआ था। वरना, पीएससी को हाईकोर्ट में लिखित में क्यों स्वीकार करना पड़ा कि सलेक्शन में चूक हुई है। पीएससी की जांच रिपोर्ट इसकी चुगली करती है। एक महिला डिप्टी कलेक्टर को पांच प्रश्न में 75 अंक मिलने थे। वो चार ही प्रश्न साल्व कर पाई। फिर भी उसे 75 नम्बर दे दिया गया। दूसरा मामला उस बैच की टाॅपर का है। पीएससी टाॅपर चार बार में विभागीय परीक्षा नहीं निकाल पाईं। डिप्टी कलेक्टर या आईएएस को सलेक्शन के बाद एक विभागीय परीक्षा पास करना होता है। इसके लिए चार बार मौका मिलता है। विभागीय परीक्षा पास नहीं करने के कारण महिला डिप्टी कलेक्टर का रैंक टाॅपर से गिरकर नीचे आ गया। यही वजह है कि आईएएस बनने वाले सात अफसरों में उनका नाम नहीं है।

Next Story