ब्रेकिंग : टैक्स में राहत के नाम पर ठगे तो नहीं गये कर्मचारी व आमलोग…..नया टैक्स स्लैब लिया तो नहीं मिलेगा रिबेट……इंश्योरेंस, LIC व लोन जैसे स्कीम पर टैक्स छूट से धोना पड़ेगा हाथ…. टैक्स पर ये पूरा पेंच पढ़िये, कर्मचारियों के लिए फायदे का ऐलान या घाटे का
नयी दिल्ली 1 फरवरी 2020। सरकार ने टैक्स में छूट का ऐलान तो किया है, लेकिन इस छूट के पीछे एक बड़ा पेंच है. जिसे अगर कर्मचारी वर्ग नहीं समझ सका, तो फिर वो बड़े नुकसान में रहेगा। वित्त मंत्री ने ऐलान किया है जो नई स्लैब लागू होगी वह वैकल्पिक होगी. मतलब चाहें तो नया स्लैब ले सकते हैं और ना चाहें तो पुराना स्लैब के मुताबिक ही टैक्स जमा कर सकते हैं। अगर किसी टैक्स पेयर को इन सुविधाओं का लाभ लेना है तो उसे उन छूट का त्याग करना होगा, जो अभी तक मिलती आई हैं. यानी अगर आप पहले बीमा, निवेश, घर का किराया, बच्चों की स्कूल फीस जैसी कुल 70 मुद्दे हैं जिनपर मिलने वाली छूट को त्यागना होगा. पहले टैक्स भरते हुए इन सभी चीज़ों की जानकारी देने पर टैक्स में छूट मिलती थी। हालांकि इससे पहले पहले स्लैब को भी समझना होगा। दरअसल हुआ यूं है कि सरकार ने पहले 0 से 250 लाख और 2.50 लाख से 5 लाख तक का स्लैब तो हटा लिया है, लेकिन बाद के आय वालों में दो नया स्लैब जोड़ दिया है। पहले जो स्लैब 5 लाख से 10 लाख तक का हुआ करता था, वो स्लैब अब दो पार्ट में होगा।
पहला 5 लाख से 7.5 लाख जिसके लिए 10 प्रतिशत टैक्स होगा, और दूसरा 7.5 लाख से 10 लाख तक जिसके लिए टैक्स 15 प्रतिशत रखा है। उसी तरह से 10 से 15 लाख की इनकम के लिए भी दो स्लैब बनाये गये हैं। 10 से 12.5 लाख और 12.5 लाख से 15 लाख रुपये का स्लैब। 10 से 12.5 लाख के बीच आय पर 20 प्रतिशत और 12.5 लाख से 15 लाख तक के आय पर 25 प्रतिशत, जबकि 15 लाख से उपर की कमाई पर 30 प्रतिशत का टैक्स फिक्स किया गया है।
अब मामले में पेंच ये है कि नया और पुराना दोनों तरह का टैक्स स्लैब लागू रहेगा और लोगों पर ये छोड़ दिया गया है कि वो नया टैक्स स्लैब में रहना चाहते हैं या फिर पुराने को ही बरकार रखना चाहते हैं। क्योंकि सरकार ने यहां बड़ी चतुराई से ये नियम लगा दिया गया है कि जो नये टैक्स स्लैब के अनुरूप टैक्स देना चाहता है, उन्हें निवेश की राहत छोड़नी होगी। मतलब ये कि सरकार ने टैक्स रियायतों के जरिये बचत प्रोत्साहित करने की नीति खत्म कर दी है। अगर नये टैक्स स्लैब को कर्मचारी या आमलोग अपनाते हैं, तो उन्हें टैक्स रिबेट नहीं मिलेगा, उनकी रियाततें वापस ले ली गई हैं। जिस तरह टैक्स के वक्त बीमा, मेडिक्लेम, छोटी बचत स्कीमों पर जो रियायत मिलती थी, अब नये स्लैब पर नहीं मिलेगी। इस वजह से हाउसिंग भी प्रभावित होगी, अब होम लोन पर टैक्स छूट भी नई स्कीम का हिस्सा होगी. ब्योरे के लिए फाइनेंस बिल का इंतजार करना होगा’.