नीचे धधकता कोयला और बेकाबू आग.. उपर बसी बस्ती .. धसक गई ज़मीन..टूट गए घर.. SECL के अधिकारी बोले “बेजा क़ब्ज़ा धारियों को पहले तीन नोटिस दे चुके, लोग हटने तैयार नहीं”
चिरमिरी,2 फरवरी 2021। नीचे धधकती आग और उपर बस्ती वाले चिरमिरी ईलाके में आख़िरकार ज़मीन धसकने का ख़तरनाक सिलसिला एक बार फिर से शुरु हो गया है। SECL के चिरमिरी खनन क्षेत्र के हल्दीबाड़ी के उपरी इलाक़े जिसे महुआ दफाई और ओल्ड जीएम ऑफ़िस ईलाका कहा जाता है, वहाँ बीते 24 घंटे में अलग अलग समय अंतराल में ज़मीन धसक गई है। सड़क करीब दो फ़ीट के गड्डों में तब्दील है जबकि करीब तीन घरों में गहरी दरारें आ गई हैं। यह वह ईलाका है जिसके नीचे कभी अंडर ग्राउंड माइंस थी और उसे बंद किया जा चुका है लेकिन कोयले में बेहद तेज आग लगी हुई है। वक़्त के साथ कोयले की आग सतह को धसकाने लगी है, और ज़ाहिर है हालात बेहद गंभीर हो गए हैं।
कल रात और आज तड़के ज़मीन काँपी और तेज आवाज के साथ इलाक़ा दरारों में तब्दील हो गया। हालात इस क़दर भयावह हुए कि कलेक्टर एस एन राठौड़, कोरिया कप्तान को मौक़े पर पहुँच कर जायज़ा लेना पड़ा। करीब सत्रह परिवारों को आनन फ़ानन में उस इलाक़े से हटाकर एक निजी शिक्षण संस्था में शिफ़्ट कराया गया है, जहाँ उनके भोजन इत्यादि की तात्कालिक व्यवस्था ज़िला प्रशासन ने की है।
ठीक इसी इलाक़े में 2014 में भी भी स्खलन हुआ था, उस समय SECL ने उस इलाक़े में मौजूद 24 उन क्वार्टरों को तोड़ दिया था, जिस पर उनका स्वामित्व था। 2014 में फ़्लैट नुमा यह इमारत ख़तरनाक ढंग से झूक गई थी।
चिरमिरी क्षेत्र के महाप्रबंधक घनश्याम सिंह ने कहा –
“एक बार नही तीन बार नोटिस दी जा चुकी है, यहाँ वे लोग है जो SECL कर्मचारी नही है, ये दरअसल बेजा क़ब्ज़ाधारी हैं, ख़तरे को लेकर लगातार आगाह किया गया है, हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि, इलाका खाली हो”
इस घटना के बाद एक बार फिर मुआवज़े की बात उठी, तो इस पर SECL ने हाथ खड़े कर दिए हैं। महाप्रबंधक ने स्पष्ट किया
“ बेजा क़ब्ज़ा धारी हैं, वे इलाक़ा खाली करें इसे लेकर तमाम काग़ज़ी कार्यवाही की गई है, वे नही हट रहे हैं, मुआवज़े का प्रश्न ही नही है”
दरअसल चिरमिरी का बड़ा इलाक़ा ऐसा है जहाँ सतह के नीचे कोयले में आग लगी हुई है, और बरसात के मौसम में कई जगहों से ख़तरनाक धूंआ निकलते दिखता है। विषैली गैस से इस के आस पास गुजरने वाले जानवरों की मौत होते रहती है, चिरमिरी की वीरान इन जगहों पर ज़मीन धसकने की घटनाएँ होती रहती हैं।
कोयले में आग लगने के पीछे जो वजह बताई जाती है उसके अनुसार खदान को बंद करते समय जो नियम का पालन करना है वह नहीं होता, खदानों के भीतर मौजुद कोयला दरारों के ज़रिए ऑक्सीजन के संपर्क में आता है और फिर आग दावानल बन जाती है।
मौक़े पर पहुँचे कलेक्टर एस एन राठौड ने बताया
“क्रेक हुई जगह पर मिट्टी भर कर उसे पैक करने का काम चल रहा है,SECL की विशेषज्ञ टीम आ चुकी है और कल वो हमें बेहतर निष्कर्ष देगी.. जो प्रभावित परिवार हैं, उन्हें स्कुल में शिफ़्ट कराया गया है, उनके भोजन पानी की व्यवस्था की गई है, जो शासन के नियम हैं उस अनुरुप मुआवज़े की व्यवस्था देखी जा रही है”
खबरें हैं कि, ज़िला प्रशासन और SECL की बैठक में इस इलाक़े को ख़ाली कराने को लेकर बात हुई है। SECL की ओर से इसी इलाक़े में मौजूद गैस गोदाम को शिफ़्ट कराने का आग्रह ज़िला प्रशासन से किया गया है।