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CJI Sanjiv Khanna Biography Hindi: चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित करने वाले नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना कौन हैं? जानिए इनके बारे में सब कुछ

Sanjiv Khanna Biography Hindi: भारत के न्यायिक इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है। जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर 2024 को देश के 51वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में शपथ लेंगे।

CJI Sanjiv Khanna Biography Hindi: चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित करने वाले नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना कौन हैं? जानिए इनके बारे में सब कुछ
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By Ragib Asim

Sanjiv Khanna Biography Hindi: भारत के न्यायिक इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है। जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर 2024 को देश के 51वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में शपथ लेंगे। यह जानकारी केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दी है। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश, डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो रहे हैं, और उन्होंने जस्टिस खन्ना को अपने उत्तराधिकारी के रूप में केंद्र सरकार को सिफारिश की थी। इस सिफारिश को सरकार ने मंजूरी दे दी है।

जस्टिस संजीव खन्ना के सीजेआई बनने के बाद उनका कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा। इस प्रकार, उनके पास लगभग छह महीने का कार्यकाल होगा। जस्टिस खन्ना का नाम उनके न्यायिक अनुभव, कड़ी मेहनत और निष्पक्ष फैसलों के लिए जाना जाता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण मामलों पर ऐतिहासिक निर्णय दिए हैं, जिनका प्रभाव लंबे समय तक भारतीय न्याय व्यवस्था पर रहेगा।

जस्टिस संजीव खन्ना की जीवनी (Justice Sanjiv Khanna Biography in Hindi)

  • पूरा नाम जस्टिस संजीव खन्ना
  • उम्र 64 साल
  • जन्म तारीख 14 मई 1960
  • जन्म स्थान दिल्ली
  • शिक्षा एलएलबी
  • कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय
  • वर्तमान पद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश
  • मुख्य न्यायाधीश कब बने 11 नवंबर 2024 को
  • रिटायर होंगे 13 मई, 2025 को
  • व्यवसाय न्यायाधीश
  • वैवाहिक स्थिति विवाहित
  • पिता का नाम देव राज खन्ना
  • माता का नाम सरोज खन्ना
  • चाचा का नाम हंस राज खन्ना
  • स्थाई पता दिल्ली
  • वर्तमान पता दिल्ली

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का प्रारंभिक जीवन

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ। उन्होंने नई दिल्ली के प्रतिष्ठित मॉडर्न स्कूल से 1977 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने 1980 में दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। उनके पिता, न्यायमूर्ति देव राज खन्ना, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे और उनकी मां, सरोज खन्ना, लेडी श्री राम कॉलेज में हिंदी व्याख्याता थीं।

कानूनी करियर की शुरुआत

1983 में, न्यायमूर्ति खन्ना ने दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में नामांकन किया। अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में वकालत की और धीरे-धीरे दिल्ली उच्च न्यायालय और विभिन्न न्यायाधिकरणों में अपनी पहचान बनाई। वकील के रूप में उनकी विशेषज्ञता संवैधानिक कानून, प्रत्यक्ष कर, वाणिज्यिक विवाद, कंपनी कानून, पर्यावरण कानून, और चिकित्सा लापरवाही जैसे मामलों में थी। वह आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में लंबे समय तक कार्यरत रहे और दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में भी कार्य किया।

न्यायिक करियर

2005 में, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और एक साल बाद 2006 में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। 18 जनवरी 2019 को, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी पदोन्नति कुछ विवादित रही, क्योंकि वे बिना किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम मामलों पर फैसले दिए। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया। यह खास बात है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने से पहले जस्टिस खन्ना ने किसी भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में काम नहीं किया था। इसके बावजूद उनकी योग्यता और अनुभव ने उन्हें देश की सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीश बनने का मौका दिलाया। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस खन्ना ने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जो भारतीय न्याय प्रणाली में मील का पत्थर साबित हुए हैं। उनके फैसलों का भारतीय संविधान और कानून पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

जस्टिस संजीव खन्ना के महत्वपूर्ण फैसले

जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। उनके कुछ प्रमुख फैसले निम्नलिखित हैं:

अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत: लोकसभा चुनावों के दौरान दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रचार करने की अनुमति देने के लिए जस्टिस खन्ना ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी। इस फैसले में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया गया था और यह सुनिश्चित किया गया था कि चुनाव प्रचार में कोई बाधा न आए।

ईवीएम-VVPAT सत्यापन: जस्टिस खन्ना उस बेंच का हिस्सा थे जिसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में डाले गए वोटों के 100% वीवीपैट सत्यापन की मांग को अस्वीकार किया। अप्रैल 2024 के इस फैसले ने चुनाव आयोग के उपायों को स्वीकार करते हुए चुनाव प्रक्रिया की सटीकता और पारदर्शिता को बरकरार रखा।

चुनावी बॉन्ड योजना: जस्टिस खन्ना उस पांच-न्यायाधीशों वाली पीठ का हिस्सा थे, जिसने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया। यह फैसला चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

आर्टिकल 370 का निरस्तीकरण: जस्टिस खन्ना उस पीठ का हिस्सा थे जिसने आर्टिकल 370 को निरस्त करने का फैसला बरकरार रखा। उन्होंने इस फैसले में कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला यह अनुच्छेद भारत की संघीय संरचना का हिस्सा था, लेकिन यह संप्रभुता का प्रतीक नहीं था।

मनीष सिसोदिया की जमानत: जस्टिस खन्ना ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मामले में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि यदि पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) मामलों में देरी होती है, तो यह जमानत का वैध आधार हो सकता है।

Ragib Asim

Ragib Asim is a journalist currently employed as News Editor in NPG News (Digital). Born and brought up in Bettiah, Ragib journey began with print media and soon transitioned towards digital. He carries more than 10 years of experience in the field with focus on New media. He has previously worked with Hindustan Samachar, News Track, Janjwar, Special Coverage News Hindi. His interests include Science, Geopolitics, Economics and Current affairs.

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